12 साल की उम्र में मस्तिष्क में 120 से अधिक सिस्ट, बच्चे के लिए डॉक्टर बने भगवान
बहराइच, अमृत विचार। मेडिकल कॉलेज में दुर्लभ न्यूरोसिस्टिसर्कोसिस के 120 से अधिक सिस्ट वाले मरीज़ का सफल उपचार कर उसे जीवन दान मिला है। मेडिकल कालेज के प्रोफेसर और अन्य डॉक्टरों की टीम ने इलाज कर किशोर को कोमा में पूरी तरह जाने से रोक लिया है। अब वह अन्य बच्चों की भांति रह सकेगा। जिले के रामगांव थाना क्षेत्र किशुनपुर मीठा गांव निवासी अर्जुन (12) अत्यंत दुर्लभ और जटिल न्यूरोसिस्टिसर्कोसिस (Neurocysticercosis) बीमारी की चपेट में आ गया। उसकी स्थिति कोमा के प्रथम चरण में पहुंच गई थी। महाराजा सुहेलदेव मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. संजय खत्री ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में किशोर इलाज के लिए आया। प्राचार्य के नेतृत्व में बाल चिकित्सा विभाग ने रोग का सफलतापूर्वक उपचार कर चिकित्सा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित किया है।
बाल चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ. परवेज के निर्देशन में, डॉ अरविंद शुक्ला वरिष्ठ परामर्शदाता बाल रोग विभाग की अनुभवी टीम ने यह चुनौतीपूर्ण केस संभाला। जिसमें मरीज़ के मस्तिष्क में 120 से अधिक सिस्ट पाए गए थे। मामला एक किशोर का था, जिसे गंभीर कोमा की स्थिति में अस्पताल में लाया गया था। महाराज सुहेलदेव मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने तुरंत प्रोटोकॉल के अनुसार इलाज शुरू किया। वरिष्ठ परामर्शदाता बाल रोग विभाग डॉ. अरविंद शुक्ला ने कहा कि जब बच्चा हमारे पास लाया गया था, तब वह कोमा में था। हमने पूरी टीम के साथ मिलकर प्रोटोकॉल के अनुसार उपचार किया और सभी ने अपनी ओर से भरपूर प्रयास किए। इलाज के परिणामस्वरूप बच्चे की स्थिति में निरंतर सुधार हुआ, और वह पूरी तरह से स्वस्थ होकर अस्पताल से छुट्टी पा सका। इस सफलता के लिए सहायक प्रोफेसर डॉ. मंजरी तिवारी और जूनियर डॉक्टर डॉ. जे पी मौर्य, डॉ. सूर्या, और डॉ. सौरभ सहित पूरी बाल चिकित्सा टीम ने समर्पण और कड़ी मेहनत के साथ महत्वपूर्ण योगदान दिया।
परजीवी है संक्रमण
मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के डॉक्टर अरविंद शुक्ला ने बताया कि न्यूरोसिस्टिसर्कोसिस एक गंभीर परजीवी संक्रमण है, जो टेपवर्म के अंडों से होता है और मस्तिष्क में सिस्ट के रूप में विकसित हो सकता है। इस जटिल स्थिति का सफल उपचार महाराज सुहेलदेव मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा देखरेख और विशेषज्ञता का प्रमाण है।
लखनऊ में भी नहीं हुआ सुधार
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर संजय खत्री ने बताया कि किशोर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। जिसके चलते उसने हैसियत के हिसाब से बहराइच और लखनऊ के विभिन्न अस्पतालों में इलाज करवाया, लेकिन सफलता न मिलने पर मेडिकल कॉलेज बहराइच में भर्ती कराया। टीम ने निशुल्क इलाज कर बालक को ठीक कर दिया है। उन्होंने बताया कि यह उपलब्धि भविष्य में इस तरह के गंभीर मामलों से निपटने में और अधिक आत्मविश्वास लाएगी।