बाराबंकी: बैजनाथ रावत बने अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष, बधाई का सिलसिला जारी

भाजपाइयों में खुशी का माहौल, चर्चा में आया ग्राम भुलभूलिया 

बाराबंकी: बैजनाथ रावत बने अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष, बधाई का सिलसिला जारी

बाराबंकी, अमृत विचार। जिले का नाम सूबे में एक बार फिर चर्चा में है। इसका कारण है सांसद, विधायक और राज्यमंत्री रह चुके भाजपा के वरिष्ठ नेता 70 वर्षीय बैजनाथ रावत को उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाया जाना। इसमें कोई संदेह नहीं कि सरकार का यह चयन आसन्न उपचुनाव से पहले किया गया एक प्रयोग है ताकि यह चुनाव लोकसभा परिणाम के कटु अनुभव की याद मिटा सके। लेकिन बैजनाथ रावत का नाम सामने आना एक तीर से कई निशाने साधना जैसा भी है। 

बहरहाल, बाराबंकी जिले में खुशी की लहर है। अध्यक्ष बनाए जाने की खबर जंगल में आग की तरह फैली और मौखिक के साथ ही मोबाइल पर बधाई का सिलसिला शुरू हो गया। उनके आवास पर शुभचिंतकों के अलावा पार्टी नेताओं, कार्यकर्ताओं का मजमा लग गया। आयोग के अध्यक्ष बैजनाथ रावत ने अमृत विचार से वार्ता में सरकार के इस निर्णय पर अत्यंत खुशी जताई और पीएम मोदी व सीएम योगी का आभार जताया। उन्होंने कहा कि जो दायित्व उन्हें सौंपा गया है, उसका गंभीरता से निर्वाहन होगा। साथ ही सबको न्याय की दिशा में काम किया जाएगा।

एक बार सांसद, यूपी सरकार में राज्यमंत्री के साथ ही तीन बार विधायक रहने के बाद आमतौर पर पैर जमीन पर नहीं पड़ते लेकिन हैदरगढ़ क्षेत्र के ग्राम भुलभूलिया के रहने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता बैजनाथ रावत की अलग ही पहचान है। सादगी, ईमानदारी, मृदुभाषिता उनकी छवि तो इतने लंबे समय तक राजनीति करने के बाद भी किसी तरह की गुटबाजी से खुद को अलग रखना इनकी विशेषता रही। 

बाराबंकी की सक्रिय राजनीति से दूरी बनाकर अपने गांव में पशुओं की सेवा, खेती पाती की चर्चा के अलावा आमजन के दुख सुख में शामिल होना बैजनाथ रावत का शगल बन गया। कहा जा सकता है कि उनके इसी व्यक्तित्व और निर्विवाद छवि को पसंद करते हुए यूपी सरकार ने उन्हें राज्य अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाते हुए महत्वपूर्ण दायित्व ही नहीं सौंपा, बल्कि उन्हें उपेक्षित अनुभव करने के दर्द से मुक्ति भी दिलाई है।

साधारण जीवन बैजनाथ रावत की पहचान
25 जनवरी 1954 को बाराबंकी की सरजमी पर जन्मे बैजनाथ बेहद साधारण से मकान में रहते हुए खेती करते हैं और खुद ही जानवरों को चारा खिलाते हैं। बैजनाथ को कामयाबी तो खूब मिली लेकिन उनके पैर हमेशा जमीन पर रहे। आज भी बैजनाथ लोगों से उसी अंदाज में मिलते हैं, जैसे वो विधायक और मंत्री बनने से पहले मिले। इलाके के लोग भी उनकी ईमानदारी और सादगी के कायल हैं। बैजनाथ रावत के मुताबिक वह तीन बार विधायक बने लेकिन तीनों बार उनका कार्यकाल कम रहा, इसलिए उन्हें काम करने का मौका नहीं मिला। 1998 में वह बाराबंकी सीट से जीतकर संसद पहुंचे थे, तीन बार विधायक रहे तो एक बार यूपी में बिजली राज्य मंत्री भी। आजीवन भाजपा का कार्यकर्ता रहे बैजनाथ रावत ने एक बार पाला भी बदला और समाजवादी पार्टी का दामन थामा। फिर उनका मन ऊब गया और वह अपने पुराने परिवार में आ गए।

राज्य अनुसूचित जाति जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनते ही बैजनाथ रावत को बधाईयाें का दौर शुरू हो गया। शनिवार को सूबे के खाद्य एवं रसद राज्य मंत्री सतीश शर्मा के अलावा जिला मुख्यालय से उनके आवास पहुंचे नेताओं और कार्यकर्ताओं ने उन्हे मालाओं से लाद दिया। उधर सिद्धौर प्रतिनिधि के अनुसार प्रदेश महामंत्री एवं पूर्व सांसद प्रियंका सिंह रावत ने साल एवं पुष्प गुच्छ देकर उन्हें बधाई दी।

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