राम मंदिर में अभी दर्शन नहीं करेंगे जगद्गुरु स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद 

गोध्वज यात्रा की शुरुआत करने के लिए अयोध्या पहुंचे ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य

राम मंदिर में अभी दर्शन नहीं करेंगे जगद्गुरु स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद 

बोले-जिसने भी खाए तिरुपति के लड्डू, सबमें आया होगा पाप का बोध 

अयोध्या,  अमृत विचार : गोध्वज यात्रा की रामनगरी से शुरुआत करने के लिए उत्तराखंड के जोशीमठ स्थित ज्योतिर्मठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती शनिवार को अयोध्या पहुंचे। जानकी घाट क्षेत्र स्थित चारु शिला मंदिर के राम हर्षण भवन में मंत्र उच्चारण के बीच शिष्यों ने उनका स्वागत किया गया। शाम को हनुमान गढ़ी पर दर्शन करने के बाद सरयू आरती में भी शामिल हुए। वह रविवार को क्षीरेश्वर नाथ मंदिर में पूजन कर राम मंदिर परिसर के शास्त्रीय सीमा रामकोट की परिक्रमा कर गोध्वज यात्रा को सफल बनाने के लिए रामलला से कामना करेंगे, लेकिन वह राम मंदिर में दर्शन करने के लिए नहीं जाएंगे। उनका मानना है कि पूर्व में ही इसकी जानकारी दे चुके हैं कि राम मंदिर का शिखर बनने के बाद ही मंदिर में प्रवेश करेंगे।

अयोध्या धाम में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने सवाल किया कि सरकार धर्म के काम क्यों कर रही है, धर्म के काम धर्माचार्यों को सौंपे। अयोध्या के धर्माचार्यों से अनुरोध है कि सब एकत्र हो जाएं। सरकार के हाथ से मंदिरों को छुड़ा धर्माचार्य अपने हाथों में लें, ताकि जो धार्मिक व्यवस्था है वह सुव्यवस्थित हो सके, जिससे सनातनी जनता ठगी न जाए। बताया कि रविवार को गोध्वज की स्थापना की जाएगी। कहा कि तिरुपति के लड्डू अयोध्या आए थे। यहां से लाखों लोगों को पहुंचाया गया। एक लड्डू जब प्रसाद का किसी के पास जाता है तो लोग उसमें से थोड़े-थोड़े टुकड़े-टुकड़े प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। जाने कितने लाख मुख में गए होंगे।

उन सबमें पाप बोध आ गया है। सनातनी जनता के सामने समस्या उत्पन्न हो गई है। उनको लग रहा है कि उनकी पवित्रता खंडित हो गई है। वे हमसे पूछ रहे हैं कि हम क्या करें। धर्म शास्त्रों के माध्यम से हमने उनसे कहा है कि बल व छल पूर्वक कोई कुछ करवा ले तो पश्चाताप न करो। पंचगव्य का प्राशन हिंदू कर ले तो वे पवित्र हो जाएंगे, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि किसने और किस कारण से यह किया है, यह जनता के सामने आना चाहिए और उनको कठोर से कठोर दंड दिया जाना चाहिए। एक सवाल के जवाब में कहा कि मंदिर हमारे लिए कभी महत्वपूर्ण नहीं रहा। हमारे लिए भगवान महत्वपूर्ण हैं। नाम, रूप, लीला और धाम इन चार रूपों में हम भगवान की आराधना करते हैं। अयोध्या श्रीराम का धाम है। जन्मभूमि है। इस कारण से इस स्थान का महत्व है। मंदिर बन गया है अच्छी बात है, नहीं तो भी जन्मभूमि हमारे लिए पूजनीय है। 

काशी-मथुरा की भूमि भी हमारे पास होनी चाहिए

 स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने काशी व मथुरा के सवाल पर कहा कि जो भूमि हमारे प्रभु की है, वो हमारे हाथ में होनी चाहिए। आश्चर्य इस बात का है कि कुछ लोग कब्जा जमा कर बैठे हैं और चाहते हैं कि कब्जा बरकरार रहे। ये हमारे ऊपर अत्याचार है। हम इसके लिए प्रयास कर रहे हैं तो इसमें क्या आश्चर्य है। हम उसको प्राप्त करने के लिए प्रयास करेंगे। अयोध्या के लिए आंदोलन खड़ा हुआ। आज हम सफल हो गए। जमीन हमारे पास है। श्रीराम विराजमान हैं।

ऐसी ही जो दूसरी भूमि है जिन पर अतिक्रमण किया गया है उनको भी हम प्राप्त करेंगे। अब समस्या ये है कि लोग ये कह रहे हैं कि राम आए, लेकिन राम के आने का परिणाम क्या है ये बड़ा सवाल देश में है। अब राम जी के आने का क्या प्रभाव है। देश में क्या अंतर हुआ। राम जी के आने का अंतर पहले देख लें। राम जी के आने से गौ माता की प्रतिष्ठा पुन: कायम होगी।

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