बरेली:लंबे इंतजार बाद अनीता को मिलीं पति की अस्थियां...अब हरिद्वार में करेंगी विसर्जित

ढाई हजार रुपये के लिए अस्थियां बंधक बनाए था देवर

बरेली:लंबे इंतजार बाद अनीता को मिलीं पति की अस्थियां...अब हरिद्वार में करेंगी विसर्जित

शिवांग पांडेय, बरेली,अमृत विचार। अनीता को उनके पति की अस्थियां मिल गईं। सोमवार सुबह अमृत विचार की खबर पढ़कर कई लोगों ने जब उनके देवर बाबू को बुलाकर लानत-मलामत की तो अस्थियों के बहाने अनीता का मकान कब्जाने का उसका मंसूबा धरा रह गया। कुछ देर आनाकानी के बाद उसने अस्थियां लाकर अनीता के सुपुर्द कर दीं। इसके बाद भरतौल की ग्राम प्रधान प्रवेश ने अनीता को विधवा पेंशन भी दिलाने का भरोसा दिलाया तो उनकी आंखों में आंसू आ गए।


भरतौल गांव में रहने वाली अनीता घर की तंगी से मजबूर होकर बीमार पति विजेंद्र पटेल को अकेला छोड़कर जुलाई में दोनों कमउम्र बेटों को साथ लेकर जूता फैक्ट्री में काम करने जयपुर चली गई थीं। सप्ताह भर ही गुजरा था कि पति की मौत हो गई। भरतौल में ही रहने वाले अनीता के देवर बाबू ने भाई का अंतिम संस्कार तो कर दिया लेकिन इसकी एवज में उनकी अस्थियां अपने पास रख लीं। अनीता विसर्जन के लिए मांगा तो उनके आगे पहले ढाई हजार चुकाने की शर्त रख दी। अनीता जयपुर से खाली हाथ लौटी थीं। सप्ताह भर मजदूरी की कमाई भी किराए में खर्च हो गई। उन्होंने पैसा बाद में चुकाने को कहा लेकिन बाबू नहीं माना। उनके मकान में भी अपना ताला डाल दिया।

कई दिन दोनों बेटों के साथ भटकने के बाद अनीता में सीबीगंज में किराए के एक कमरे का बंदोबस्त किया और कुछ घरों में काम करना शुरू कर दिया ताकि देवर का कर्ज उतारकर पति की अस्थियां लेकर उनका विसर्जन कर सकें। सोमवार को अनीता की इस बेबसी की खबर अमृत विचार में प्रकाशित हुई जिसके बाद सुबह ही प्रधान प्रवेश समेत कई लोगों ने पहले अनीता और फिर बाबू को गांव के पंचायत घर में बुलाया। प्रधान समेत सभी लोगों ने बाबू को जमकर खरीखोटी सुनाई। बाबू ने पहले अपना बचाव करने की कोशिश की, लेकिन फिर भाई की अस्थियां अनीता को सौंपने के लिए राजी हो गया।

मिट्टी में गाड़ रखा था अस्थियों का घट
भरतौल में ही दसवां स्थल हैं जहां लोग विसर्जन करने तक अस्थियों को किसी थैली या घट में टांग देते हैं। बाबू ने दसवां स्थल के ही पास भाई की अस्थियों के घट को मिट्टी में गाड़ दिया था। लोग उसे लेकर दसवां स्थल पहुंचे तो कुछ देर उसने जगह भूलने का बहाना किया, फिर अस्थियां निकालकर अनीता को दे दीं। पति की अस्थियां हाथ में आईं तो अनीता की आंखों में आंसू आ गए। इस मौके पर उन्होंने अमृत विचार का भी आभार जताया। ग्राम प्रधान प्रवेश ने उन्हें विधवा पेंशन बंधवाने का भी आश्वासन दिया है।

असिस्टेंट प्रोफेसर ने बुक कराया हरिद्वार का टिकट
अनीता की मजबूरी के बारे में पता चलने के बाद सोमवार को कई लोगों ने उनकी मदद की पेशकश की। कई लोग उनके देवर को ढाई हजार रुपये देकर उन्हें उनकी पति की अस्थियां दिलाने के लिए गांव पहुंचे लेकिन शर्मिंदा किए जाने के बाद वह बगैर पैसे लिए ही अस्थियां देने के लिए तैयार हो गया। अमृत विचार की खबर पढ़ने के बाद उत्तरांचल यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नवनीत शुक्ला ने भी अनीता से संपर्क किया और बुधवार को हरिद्वार जाकर अस्थि विसर्जन करने के लिए उनका ट्रेन टिकट भी बुक करा दिया।


उस पति के लिए जिसने प्रेमिका के चक्कर में पिला दिया था तेजाब
गांव के लोगों ने बताया कि जिस पति की अस्थियों के विसर्जन के लिए अनीता कई दिन से दर-दर भटक रही है, उसी ने आठ साल पहले उन्हें दवा के बहाने तेजाब पिला दिया था। गांव के लोगों के मुताबिक अनीता के पति विजेंद्र के किसी और महिला से प्रेम संबंध थे और वह उसके साथ शादी करना चाहता था। तेजाब पिलाए जाने के बाद बहुत मुश्किल से अनीता की जान बची थी। उनके दोनों फेफड़े खराब हो गए जिसकी वजह से अब भी उन्हें मेहनत का काम करने में काफी दिक्कत होती है। हालांकि कुछ समय बाद विजेंद्र को अपनी गलती का एहसास हुआ तो उसने अनीता से माफी भी मांगी थी।

 

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