मणिपुर: ड्रोन और मिसाइल हमलों के खिलाफ मुख्यमंत्री सचिवालय, राजभवन के बाहर छात्रों का प्रदर्शन

मणिपुर: ड्रोन और मिसाइल हमलों के खिलाफ मुख्यमंत्री सचिवालय, राजभवन के बाहर छात्रों का प्रदर्शन

इंफाल। मणिपुर में हाल में हुए ड्रोन और मिसाइल हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग को लेकर इंफाल में स्कूल-कॉलेज के हजारों छात्रों ने सोमवार को राज्य सचिवालय और राजभवन के बाहर विरोध-प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी छात्रों ने राज्य की “क्षेत्रीय और प्रशासनिक अखंडता” की रक्षा करने की भी मांग की। मणिपुर में हाल के दिनों में ड्रोन से विस्फोटक गिराए जाने और मिसाइल दागे जाने सहित अन्य हिंसक घटनाओं में कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई और 12 से अधिक लोग घायल हो गए।

प्रदर्शनकारी छात्रों ने प्राधिकारियों के स्थिति से निपटने में कथित तौर पर नाकाम रहने को लेकर निराशा व्यक्त की। उन्होंने ‘मणिपुर जिंदाबाद’, ‘सभी अक्षम विधायक इस्तीफा दें’ और ‘राज्य सरकार को एकीकृत कमान सौंपें’ जैसे नारे लगाए। बाद में छात्रों के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और राज्यपाल एल आचार्य से मुलाकात की।

आचार्य से मिलने वाले छात्र प्रतिनिधियों ने संवाददाताओं को बताया कि उन्होंने हिंसा पर काबू पाने में कथित नाकामी के लिए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और राज्य सरकार के सुरक्षा सलाहकार को पद से हटाए जाने समेत छह मांगें रखी हैं। छात्रों ने एकीकृत कमान का नेतृत्व केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के पूर्व महानिदेशक (डीजी) कुलदीप सिंह से लेकर मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के हाथों में सौंपने का आह्वान भी किया है।

एकीकृत कमान राज्य में सुरक्षा अभियानों की देखरेख करती है और इसमें विभिन्न सुरक्षा एजेंसियां ​​शामिल हैं। मुख्यमंत्री से मिलने वाले कॉलेज छात्र एम सनथोई चानू ने संवाददाताओं से कहा, “हम बिना किसी व्यवधान के आराम से पढ़ाई करना चाहते हैं। हमने मुख्यमंत्री से संघर्ष को जल्द से जल्द समाप्त करवाने का आग्रह किया है।”

थौबल जिले में छात्रों ने राज्य की क्षेत्रीय एवं प्रशासनिक अखंडता की रक्षा सुनिश्चित की मांग करते हुए और किसी भी तरह के अलग प्रशासन का विरोध करते हुए एक रैली निकाली। इसी तरह, काकचिंग जिले में हजारों लोगों ने संदिग्ध कुकी उग्रवादियों द्वारा नागरिकों की हत्या किए जाने के विरोध में एक बड़ी रैली आयोजित की। उन्होंने परिचालन निलंबन (एसओओ) समझौते को रद्द करने का आह्वान किया और राज्य सरकार से नागरिकों के खिलाफ हिंसा से निपटने में अधिक तत्परता दिखाने का आग्रह किया।

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