प्रयागराज : संदेह का लाभ देते हुए 17 साल बाद हत्यारोपी को किया रिहा

प्रयागराज : संदेह का लाभ देते हुए 17 साल बाद हत्यारोपी को किया रिहा

प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट द्वारा हत्यारोपी ठहराए गए एक अभियुक्त को बरी करते हुए कहा कि आरोपी कुल 17 साल की सजा भुगत चुका है। आरोपी अक्टूबर 2007 से जेल में निरुद्ध है। इसके बावजूद उसके मामले पर समय से पहले रिहाई के लिए विचार नहीं किया गया जबकि मामले में शिकायतकर्ता और चश्मदीद गवाह के बयानों में भौतिक विरोधाभास पाया गया है।

अतः अपीलकर्ता को संदेह का लाभ देते हुए दोषसिद्धि और सजा के आक्षेपित आदेश को खारिज कर दिया गया। उक्त आदेश न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान और न्यायमूर्ति अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने महफूज की अपील को स्वीकार करते हुए पारित किया। मामले के अनुसार मृतक/दिनेश 19 अक्टूबर 2006 को अपने भाई के साथ घर लौट रहा था, तभी आरोपी और उसके भाई मुद्दू ने मृतक को रोक लिया और पैसे मांगे। मृतक के इनकार करने पर दोनों ने उस पर गोलियां चला दीं, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई।

ग्रामीणों के इकट्ठा होने पर आरोपी और मुद्दू भाग गए, लेकिन मुद्दू को ग्रामीणों ने पड़कर मार डाला। बाद में अपीलकर्ता के खिलाफ पुलिस स्टेशन कोतवाली, कन्नौज में आईपीसी की धारा 302 के तहत मामला दर्ज हुआ और ट्रायल कोर्ट ने उसे दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जिसे चुनौती देते हुए उसने हाईकोर्ट का रुख किया।  ‌याची के अधिवक्ता के तर्कों को सुनने के बाद कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि मामले की परिस्थितियां आरोपों की पुष्टि नहीं करती बल्कि शिकायतकर्ता के भाई की हत्या के संबंध में संदेह उत्पन्न करती हैं, क्योंकि ग्रामीणों ने लाठी और लोहे की छड़ों से बेरहमी से पीटकर अपीलकर्ता के भाई मुद्दू की हत्या की थी, लेकिन पुलिस ने ऐसे संज्ञेय अपराध में कोई कार्यवाही नहीं की और ना ही कोई प्राथमिकी दर्ज की गई।

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