बाराबंकी: अद्भुत शक्ति का प्रतीक है फतेहपुर कस्बे का यह शमी वृक्ष, पांडवों ने छुपाए थे अपने अस्त्र-शस्त्र, दिलाता है महाभारत काल की याद

बाराबंकी: अद्भुत शक्ति का प्रतीक है फतेहपुर कस्बे का यह शमी वृक्ष, पांडवों ने छुपाए थे अपने अस्त्र-शस्त्र, दिलाता है महाभारत काल की याद

बाराबंकी, अमृत विचार। महाभारत काल के समय की कई पौराणिक चीजें जिले में मौजूद हैं। फतेहपुर कस्बे में स्थित शमी के वृक्ष का भी अपना एक अलग आध्यात्मिक इतिहास है। कहा जाता है कि यह वृक्ष पौराणिक महाभारत कालीन का है। इस वृक्ष को पांडवों ने लगाया था जो आज भी महाभारत की याद दिलाता है। बताते हैं कि करीब साढ़े पांच हजार वर्ष पुराना यह पेड़ हैं।  

जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर तहसील फतेहपुर में श्री शक्ति धाम महादेव मंदिर में लगा शमी का पेड़ पांच हजार वर्ष पुराना माना जाता है। कहा जाता है कि पांडवों ने अज्ञातवास में अपने सारे अस्त्र-शस्त्र इसी वृक्ष में छुपाए थे। इसलिए इस पेड़ को अद्भुत शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है। इस वृक्ष की पूजा हर शनिवार को की जाती है।

विजयादशमी के दिन जिला ही नहीं अन्य जिलों से लोग यहां आकर हवन के साथ अस्त्र-शस्त्र की पूजा करते हैं। पूरे साल में विजयादशमी के दिन इस पौराणिक शमी पेड़ के साथ पास में स्थित भगवान शनि की पूजा विशेष रूप से होती है। सुबह से लेकर आधी रात लोग पूजा के लिए आते रहते हैं। यहां का पूजन कार्यक्रम पं.अखिलेश चंद्र शास्त्री की देखरेख के कई पंड़ितों द्वारा कराया जाता है।

पांडवों से जुड़ी है मान्यताएं

मान्यता है कि पांच हजार वर्ष पूर्व जब पांडवों अज्ञातवास के दौरान नैमिष से होते हुए भगौली तीर्थ जा रहे थे। उसी दौरान महादेव तालाब के पास इसी पेड़ पर पांडवों ने अपने अस्त्र-शस्त्र छुपाए थे। इस पेड़ की देखरेख मंदिर प्रशासन करता है। शमी पेड़ के साथ यहां पर शनिदेव और भगवान भोलेनाथ का भी मंदिर है। लोग स्नान करके शमी पेड़ के साथ शनिदेव और भगवान भोलेनाथ की भी पूजा अर्चना करते हैं।

क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य

ज्योतिषाचार्य पं. अखिलेश चंद्र शास्त्री ने बताया कि भगवान शनि को न्याय का देवता कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिनकी कुंडली में साढ़े साती, ढैय्या या शनि दोष का प्रभाव होता है, उन्हें शनिवार के दिन भगवान शनि की विधि पूर्वक पूजा करनी चाहिए। साथ ही इसके कष्ट को दूर करने के लिए शनि देव की स्तुति का पाठ करना चाहिए। रही बात इस शमी के पौराणिक वृक्ष की तो यह वृक्ष अपनी एक अहमियत रखता है। जो महाभारत कालीन से जुड़ा हुआ है।

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