मुरादाबाद : जिला अस्पताल से दिल्ली तक लगाई दौड़ पर नहीं बचा पाए बिटिया

संभल जिला अस्पताल से दिल्ली के लिए किया गया था रेफर, 17 घंटे रहे थे फिर दिल्ली से बेटी को लेकर लौट आए थे माता-पिता

मुरादाबाद : जिला अस्पताल से दिल्ली तक लगाई दौड़ पर नहीं बचा पाए बिटिया

मुरादाबाद, अमृत विचार। डिप्थीरिया रोगी बच्ची की मौत से परिवार डरा-सहमा है। मृतक बच्ची के माता-पिता ने उसे बचाने के लिए संभल जिला अस्पताल से दिल्ली तक दौड़ लगाई लेकिन, जीवित बचा नहीं पाए। सादिकपुर निवासी मुनेश कुमार का परिवार निर्धन है। छत तक नहीं है। खर-फूस के छप्पर तले जीवन गुजर-बसर कर रहे हैं।

उन्होंने बताया कि बताया कि उनकी बेटी कीर्ति की आयु अभी आठ वर्ष भी पूरी नहीं हुई थी। उसकी मौत से छह दिन पहले बुखार आया था और कान के पास गले में दर्द हो रहा था। परेशानी बढ़ी तो चंदौसी में नाक-कान-गला वाले प्राइवेट डॉक्टर के पास ले गए थे। डॉक्टर ने दवा देकर उन्हें संभल जिला अस्पताल में भेज दिया था, जहां डॉक्टरों ने इलाज किया और बिटिया को बड़ी बीमारी बताकर दिल्ली भेजा था।

मुनेश ने बताया कि वह मजदूरी करते हैं, रुपये नहीं थे। उधार लेकर दिल्ली के एक अस्पताल में पहुंचे थे, जहां डॉक्टर ने करीब 10 घंटे इलाज किया और फिर दूसरे अस्पताल के लिए रेफर कर दिया था। इस अस्पताल में वह करीब चार घंटे रुके, डॉक्टर ने बिटिया को आईसीयू में भर्ती करने की जरूरत बताई लेकिन उस अस्पताल में आईसीयू न होने से रेफर कर दिया गया था। मुनेश ने बताया कि वह और बिटिया भी बहुत परेशान हो चुकी थी। घर लौट आए थे। मुनेश को मलाल है कि धन के अभाव में वह बेटी का इलाज कराने में बेबस था। अच्छा इलाज न मिलने से उसकी बेटी की जान चली गई। उनके यहां 12 अगस्त को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी आए थे। 

उस समय बच्चे का स्वास्थ्य परीक्षण कर डिप्टी सीएमओ डॉ. संजीव बेलवाल ने बताया था कि प्रारंभिक जांच में बच्ची के गले में डिप्थीरिया के लक्षण प्रतीत हो रहे हैं। गले में सफेद रंग का पैच दिख रहा है। उन्होंने रविवार को बताया है कि बच्ची में डिप्थीरिया के प्रभाव की जांच के लिए सैंपल (स्वाब) लेकर जांच के लिए दिल्ली लैब में भेजा गया था, जो पॉजिटिव आया था। उधर, मुनेश ने बताया कि उसके दो बेटियां संक्रेश (15) और कीर्ति (8) थीं। कीर्ति की असमय मृत्यु हो गई। टीका के मामले में मुनेश ने बताया कि कीर्ति का जन्म उसके ननिहाल संभल के गांव गढ़ा में हुआ था। उस समय वह पंजाब में मजदूरी करने गया था। पत्नी मायके में रहती थी, कीर्ति के टीके नहीं लग पाए थे। बड़ी बेटी के टीके लगे हैं।

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