मुरादाबाद : अभियान के अंतिम दिन बच्चों के पेट में कीड़े नष्ट करने को खिलाई एल्बेंडाजोल, जानें क्या होंगे फायदे
राष्ट्रीय कृमि मुक्त दिवस...एक से 19 वर्ष तक की आयु के बच्चों को दी जा रही एल्बेंडाजोल की खुराक
कृमि मुक्ति दिवस पर मदरसा अरबिया इमदादिया में बच्चों को दी जा रही एल्बेंडाजोल की खुराक
मुरादाबाद। राष्ट्रीय कृमि मुक्त दिवस के अभियान का बुधवार को अंतिम दिन है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पहले दिन के अभियान (9 अगस्त) में दवा खाने से छूटे बच्चों में पेट के कीड़ों की समस्या को दूर करने के लिए उन्हें एल्बेंडाजोल की टेबलेट खिला रहे हैं। यह कार्यक्रम सभी विद्यालयों, मदरसों और आंगनबाड़ी केंद्रों पर चल रहा है। जिला समन्वयक राष्ट्रीय कृमि मुक्ति अभियान नाजिम खान ताजपुर ब्लॉक के भैंसिया गांव के प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को दवा खिला रहे थे। विद्यालय की प्रधानाचार्य मोनिक गर्ग ने बताया कि उनके विद्यालय में 209 बच्चे हैं। इनमें आज 169 बच्चों को दवा खिलाई जा रही है। शेष बच्चे अभियान के पहले दिन ही दवा खा चुके थे।
इसी तरह जिला समन्वयक ने बताया कि नोडल अधिकारी डॉ. देवीदास आज लखनऊ प्रशिक्षण में गए हुए हैं। स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी जिले के विभिन्न हिस्सों में उपस्थित रहकर बच्चों को एल्बेंडाजोल की खुराक दे रहे हैं। जिला समन्वयक ने बच्चों को समझाया कि शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ होने पर ही पढ़ने में मन लगेगा और आप अपने डॉक्टर, इंजीनियर या आईएएस-आईपीएस बनने के सपने को पूरा कर पाएंगे। इसलिए जरुरी है कि आपके पेट में कीड़े न पनपने पाएं, नहीं तो वह आपके शारीरिक एवं मानसिक विकास को रोक देंगे। उन कीड़ों के अंडे आपके दिमाग पर चढ़ जाएंगे। जिससे बच्चे तमाम तरह की बीमारियों से प्रभावित हो जाएंगे।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के नोडल अधिकारी डॉ. भारत भूषण ने भी बच्चों को एल्बेंडाजोल क्यों खानी चाहिए, इसके बारे में बताया कि बच्चों में कृमि संक्रमण का प्रभाव भले तुरंत दिखाई न दें, लेकिन स्वास्थ, शिक्षा और संपूर्ण विकास को लंबे समय तक नुकसान पहुंचा सकते हैं। कृमि नाशक दवाई से बच्चों के संपूर्ण शारीरिक और मानसिक विकास में मदद मिलती है।
एसीएमओ ने कहा कि बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए कृमि नाशक दवा जरूरी है। एल्बेंडाजोल एक कृमि (पेट के कीड़े) नाशक दवा है, जिसे लेने से बच्चों के पेट के कीड़े खत्म हो जाते हैं। एक से दो वर्ष के बच्चों को एल्बेंडाजोल की आधी गोली पीसकर पानी में घोल कर दी जा सकती है, जबकि दो वर्ष से तीन वर्ष तक के बच्चों को एक गोली पीसकर दे सकते हैं। वहीं, तीन वर्ष से 19 वर्ष तक के बच्चों व किशोर-किशोरियों को यह टेबलेट चबाकर खानी है।
18.29 लाख बच्चों को मिलेगी खुराक : सीएमओ
सीएमओ डॉ. कुलदीप सिंह ने बताया कि पूरे जिले में 18.29 लाख 800 बच्चों को दवा खिलाने के लिए लक्षित किया गया है। सभी 2770 आंगनबाड़ी केंद्र, 4,158 स्कूलों और 59 मदरसों में अध्ययन करने वाले बच्चों को एल्बेंडाजोल की खुराक दी जा रही है। सीएमओ ने बताया कि आज बुधवार को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का माॅपअप राउंड चल रहा है, इसमें छूटे हुए बच्चों को समस्त सरकारी, निजी विद्यालयों व सभी आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत बच्चों को एल्बेंडाजोल की गोली खिलाई जा रही है। इस दौरान निजी शैक्षणिक संस्थानों पर भी खासा फोकस किया जा रहा है।
भोजन के बाद दी दी जा रही है गोली
सीएमओ डॉ. कुलदीप सिंह ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकत्री की मदद से एक वर्ष से पांच वर्ष तक के पंजीकृत बच्चों और 6 वर्ष से 19 वर्ष तक के स्कूल नहीं जाने वाले बालक-बालिकाओं को दवा खिलाई जा रही है। वहीं, 6 से 19 वर्ष तक के छात्र-छात्राओं को उनके शिक्षकों के माध्यम से दवा का सेवन सुनिश्चित कराया जा रहा है। यह दवा चबाकर खानी है, जबकि किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त बच्चे या किशोर को दवा नहीं खिलाई जाएगी। छोटे बच्चों को गोली निगलने में परेशानी हो सकती है, इसलिए ऐसे बच्चों को गोली पीसकर खिलाई जा रही है। बच्चों को स्कूलों में दोपहर के भोजन के बाद गोली दी जा रही।
यह होंगे फायदे
एसीएमओ डॉ. भारत भूषण ने बताया कि कृमि मुक्ति से स्वास्थ्य और पोषण में सुधार होता है। शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। एनीमिया नियंत्रण रहता है। बच्चों में सीखने की क्षमता में सुधार होता है। बच्चे अक्सर जमीन में गिरी चीज उठाकर खा लेते हैं। कई बार वह नंगे पैर ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं। इससे उनके पेट में कीड़े (कृमि) विकसित हो जाते हैं। इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है। वह एनीमिया से ग्रसित हो जाता है। एल्बेंडाजोल खा लेने से यह कीड़े पेट से बाहर हो जाते हैं। इससे शरीर में आयरन की शोषक क्षमता बढ़ जाती है और शरीर में एनीमिया यानि खून की कमी दूर होती है।
कृमि संक्रमण के लक्षण
- पेट में दर्द, दस्त, कमजोरी, उल्टी और भूख न लगना
- बच्चे के पेट में कीड़े की मात्रा जितनी अधिक होगी, संक्रमित व्यक्ति के लक्षण उतने ही अधिक होंगे
- हल्के संक्रमण वाले बच्चों में आमतौर पर कोई लक्षण नहीं दिखते हैं।
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