70 की हुईं रेखा: फिल्म अभिनेत्री का क्या है कानपुर से कनेक्शन? यहां पढ़ें...

‘उमरावजान’ के फ्रेम में सुभाषिनी को फिट लगी रेखा

70 की हुईं रेखा: फिल्म अभिनेत्री का क्या है कानपुर से कनेक्शन? यहां पढ़ें...

महेश शर्मा, कानपुर। चर्चित फिल्म अभिनेत्री रेखा 70 की हो गयी हैं। पर बुढ़ापा उन्हें अभी तक छू नहीं पाया। बतौर सेलीब्रिटी छोटे पर्दे पर रेखा के दीवाने आज भी काफी संख्या में हैं जितने पहले हुआ करते थे। उनके ठुमके, आंखों का रह-रह के उठना, उठके गिर जाना, उनकी कैफियत बयान करती हैं। 

बहुत कम लोग जानते हैं कि मुजफ्फर अली की दूसरी फिल्म उमरावजान जिसने रेखा को बेहतरीन कलाकार की पहचान दी, लीड रोल में उनका नाम फाइनल करने में कानपुर की पूर्व सांसद माकपा पोलितब्यूरो की सदस्य सुभाषिनी अली सहगल की महती भूमिका रही। सुभाषिनी फिल्म मेकर मुजफ्फर अली की पत्नी हुआ करती थी। 

गमन फिल्म बनाने के बाद उमरावजान बनाने का आइडिया जब मुजफ्फर अली के दिमाग में आया तभी से मुजफ्फर की उमराव की तलाश शुरू हो गयी थी। हालांकि सुभाषिनी श्रेय लेने से बचती हैं पर उमरावजान हिट होने के दौरान उनके योगदान को मीडिया स्पेस देता रहा। दो जनवरी 1981 को फिल्म रिलीज हुई। रेखा छा गयीं। उमरावजान के किरदार को पर्दे पर रेखा ने बखूबी जिया।

अमृत विचार से बातचीत करते हुए सुभाषिनी अली सहगल बताती हैं कि फिल्म उमरावजान के निर्माण के दौरान कई पहलुओं पर हम लोग मिलजुलकर बातचीत करते थे। फिल्म का अभिनय पक्ष हो या कला पक्ष या फिर कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग। सबकी राय ली जाती थी। इस लिहाज से मैं अकेले श्रेय नहीं लेना चाहती। सुभाषिनी कहती हैं कि फिल्म के हर किरदान का गहराई से अध्ययन के बाद ही वह राय बनाती थी। 

रेखा का नाम दिमाग में आने के पीछे उनकी मां पुष्पावल्ली भी कहीं न कहीं आ जाती थीं। पुष्पावल्ली दक्षिण भारत की जानीमानी अभिनेत्री थीं। वह मद्रास (अब चेन्नई) की थीं। सुभाषिनी कहती हैं कि उनकी नानी वहीं की थी। एक जुड़ाव था। और रेखा भी उमरावजान के फ्रेम में फिट बैठ रही थीं। उमरावजान का लुक लाने के लिए उनके आभूषण, कपड़े आदि की डिजाइनिंग में दखल रहता था।

पूर्व सांसद सुभाषिनी अली सहगल के जीवन का कलापक्ष भी काफी समृद्ध है तभी उनकी राय को महत्व दिया जाता था। चाहे उमरावजान के किरदार के लिए रेखा का चयन हो या फिर पार्श्वगायन में आशा भोंसले का चयन। शहरयार से गजलें लिखवाने से लेकर खय्याम से म्युजिक कंपोजिशन में सुभाषिनी अली की राय को महत्व दिया जाता रहा। 

वह कहती हैं कि दक्षिण भारत की भानु रेखा ने जब बॉलीवुड में रेखा के नाम से ख्याति पायी तो किरदार में ढल जाना उसने सीख लिया। उर्दू का नफासती अंदाज, नृत्य, संगीत से तालमेल बैठाकर गानों की शूटिंग में उनका इनवाल्वमेंट काबिले गौर हुआ करता था। सुभाषिनी के अनुसार रेखा की उनसे दर्जनों मुलाकातें हैं। आर्ट के साथ ही कॉमर्शियल फिल्मों की वह सच्चे अर्थों में कलाकार हैं।

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