लखनऊः आकाशवाणी लगाने जा रहा 3 सितंबर को ब्रेक, श्रोता बोले अभी न तोड़ो लड़ी

लखनऊः आकाशवाणी लगाने जा रहा 3 सितंबर को ब्रेक, श्रोता बोले अभी न तोड़ो लड़ी

आकाशवाणी का जल संरक्षण अभियान साल पूरा करने वाला है। आंकड़ों की रौशनी में सब्जी विक्रेता राजू कनौजिया लोगों को जागरूक कर रहा है।

(शबाहत हुसैन विजेता) लखनऊ, अमृत विचार। रेडियो की दुनिया में पहली बार हुआ कि एक ही विषय पर साल भर से रोजाना बात की जा रही है। लोग तो रोज बदलते हैं लेकिन विषय कभी नहीं बदलता। फिर भी सुनने वालों का दिल अब तक नहीं भरा है। 3 सितम्बर 2024 को इस श्रृंखला का एक साल पूरा हो जाएगा और आकाशवाणी इसे विराम देने के मूड में है लेकिन श्रोताओं ने इसे जारी रखने के लिए अपनी आवाज बुलंद करना शुरू कर दी है।

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रेडियो के एफएम चैनल पर 3 सितम्बर 2023 को जल संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए एक श्रृंखला शुरू की गई थी बूंदों की न टूटे लड़ी। इस श्रृंखला को शुरू करने से पहले न कोई तैयारी थी न रिसर्च थी। जी-20 सम्मेलन के दौरान आकाशवाणी लखनऊ ने 3 सितम्बर 2023 को 1090 चौराहे पर 'जल के लिए चल' कार्यक्रम की घोषणा की। आकाशवाणी ने मानव श्रृंखला बनाने की योजना बनाई। लेकिन वहां इतनी भीड़ जमा हो गई कि रास्ते बंद हो गये। आकाशवाणी लखनऊ की कार्यक्रम प्रमुख मीनू खरे ने एलान किया कि हम यहां मानव श्रृंखला नहीं बना सके लेकिन रेडियो पर 100 दिन की श्रृंखला जरूर बनाएंगे। 'पानी कैसे बचाएं इस पर 100 दिन' तक रोजाना 'विशेषज्ञों' की बात सुनवाएंगे। तत्कालीन मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र से यह श्रृंखला शुरू हुई तो फिर आगे बढ़ती ही रही।

ऐसे तलाशे गए विशेषज्ञ
भीड़ के सामने एलान तो हो गया। मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र का साक्षात्कार भी रिकार्ड हो गया लेकिन 100 ऐसे लोग आएंगे कहां से जो जल बचाने की तकनीक सिखाएंगे। मीनू खरे ने सहयोगियों की बैठक बुलाई। जल पुरुष राजेन्द्र सिंह से बात करने का फैसला हुआ। फिर शोध शुरू हुआ। चेहरों की तलाश शुरू हुई। उत्तराखंड के पद्मभूषण अनिल जोशी, राजस्थान के पद्मश्री लक्ष्मण सिंह लापोरिया, बांदा के पद्मश्री उमाशंकर पाण्डेय, उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, इंदौर के संजय गुप्ता और वाटर एड के फर्रुख आर खान जैसे नामचीन लोग पानी की जरूरत और पानी को बचाने के तरीके बताने उतर आए।

प्रांत ही नहीं श्रृंखला में जल सहेलियां भी हुई शामिल 
अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, कन्याकुमारी, लद्दाख और गुजरात से विशेषज्ञ आने लगे और जल बचाओ अभियान का हिस्सा बनने लगे। बुंदेलखंड की अनपढ़ महिलाएं जो जल सहेलियों के रूप में काम करती हैं वह इस कार्यक्रम का हिस्सा बनीं। मेरठ की चौथी कक्षा में पढने वाली ऋषिता, कई घरेलू महिलाएं, कई नौकरशाह, नदियों के घाटों की सफाई करने वाले लोग इस अभियान से जुड़ते गए और 100 दिन की योजना अब साल पूरा करने जा रही है।

सब्जी बेचने वाले राजू को ऐसा भाया संदेश, वह खुद बनवाने लगा पोस्टर  
कई जल क्लब बन गए हैं। आलमबाग के सब्जी विक्रेता राजू कनौजिया इतना प्रभावित हो गए कि पानी बचाने और लोगों को जागरूक करने के लिए खुद के पैसों से पोस्टर छपवाकर लोगों तक जल बचाने का सन्देश भेजने लगे। राजू कनौजिया का पोस्टर 'रहिमन पानी राखिये बिन पानी सब सून' के सूत्र को बताते हुए यह सन्देश दे रहे हैं कि भारत को सावधान हो जाने की जरूरत है। उसके पास जरूरत का सिर्फ चार फीसदी पानी बचा है। वैश्विक जल के गुणवत्ता सूचकांक में दुनिया के 122 देशों में भारत 120वें नम्बर पर है। भयावह स्थिति है। 32.8 करोड़ हेक्टेयर में 22.8 करोड़ हेक्टेयर सूखाग्रस्त है। आंकड़े देखो, गंभीरता समझो, जल है तो कल है।

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