बरेली: रुहेलखंड विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग ही नहीं...आज भी लोगों के लिए अंग्रेजी स्टेटस सिंबल

आज भी लोग अंग्रेजी को ही उच्चतम शिक्षा का स्टेटस मान रहे

बरेली: रुहेलखंड विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग ही नहीं...आज भी लोगों के लिए अंग्रेजी स्टेटस सिंबल

बरेली, अमृत विचार। एक ओर जहां हिंदी दिवस मनाया जा रहा है तो दूसरी ओर रुहेलखंड विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग ही नहीं है। बरेली कॉलेज में हिंदी विभाग के शिक्षक डा. मनुप्रताप के अनुसार विश्वविद्यालय में केवल फंक्शनल हिंदी है, जबकि हिंदी का पूरा विभाग होना चाहिए। शिक्षकों का कहना है कि आज भी लोग अंग्रेजी को ही उच्चतम शिक्षा का स्टेटस मान रहे हैं।

क्या बोले शिक्षक-
विदेशों में कई जगह उनकी अपनी मातृ भाषाओं में मेडिकल व टेक्निकल शिक्षा दी जा रही है,अगर यही पद्धति हमारे यहां अपनाई जाती है तो लोग मजाक बनाने से पीछे नहीं हटती। हमारे यहां आज भी अंग्रेजी को ही उच्चतम शिक्षा का स्टेटस मानकर चला जा रहा है। -प्रो. परमजीत कौर, विभागाध्यक्ष हिंदी, बरेली कॉलेज

आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस की वजह से हिंदी का प्रचार प्रसार बढ़ रहा है, जो लेखक अंग्रेजी नहीं जानते हैं, वे भी अपनी रचनाएं किसी भी भाषा में बदल कर दूसरे देश के पाठकों तक पहुंचा पाएंगे। विदेशों में लोग हिंदी साहित्यों को अपनी भाषा में बदल कर पढ़ रहे हैं। - डा.अरविंद, हिंदी विभाग, बरेली कॉलेज

हिंदी भाषा कठिन है, इसलिए हिंदी टाइपिंग में भी लोगों को सीखने में काफी समय लग जाता है। इसमें एआई लाभकारी है। चाइना,जापान,अमेरिका में भी हिंदी सिखाई जा रही है, लेकिन देश के युवा हिंदी को वरीयता नहीं देते हैं। -अजीत कुमार, कॉलेज

हम हिंदी की बात करते हैं लेकिन जब अपने बच्चों को पढ़ाने की बात आती है तो हम अंग्रेजी स्कूल ढूंढते हैं, ये बहुत अफसोस का विषय है, अगर सभी लोग दूसरी भाषा को छोड़कर हिंदी को अपना लें तो निश्चित ही हिंदी राष्ट्र भाषा बन सकती है। -प्रो. सुषमा गोड़ियाल, हिंदी विभाग, बरेली कॉलेज