Kanpur: केस्को कर्मियों के यहां लगेंगे तीन फेज स्मार्ट मीटर, अभी तक सिर्फ इतने रुपये देकर उठाते थे असीमित बिजली का फायदा

Kanpur: केस्को कर्मियों के यहां लगेंगे तीन फेज स्मार्ट मीटर, अभी तक सिर्फ इतने रुपये देकर उठाते थे असीमित बिजली का फायदा

कानपुर, अमृत विचार। कानपुर विद्युत आपूर्ति कंपनी वर्तमान में शहर में स्मार्ट मीटर लगाने पर पूरा जोर दे रही है। लेकिन केस्को के कर्मियों व अधिकारियों के आवासों पर ही स्मार्ट मीटर नहीं लगे हैं। 

अब केस्को अधिकारियों ने केस्को कर्मियों के यहां प्रथम चरण में तीन फेज के पांच सौ स्मार्ट मीटर लगाने की योजना तैयार की है। स्मार्ट मीटर लगने पर कर्मी अंधाधुंध बिजली का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। 

कानपुर विद्युत आपूर्ति कंपनी के शहर में साढ़े सात लाख उपभोक्ता हैं, जिनमे से एक लाख 52 हजार लोग स्मार्ट मीटर धारक हैं, लेकिन केस्को कर्मियों व अभियंताओं के आवासों पर स्मार्ट मीटर नहीं लगे हैं। 

केस्को में करीब 1100 कर्मी हैं, जिनमें अधिकारियों के साथ ही इंजीनियर और सबस्टेशन के कर्मचारी शामिल हैं। वर्तमान में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी केवल 417 रुपये प्रतिमाह का शुल्क देकर असीमित बिजली खर्च कर सकते हैं। 

वहीं, अधीक्षण अभियंता से लेकर अवर अभियंता 890 से 1560 रुपये का फिक्स चार्ज देकर बिजली का लाभ लेते हैं। इसके साथ ही एसी घर पर लगाने पर साढ़े छह सौ रुपये प्रतिमाह देना होता है। 

इनमे से कुछ कर्मी व अधिकारी बिजली का अंधाधुंध प्रयोग भी करते हैं, जिसपर अब रोक लगेगी। केस्को मीडिया प्रभारी श्रीकांत रंगीला के मुताबिक पहला स्मार्ट मीटर प्रबंध निदेशक के लाइट हाउस में लगाया जाएगा। 

पहले चरण में तीन फेज के पांच सौ मीटर लगाए जाएंगे। यह स्मार्ट मीटर सभी सरकारी आवासों में लगेंगे। आगामी सप्ताह में 10 हजार से ज्यादा स्मार्ट मीटर की आपूर्ति जीनस कंपनी करेगी। बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मियों को घर में कितनी बिजली खर्च हो रही है, उसका भी डेटा अब रखा जाएगा।

118 साल पहले शहर में पहली बार जले थे बल्ब

शहर में 25 दिसंबर 1906 को इंडियन इलेक्ट्रिक सप्लाई एंड ट्रैक्शन कंपनी ने क्रिसमस के दिन बिजली आपूर्ति शुरू की थी। सबसे पहले गिरजाघरों और यूरोपीय परिवारों के आवासों में बिजली जली थी। विद्युत कर्मी संगठन के पदाधिकारी भगवान मिश्रा के मुताबिक अंग्रेजों के जमाने में विभाग का मुखिया जिस आवास में रहता था, उसे लाइट हाउस के नाम से जाना जाता था। अब भी यह परंपरा चली आ रही है।

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