अयोध्या: राम वन गमन पर भावुक हुए श्रद्धालु, दशरथ मरण पर नयन भीगे...रुदौली की ऐतिहासिक रामलीला छोड़ रही है छाप 

अयोध्या: राम वन गमन पर भावुक हुए श्रद्धालु, दशरथ मरण पर नयन भीगे...रुदौली की ऐतिहासिक रामलीला छोड़ रही है छाप 
अयोध्या : रामलीला के मंचन में प्रभु के पांव पखारते केवट

भेलसर/अयोध्या, अमृत विचार। रुदौली में रामलीला समिति द्वारा ऐतिहासिक रामलीला में पांचवे दिन राम वनगमन एवं दशरथ मरण का मंचन किया गया। मंचन में दिखाया गया कि राजा दशरथ एक दिन दर्पण में अपने कुछ सफेद बालों को देख लेते हैं और गुरु वशिष्ठ से परामर्श करने के बाद वो अयोध्या का राज सिंहासन राम को सौंपने का निर्णय लेते है। इस सूचना से सारी अयोध्या मे उत्सव जैसा माहौल हो जाता है और अयोध्या के सभी लोग खुशी मानते दिखाये गये। 

देवताओं के अनुरोध पर मां सरस्वती ने कैकई की दासी मंथरा की जिह्वा पर बैठकर उसकी बुद्धि को भ्रमित कर दिया। मंथरा ने अपने कपटपूर्ण बातों से कैकई की मति भंग कर उन्हें राजा दशरथ से वरदान मांगने को तैयार कर लिया। कैकई ने राजा दशरथ से राम के लिए बनवास और भरत को राज गद्दी का वरदान मांग लिया। दशरथ के बहुत समझने के बाद भी रानी जिद पर खड़ी रही। बृज किशोर ने दशरथ और संदीप शुक्ल ने कैकेई का अभिनय किया। दशरथ कैकई संवाद दर्शकों को खूब पसंद आया।

रघुकुल की रीति को निभाते हुए राजा दशरथ रानी कैकेयी को वरदान दें देते हैं। माता की आज्ञा को मानते हुए भगवान श्रीराम, माता जानकी और लक्ष्मण वन गमन के लिए निकल जाते हैं। राज भवन से जब यह सूचना नगर वासियों को मालूम होती है तो सारी अयोध्या नगरी व्याकुल हो जाती है। श्रीराम सरयू नदी पार करने केवट के पास पहुंचते हैं। राम जी नदी पार करने के लिए आग्रह करते हैं, लेकिन केवट हां तो करता है लेकर आगे नहीं जाता। श्रीराम ने केवट को अपना परिचय दिया तो केवट दूर भाग खड़ा होता है। 

कहता है कि आप वही राम हैं जिनके छूने से ही शिला नारी बन गई। भगवान मेरी नाव तो लकड़ी की है, कहीं नारी बन गई या छूमंतर हो गई तो परिवार का पालन-पोषण कैसे होगा। इस पर भगवान श्रीराम केवट के भाव को समझते हुए समझाते हैं कि इसके बाद केवट उनके पांव पखारे। भगवान केवट को अपने गले लगाते केवट नदी पार कराने के लिए अपने नाव से आगे बढ़ते और गाते हैं कि मेरी नाव में सीताराम नदिया धीरे बहो, भजन पर दर्शकों को खूब भाता है। तुषार गर्ग ने  सुमंत, अक्षत चौरसिया ने कौशल्या, राज सोनी ने सुमित्रा संजय विश्वकर्मा ने निषाद राज एवं मंथरा व केवट के अभिनय मे राजकुमार ने जीवंत अभिनय किया। अंत में दशरथ के विलाप के जीवंत अभिनय ने आये हुए दर्शकों के नेत्रों से अश्रुधारा निकाल दी।

ये भी पढ़ें- पार्किंग और बेड की किल्लत से मिलेगी निजात : बेसमेंट में खड़े होंगे वाहन, भूतल पर होगी इमरजेंसी

ताजा समाचार

मुरादाबाद: चीखता रहा युवक, फिर भी युवती दौड़ा-दौड़ाकर पीटती रही, सड़क पर मची अफरा-तफरी, जानिए पूरा मामला
प्रयागराज: प्रसव पीड़ा से कराहते डेढ़ किमी पैदल चली गर्भवती, बच्चे को एंबुलेंस में दिया जन्म
बरेली: महाराष्ट्र से शहर पहुंचा सकलैनी कारवां, जंक्शन पर स्वागत
लखीमपुर खीरी: महिला पर बाघ ने किया हमला, घायल, गुस्साए ग्रामीणों ने किया हंगामा, वन कर्मियों ने समझा-बुझाकर कराया शांत
फेसबुक फ्रेंड ने होटल में मिलने बुलाया, दुष्कर्म करके बना ली वीडियो : 15 लाख ऐंठने के बाद भी यह फरमाइश
लखीमपुर खीरी: बाइक रोककर युवकों ने उप प्रधानाचार्य को पीटा, चार आरोपियों पर रिपोर्ट दर्ज