नौ तरह के मच्छरों के आतंक से लोग हो रहे बीमार, यहां पढ़ें...कौन हैं ऐसे मच्छर जो चूस रहे लोगों का खून
कानपुर, अमृत विचार। वर्तमान में शहर में तीन प्रजातियों के नौ मच्छर हावी हैं, जो लोगों का खून चूस कर उन्हें बीमार कर रहे हैं। घर के अंदर और बाहर दोनों ही जगहों पर इन प्रजातियों का राज है। पूर्व में चले अभियान के दौरान हुए सर्वे में इन मच्छरों की पहचान स्वास्थ्य विभाग द्वारा की गई है।
बारिश के मौसम में मच्छरों के आतंक से लोगों को बचाने के लिए जिले में संचारी रोग नियंत्रण अभियान का संचालन किया गया था, जिसकी शुरुआत एक जुलाई को उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने रामादेवी स्थित कांशीराम अस्पताल से की थी। इसके बावजूद इन दिनों अधिकांश घरों में मच्छरों का आंतक है।
जिला मलेरिया विभाग के सर्वे में जानकारी मिली है कि वर्तमान में तीन प्रजातियों के नौ मच्छर शहर में भिनभिना रहे हैं। मच्छरों की प्रजातियों में एडीज, एनाफिलीज और क्यूलैक्स हैं। इनमें सबसे बड़ा खानदान क्यूलैक्स मच्छरों का है। इस प्रजाति के सबसे अधिक चार प्रकार के मच्छर हैं।
साथ ही एनाफिलीज प्रजाति के तीन और एडीज प्रजाति के दो मच्छर लोगों का खून पी रहे हैं। क्यूलैक्स इकलौता ग्रुप है, जिसके मच्छर पूरे शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में फैले हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि वैसे तो मच्छरों की तीन हजार प्रजातियां होती हैं, लेकिन इनमें ज्यादातर शाकाहारी हैं।
मानव रक्त की शौकीन ये तीन प्रजातियां शहर मौजूद में हैं। ये खून पीने के साथ लोगों को गंभीर रोग देती है। इसलिए मच्छरों से बचाव के लिए प्रतिवर्ष 20 अगस्त को विश्व मच्छर दिवस मनाया जाता है।
सभी जगह जाकर सैंपलिंग करते हैं विशेषज्ञ
जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह ने बताया कि शहर और ग्रामीण क्षेत्रों का लगातार सर्वे किया जाता है। कीट विशेषज्ञ क्षेत्रों में जाकर सैंपलिंग करते हैं। क्यूलैक्स मच्छर गंदे पानी में होता है। जहां नालियां बजबजाती हैं और पानी नहीं निकल पाता, वहां यह मच्छर पनपने लगता है।
जहां झाड़ियों, जमीन के गड्ढों में पानी भरा रहने और हैंडपंपों का इस्तेमाल अधिक होता है, वहां एनाफिलीज पनप जाते हैं। दोनों मच्छर घर के बाहर होते हैं। घरों में एसी, कूलर, फ्रिज और पानी भरे कंटेनर में एडीज की प्रजातियां पनपती हैं।
क्यूलैक्स
गंदे पानी में पनपता है। इसकी चार प्रजाति क्यूलैक्स पिपियंस, क्विनक्वेफासियाटस, विश्नुई, ट्राइटिनियोरिंकस हैं। इनके काटने से फाइलेरिया, जापानी इंसेफ्लाइटिस, हाइड्रोसील, स्तन में सूजन का रोग, सूखी खांसी, सफेद पेशाब आना (काइलोरिया) आदि रोग हो सकता है। इसकी गिरफ्त में शहर व ग्रामीण के अधिकांश इलाके हैं।
एडीज
यह साफ पानी में पनपता है। खासतौर पर कंटेनर, कूलर, फटे टायर आदि में पनपते हैं। इसकी दो प्रजाति एजिप्टाई व एल्बोपिक्टस हैं। इन मच्छरों के काटने से चिकुनगुनिया, डेंगू, जीका और इंसेफ्लाइटिस आदि रोग हो सकते हैं। इन मच्छरों का प्रभाव रामनगर, सिविल लाइंस, हरजिंदर नगर, जनरलगंज, जाजमऊ, पटेलनगर, गुजैनी, बर्रा विश्व बैंक व यशोदा नगर समेत आदि मोहल्लों में हैं।
एनाफिलीज
यह जमीन के गड्ढों में भरे साफ पानी में पनपता है। इसकी तीन प्रजाति स्टीफेंसाई, प्यूलीसिफेस, गैंबी हैं, जिनसे मलेरिया वाइवैक्स और फेल्सीपेरम आदि रोग होता है। इनका प्रभाव झकरकटी के आसपास की बस्तियों, चौक सराफा, सिविल लाइंस, गुप्तार घाट, भगवतदास घाट, भैरोघाट, मैस्कर घाट, गीता नगर, परेड, जरौली, नौबस्ता, चकेरी, गोविंद नगर, बिधनू, पनकी समेत आदि मोहल्लों में है।