मनुष्यों पर रोगाणुनाशक का छिड़काव प्रतिबंधित हो: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केन्द्र से कहा कि कोविड-19 के प्रबंधन के लिये मनुष्यों पर रोगाणुनाशक छिड़काव और अल्ट्रा वायलट किरणों का इस्तेमाल प्रतिबंधित करने के बारे में निर्देश जारी करे। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने सरकार से कहा कि इस संबंध …

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केन्द्र से कहा कि कोविड-19 के प्रबंधन के लिये मनुष्यों पर रोगाणुनाशक छिड़काव और अल्ट्रा वायलट किरणों का इस्तेमाल प्रतिबंधित करने के बारे में निर्देश जारी करे। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने सरकार से कहा कि इस संबंध में एक महीने के भीतर आवश्यक कदम उठाये जायें।

पीठ ने रोगाणुओं से मुक्त करने के लिये बनाये जा रहे द्वार के प्रयोग से लोगों पर रासायनिक छिड़काव एवं उसके उत्पादन पर तत्काल प्रतिबंध लगाने के लिये गुरसिमरन सिंह नरूला की जनहित याचिका पर यह फैसला सुनाया।

न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई के दौरान सात सितंबर को केन्द्र से सवाल किया था कि कोविड-19 के दौरान रोगाणुओं से मुक्त करने वाले रासायन का लोगों पर छिड़काव हानिकारक होने के बावजूद उसने अभी तक रोगाणुओं से मुक्त करने वाले द्वार के प्रयोग पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया है।

सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को बताया था कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 के रोगाणुओं से मुक्त करने के लिए मनुष्य पर परागामी किरणों के इस्तेमाल के बारे में किसी प्रकार की सलाह या दिशानिर्देश जारी नहीं किये हैं। उन्होंने कहा था कि रोगाणुओं से मुक्त करने के लिये किसी भी प्रकार के रासायनिक मिश्रण का छिड़काव भी मनुष्य के शरीर और मनोदशा के लिये हानिकारक है।

न्यायालय सालिसीटर जनरल से जानना चाहता था कि अगर रोगाणुओं से मुक्त करने के लिये द्वार नुकसानदेह हैं। केन्द्र इन्हें प्रतिबंधित क्यों नहीं कर रहा है। भारत सरकार की भूमिका तो आवश्यक मार्गदर्शन करने और वित्तीय मदद देने तक ही सीमित है। केन्द्र ने नौ जून को कहा था कि स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति की बैठक में रोगाणुओं से मुक्ति के लिये रसायन का छिड़काव करने वाले द्वारा बनाना और उनका छिड़काव करना या उनके धुंयें से मनुष्य पर पड़ने वाले प्रभावों की समीक्षा की गयी थी।

केन्द्र ने कहा था कि विशेषज्ञ समिति ने इस बात को दोहराया है कि इस तरह के द्वार चौखट या चैंबर्स के माध्यम से लोगों पर रसायन का छिड़काव उपयोगी नहीं है और यह संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने या संक्रमण की छोटी छोटी बूंदे इसके प्रसार की क्षमता कम नहीं करता है।