लखीमपुर खीरी: बाढ़ बनी मुसीबत; गांवों में नहीं मिल रही जमीन, नाव पर शव रखकर कराई अंतिम यात्रा

लखीमपुर खीरी: बाढ़ बनी मुसीबत; गांवों में नहीं मिल रही जमीन, नाव पर शव रखकर कराई अंतिम यात्रा

लखीमपुर खीरी, अमृत विचार। बाढ़ का दंश झेल रहे बाढ़ पीड़ितों को अपनों के शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए जगह तक नहीं मिल पा रही है। उन्हें अंतिम यात्रा के लिए नावों का सहारा लेना पड़ रहा है। ऐसा ही दिल को झकझोर देने वाला मामले सामने आया है। शव की अंतिम यात्रा का वीडियो देखकर हर कोई हैरान है।

शारदा नदी की बाढ़ से फूलबेहड़ के कई गांव बाढ़ की टपेट में हैं। शारदा नदी के तटबंध के भीतर खगई पुरवा, चकलुआ, चुखरी पुरवा, सिंधिया समेत कई गांव बाढ़ के पानी से घिरे हैं। आन-जाने का भी कोई रास्ता नहीं बचा है। बताते हैं कि मूड़ाधामू निवासी रामस्वरूप (80) अपने चचेरे भाई क्षत्रपाल पुत्र सोहन निवासी बसहा भूड़ के घर पर रहते थे। उनकी लंबी बीमारी के कारण मौत हो गई। 

बंधे के अंदर अधिकांश स्थानो पर लगभग 2-3 फीट बाढ़ का पानी होने के कारण शमशान और खेत जलमग्न है। रविवार को उनकी बीमारी से मौत हो गई। चारों तरफ बाढ़ का पानी भरा होने के कारण शव का अंतिम संस्कार करने भर को कहीं जगह नहीं थी। इस पर परिवार वालों ने नाव की व्यवस्था की और एक नाव पर चारपाई रखकर उस पर शव रखा। 

दूसरी नाव पर लकड़ियां और अन्य सामग्री रखकर परिजन सवार हुए। परिजनों ग्रामीणों के साथ करीब तीन किलामीटर का सफर तय किया। तटबंध पर जगह मिलने पर शव का अंतिम संस्कार किया। नाव पर चारपाई और उस पर रखा शव ले जाते किसी ने वीडियो बनाया और उसे वायरल कर दिया। वायरल वीडियो को देख लाग हैरान रह गए।

क्या कहते हैं एसडीएम सदर

एसडीएम सदर अश्विनी कुमार सिंह ने बताया कि संपर्क मार्ग भी जलमग्न होने के कारण आवागमन का एक मात्र साधन नाव है। ऐसी स्थिति में हल्का लेखपाल रमाकांत मौर्य शव को उनके परिजनों के साथ 02 सरकारी नाव से बंधे पर लाए थे और सम्मानपूर्वक अंतिम संस्कार किया गया। क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति को कोई असुविधा न हो। इसके लिए प्रशासन भोजन, पानी, आवागमन आदि मूलभूत सुविधाओ, आवश्यकताओं हेतु लगातार क्रियाशील है।

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