बरेली: शब्बू मियां थे शहर की शान, निधन पर गमजदा दिखे हिंदू और मुसलमान
विश्वप्रसिद्ध खानकाह-ए-नियाजिया की खिदमत करते-करते खुद बन गए थे उसकी पहचान
बरेली, अमृत विचार: खानकाह-ए-नियाजिया का निजाम चाहे जिसके हाथ में रहा हो, लेकिन शब्बू मियां नियाजी ही तमाम साल से उसकी असल पहचान थे। खानकाह पर किसी भी तबके की कोई भी शख्सियत चाहे जिस मकसद से पहुंचती हो, उसकी पहली तलाश शब्बू मियां ही होते थे। मंगलवार देर शाम उनके दुनिया से चले जाने की खबर पता चलते ही जिस तरह ख्वाजा कुतुब में उनके आवास पर लोगों का तांता लगना शुरू हुआ, उसने भी यही जताया कि शब्बू मियां किसी के लिए गैर नहीं थे।
शब्बू मियां ने खानकाह की खिदमत करते हुए जिंदगी के 44 साल गुजारे थे। उनके दिल में हर किसी के लिए दुआ-ए-खैर थी जो हमेशा उनके व्यवहार में भी झलकती थी। इसी ने जाति और धर्म की सीमाएं तोड़कर उन्हें हर किसी का अपना बना दिया था। खानकाह के मीडिया प्रभारी कासिम नियाजी के मुताबिक 1958 में जन्मे मोहम्मद सिब्तैन उर्फ शब्बू मियां ने पूरी जिंदगी सामाजिक कामों में गुजारी। सिर्फ 15 साल की उम्र से खानकाह की खिदमत में जुट गए और 1980 में यहां के प्रबंधक बने। खानकाह में तो कोई भेदभाव था ही नहीं, जब भी जरूरत पड़ी वह समाज में सूफी विचारधारा के जरिए शांति का पैगाम देने सबसे पहले निकले। हिंदुस्तान के बाहर भी उन्होंने देश में गंगा-जमुनी तहजीब कायम रखने की पैरवी की।
शब्बू मियां के दो बड़े भाई हजरत हसनी मियां और शब्बर मियां पहले ही दुनिया से रुखसत हो चुके हैं। दोनों बेटियों की शादी हो चुकी है। वह खानकाह-ए-नियाजिया के पूर्व सज्जादानशीन और बड़े भाई हसनी मियां के खलीफा भी थे। उनके निधन से सज्जादानशीन मेहंदी मियां भी बेहद गमजदा नजर आए।
आज होंगे सुपुर्द-ए-खाक
मीडिया प्रभारी के मुताबिक बुधवार दोपहर 12: 45 बजे जोहर की नमाज के बाद ख्वाजा कुतुब की ही मस्जिद बीबी गरीब नवाज में उनके जनाजे की नमाज अदा की जाएगी। इसके बाद उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा।
कई हस्तियां थीं शब्बू मियां की शख्सियत की कायल
शब्बू मियां की खुशमिजाजी और अपनेपन की वजह से तमाम हस्तियां उनकी शख्सियत की कायल थीं। वह सूफियाना तबीयत के शख्स होने के साथ कला और संगीत में काफी दिलचस्पी रखते थे। बड़े-बड़े फनकारों की महफिल में शिरकत करना उनका शौक था। संगीतकार एआर रहमान, फिल्म कलाकार मनोज वाजपेयी, शास्त्रीय गायिका मधुमिता जैसे नाम भी उनके चाहने वालों में शामिल हैं। फिल्म अभिनेता शाहिद कपूर की मां शहनाज कुछ साल पहले बेटे के लिए दुआ कराने खानकाह आई थीं तो शब्बू मियां से लंबी मुलाकात की थी।
शहर झुलसा तो अमन का पैगाम लेकर निकले
शब्बू मियां को शहर में गंगा जमुनी तहजीब बचाए रखने के लिए जाना जाता था। इसकी मिसाल लोगों ने तब भी देखी जब 2010 और 2012 में शहर दंगे की आग में जलने लगा था। शब्बू मियां उस वक्त शांति मार्च लेकर निकले थे। लोगों ने शब्बू मियां की बात सुनी और धीरे-धीरे दंगा शांत हुआ। कोरोना काल में भी उन्होंने लोगों की काफी मदद की थी।
शब्बू मियां के जाने से देश को नुकसान: तौकीर
आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खान ने ख्वाजा कुतुब पहुंचकर सज्जादानशीन मेहंदी मियां और परिवार के लोगों से मुलाकात की। मौलाना ने कहा कि शब्बू मियां नियाजी का दुनिया से रुखसत होना बरेली के साथ देश का भी बड़ा नुकसान है। उनके साथ मुनीर इदरीसी, डॉ. नफीस खान,अफजाल बेग, नदीम कुरैशी भी थे।
अमन की कोशिशों के लिए जाने जाएंगे
सोशल एक्टिविस्ट एडवोकेट मुहम्मद खालिद जीलानी ने कहा कि सौहार्द के अलंबरदार शब्बू मियां की अमन की कोशिशों को भुलाया नहीं जा सकता। बहेड़ी विधायक व सपा के प्रदेश महासचिव अता उर रहमान ने कहा कि शब्बू मियां नियाजी का चले जाना देश दुनिया के लिए बड़ी हानि है। आंवला सांसद नीरज मौर्य और प्रदेश प्रवक्ता मयंक शुक्ला ने भी शब्बू मियां नियाजी की रुख्सती पर शोक जताया।
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