संभल : शव लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीण, हंगामा

गांव में अतिक्रमण के कारण तंग रास्ते से नहीं निकली शव यात्रा, कलेक्ट्रेट परिसर में शव लाने को लेकर पुलिस से भिड़ी महिलाएं

संभल : शव लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे ग्रामीण, हंगामा

रास्ते से अवैध कब्जा हटाने के आश्वासन पर शव का किया अंतिम संस्कार, सांड के हमले से हो गई थी ग्रामीण की मौत

बहजोई/(संभल) अमृत विचार :  बहजोई थाना क्षेत्र में अतिक्रमण से रास्ता तंग हो जाने की वजह से शवयात्रा नहीं निकल पाई तो रास्ते पर कब्जे के विरोध में ग्रामीण सांड़ के हमले में ग्रामीण का शव लेकर कलेक्ट्रेट पहुंच गए। कलेक्ट्रेट परिसर में शव ले जाने पर अड़ी महिलाओं से पुलिस की जमकर नोकझोंक हुई। एएसपी व डिप्टी कलेक्टर ने रास्ता खाली कराने का आश्वासन दिया तब इस पर ग्रामीणों ने गांव में ले जाकर शव का अंतिम संस्कार किया।

मंगलवार को गांव बमनेटा निवासी ग्रामीण राजेंद्र की सांड़ के हमले में मौत हो गई थी।  पोस्टमार्टम के बाद गांव की दर्जनों महिलाएं व पुरुष राजेंद्र  के शव को लेकर कलेक्ट्रेट पर पहुंच गए। ग्रामीणों ने गांव के रास्ते पर अवैध कब्जे को लेकर हंगामा शुरु कर दिया। ग्रामीणों का कहना था कि गांव में कुछ दबंगों ने रास्ते की भूमि पर अपने मकान बना लिए हैं। तमाम कोशिशें के बावजूद कब्जा नहीं हटा है। उन्हें अंतिम संस्कार के लिए दीवार के ऊपर चढ़कर शव ले जाना पड़ता है।

हंगामा इतना बढ़ा कि महिलाएं शव कलेक्ट्रेट के अंदर ले जाने की जिद करने लगीं। सूचना पाकर डिप्टी कलेक्टर आनंद कटारिया व एएसपी दक्षिणी अनुकृति शर्मा भारी पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने हंगामा कर रही महिलाओं को समझाया लेकिन वह नहीं मानी। पुलिस से महिलाओं की जमकर नोकझोंक हुई। एएसपी ने ग्रामीणों को अवैध कब्जा हटाने का आश्वासन दिया तब कहीं जाकर 1 घंटे बाद महिलाएं शांत हुईं। उन्होंने शव ले जाकर गांव में अंतिम संस्कार किया।

डिप्टी कलेक्टर ने अवैध कब्जे का किया निरीक्षण

 ग्रामीणों की मांग के अनुसार डिप्टी कलेक्टर आनंद कटारिया पुलिस बल के साथ गांव में पहुंच गए। जहां उन्होंने ग्रामीणों के साथ अवैध कब्जे को लेकर सभी कागजात दिखाए और अपनी समस्या को बताया। जिसको लेकर डिप्टी कलेक्टर ने ग्रामीणों को समझाया कि वह डीएम को पूरी स्थिति से अवगत कराएंगे और जल्द ही जहां अवैध कब्जा है कागजात के अनुसार उसे हटाया जाएगा और ग्रामीणों को रास्ता दिलाया जाएगा।

गांव में अवैध कब्जे का यह है पूरा मामला

गांव में दो पक्ष हैं जिसमें एक पक्ष गांव के आगे रास्ते पर अपने मकान बनाकर रहता है तो दूसरा पक्ष उन मकानों के पीछे रहता है। पीछे रहने वाले पक्ष का कहना है कि उनके आगे कुछ ग्रामीणों ने सरकारी भूमि पर अपने मकान अवैध रूप से बना लिए हैं। वहीं रेलवे ने अपनी जमीन पर कब्जा करते हुए दीवार बना ली। जिससे गांव से निकलने का कोई रास्ता नहीं है। वहीं दूसरा पक्ष अपने मकान को सही बताता है।  4 वर्षों से विवाद चल रहा है।