Independence Day 2024 : देश की स्वतंत्रता के संबंध में दो बार रामपुर आए थे महात्मा गांधी

मौलाना मोहम्मद अली जौहर के साथ नवाब हामिद अली खां से की थी मुलाकात,  बी अम्मा ने महात्मा गांधी को सिलकर दी खद्दर की टोपी

Independence Day 2024 : देश की स्वतंत्रता के संबंध में दो बार रामपुर आए थे महात्मा गांधी

शहर के मोहल्ला चौक मोहम्मद सईद खां स्थित मौलाना मोहम्मद अली जौहर का आवास...मौलाना मोहम्मद अली जौहर और महात्मा गांधी।

सुहेल जैदी, अमृत विचार। शहर के मोहल्ला चौक मोहम्मद सईद खां से क्रांति की अलख जगी। मौलाना मोहम्मद अली जौहर के आवास पर महात्मा गांधी की मौजूदगी में लाहौर अधिवेशन का खाका तैयार हुआ। डॉ. जहीर अली सिद्दीकी बताते हैं कि इस सिलसिले में महात्मा गांधी दो बार रामपुर आए थे और मोहल्ला चौक मोहम्मद सईद खां स्थित मौलाना के आवास पर तीन दिन तक रहे। दूसरी बार रामपुर आने पर वह मौलाना के साथ नवाब हामिद अली खां के साथ कोठी खासबाग पहुंचे। लेकिन, इससे पहले मौलाना की मां बी अम्मा ने महात्मा गांधी को टोपी सिलकर दी। यह टोपी गांधी कैप के नाम से प्रसिद्ध हुई।  

मौलाना मोहम्मद अली जौहर ने अंग्रेजों से लड़ने और हिंदू-मुस्लिम एकता कायम करने के लिए रातों की नींद और दिन का चैन न्यौछावर कर दिया था। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ते हुए कई साल जेल में भी गुजारे थे। मौलाना मोहम्मद अली जौहर आजादी का परवाना लेने के लिए बीमारी की हालत में स्ट्रेचर पर लेट कर गोलमेज कांफ्रेंस में भाग लेने लंदन पहुंचे थे। 20वीं शताब्दी की शुरूआत में उर्दू में साप्ताहिक, दैनिक अखबार और पत्रिकाएं छापी जाती थीं। उन्हीं में से एक मौलाना मोहम्मद अली जौहर का दैनिक अखबार हमदर्द भी था। यह 23 फरवरी 1913 से दिल्ली से प्रकाशित होना शुरू हुआ। शुरू में इसमें केवल दो पृष्ठ होते थे, लेकिन बाद में यह आठ पृष्ठों का हो गया। इसका मकसद हिंदुस्तानी अवाम और खास कर हिंदुओं व मुसलमानों में एकता का जज्बा पैदा करना था।

नजीबाबाद के रहने वाले थे मोहम्मद अली जौहर के पूर्वज
इतिहासकार डॉ. जहीर सिद्दीकी बताते हैं कि मौलाना मोहम्मद जौहर अली के पूर्वज नजीबाबाद के रहने वाले थे। आखिरी मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की हिफाजत के लिए 1857 में वे लोग दिल्ली चले गए थे। पहली जंग-ए-आजादी में मोहम्मद अली के 200 से अधिक रिश्तेदार शहीद हो गए थे। मुगलिया हुकूमत के जवाल के बाद मोहम्मद अली के दादा रियासत रामपुर आए और यहीं मुकीम हो गए। मौलाना मोहम्मद अली जौहर 10 दिसंबर 1878 को रामपुर में पैदा हुए। बचपन में ही पिता का साया सिर से उठने के कारण पालन-पोषण और शिक्षा की जिम्मेदारी उनकी मां बी अम्मा को निभानी पड़ी।

उर्दू और फारसी की प्रारंभिक शिक्षा घर हुई। इसके बाद उन्होंने बरेली के विद्यालय से हाईस्कूल किया। आगे की पढ़ाई के लिए वह अलीगढ़ गए और वहीं उन्होंने बीए की परीक्षा उत्तीर्ण की। बड़े भाई शौकत अली की तमन्ना थी कि मोहम्मद अली आईसीएस (इंडियन सिविल सर्विसेज) की परीक्षा पास करें। इसके लिए उन्हें ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय भेजा गया, लेकिन मौलाना वहां असफल रहे। लंदन से वापसी के बाद मौलाना चाहते थे कि वह अलीगढ़ में शिक्षक की हैसियत से अपनी सेवाएं दें  लेकिन उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी। विवश होकर उन्हें रामपुर में उच्च शिक्षा अधिकारी के पद पर काम करना पड़ा।

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