Shardiya Navratri 2024: सूनी गोद भरती मां शंकरी देवी...उन्नाव में आस्था का केंद्र बना मंदिर, प्रदेश भर से आते है भक्त, इस तरह से आप भी पहुंचे

सफीपुर क्षेत्र स्थित मंदिर में जिले के अलावा अन्य जिलों व प्रदेश भर से पहुंचते भक्त

Shardiya Navratri 2024: सूनी गोद भरती मां शंकरी देवी...उन्नाव में आस्था का केंद्र बना मंदिर, प्रदेश भर से आते है भक्त, इस तरह से आप भी पहुंचे

उन्नाव, (बृजेंद्र प्रताप सिंह)। अश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के साथ ही नवरात्र की शुरुआत हो रही है। जहां इन पावन दिनों में देवी मंदिरों में भारी भीड़ देखने को मिलती है। वहीं कस्बा स्थित मां शंकरी देवी प्राचीन सिद्धपीठ स्वरूप क्षेत्र की अधिष्ठात्री व आराध्य देवी के रूप में स्थापित हैं। 

वहीं कस्बे के सलींद रोड स्थित दुर्गा मंदिर, उम्मेदराय बाजार स्थित शीतला मंदिर ब्राह्मण टोला स्थित फूलमती देवी मंदिर, मिर्जापुर गांव स्थित माता हिंगलाज देवी मंदिर में भारी भीड़ रहती है। वहीं तहसील क्षेत्र के ही पंडाखेड़ा स्थित सिद्धपीठ माता मंशादेवी मंदिर में सच्चे मन से जाने वाले भक्तों पर मां की विशेष कृपा बरसती है।

माता शंकरी देवी मंदिर का इतिहास

कस्बा स्थित हरदोई-उन्नाव मार्ग किनारे स्थापित मां शंकरी देवी की इस पाषाण मूर्ति को नगर स्थित रानी तालाब में मुगल शासकों ने फेंका था। मां ने नगर के एक महंत को सपना दिया की मुझे तालाब से निकाल कर स्थापित करो। महंत ने नागरिकों को सपना बताया और सुबह नागरिको की मौजूदगी में उसी स्थान से पत्थर ब्राम्हण ने निकाला बस क्या था उसको चंद्रमौली नामक पेड़ के नीचे रख दिया। फिर धीरे- धीरे  मंदिर का निर्माण किया गया। 

जहां पूजन अर्चन होने लगी। मां शंकरी देवी मंदिर के भीतर दुर्लभ प्रजाति चंद्रमौली नामक पेड़ के नीचे एक प्राचीन पाषाण के रूप में विराजमान थी। पुरातत्व व पुरावशेष विभाग लखनऊ द्वारा इस पाषाण पत्थर को सैकड़ों वर्ष पुराना 12वीं सदी का बताया गया है। मंदिर के पुजारी देवकीनंदन ने बताया सदियों पुराना मंदिर क्षेत्र में आस्था का प्रतीक बना हुआ है। नागरिकों और क्षेत्र वासियों के लिए मां आराध्य देवी के रूप में विराजमान है। भक्तों की मुंहमांगी मुरादें मन्नतें पूरी करती है कोई खाली हाथ दर से वापस नहीं लौटता है।

मंदिर की विशेषता, यहां से कभी कोई खाली हाथ नहीं लौटा

मां शंकरीदेवी मंदिर के पुजारी देवकी नंदन के अनुसार नगर के उन्नाव-हरदोई मार्ग किनारे स्थित मां शंकरी देवी मंदिर में वैसे तो रोज ही भारी भीड़ रहती है। कितु नवरात्र के पावन मौके पर तो हजारों की भीड़ उमड़ती है। जिनके बच्चे नहीं होते वह माता रानी से मन्नत मानती हैं और मां की कृपा से सूनी गोद भर जाती है। उनके नाम की डाली व चढ़ावा चढ़कर मां की कृपा से प्राप्त शिशु का मुंडन संस्कार मां की चौखट पर करा उन्हें प्रसन्न किया जाता है। 

इसके अलावा सफीपुर नगर के निवासी¨हिंदू वर्ग के सभी लोग कुल देवी के रूप में सर्वप्रथम बहु को माता रानी की चौखट पर उतारती हैं और माँ के दर्शन पूजा कराके ही अपने अपने घरों में ले जाई जाती है ताकि मां की कृपा बनी रहे। इतना ही नहीं मान्यता है की मां की चौखट पर लड़कियों की दिखाई गोद भराई होती है क्योंकि आज तक किसी ने किसी भी लड़की को मां की चौखट पर अनफिट नहीं किया।

मां की चौखट पर लड़की दिखाई और गोद भराई की भीड़ लगी रहती है। बताते है की मां की चौखट पर जिसने जो कुछ मांगा उसे मिला कोई खाली हाथ नहीं लौटा मां ने सबकी मुरादें पूरी की हैं। नवरात्र में विशेष रूप से नव दिवस पूजन के बाद अंतिम दिन भंडारे के साथ ही पूजन का समापन होता है। 

कैसे पहुंचें मां के मंदिर

जिला मुख्यालय से 27 किमी उन्नाव-हरदोई मार्ग किनारे सफीपुर कस्बे में मां शंकरी देवी माता का प्राचीन सिद्धपीठ मंदिर स्थित है। उन्नाव या हरदोई की ओर से आने वाले भक्त रोडवेज या प्राइवेट बस से आ सकते हैं। वहीं, बालामऊ पैसेंजर भी मुफीद है। जिससे सफीपुर स्टेशन पर उतरकर मंदिर पहुंच सकते हैं।

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