अनुसंधान की चुनौतियां

कोई देश विकास के पथ पर तभी आगे बढ़ सकता है जब वहां सूचना और ज्ञान आधारित वातावरण बने और शोध तथा अनुसंधान के पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हों। विज्ञान ही है, जिसके माध्यम से भारत अपने वर्तमान को बदल रहा है और भविष्य को सुरक्षित रखने का कार्य कर रहा है। भारतीय वैज्ञानिकों का जीवन और कार्य प्रौद्योगिकी विकास तथा राष्ट्र निर्माण के साथ गहरी मौलिक अंतःदृष्टि के एकीकरण का शानदार उदाहरण रहा है। लेकिन कुछ तथ्य ऐसे भी हैं जो सोचने को विवश करते हैं आखिर क्यों भारत शोध कार्यों के मामले में चीन, जापान जैसे देशों से पीछे है? ऐसी कौन-सी चुनौतियां हैं जो अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में भारत की प्रगति के पहिये को रोक रही हैं?
हालांकि उभरते परिदृश्य और प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था में विज्ञान को विकास के सबसे शक्तिशाली माध्यम के रूप में मान्यता मिल रही है। इसके पीछे सरकार द्वारा किए गए प्रयासों को नकारा नहीं जा सकता। वैज्ञानिक उपलब्धियों को मान्यता देने के लिए देश के दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है। हाल ही में सरकार ने प्रतिष्ठित राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार के विजेताओं की घोषणा की है, जो विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के क्षेत्र में असाधारण योगदान को मान्यता देने वाला एक उच्च सम्मान है।
इस पुरस्कार का उद्देश्य वैज्ञानिकों, प्रौद्योगिकीविदों और नवप्रवर्तकों की व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से उल्लेखनीय उपलब्धियों को मान्यता देना है। पुरस्कार 23 अगस्त को प्रथम राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस पर प्रदान किए जाएंगे , जिस दिन चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर उतरने की उपलब्धि का जश्न मनाया जाएगा। पुरस्कार प्राप्त व्यक्तियों ने प्रभावशाली अनुसंधान, नवाचार या खोज के माध्यम से विशिष्ट योगदान दिया है जिससे समाज को लाभ हुआ है। पुरस्कार विजेताओं की सूची में खगोल भौतिकी से लेकर कृषि तक के क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला से जुड़े वैज्ञानिक शामिल हैं। टीम पुरस्कार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की ‘चंद्रयान-3 टीम’ को प्रदान किया गया है।
इन पुरस्कार विजेताओं में से अधिकांश केंद्रीय वित्त पोषित और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान, सीएसआईआर और परमाणु ऊर्जा संस्थानों जैसे भारत के सबसे विशिष्ट वैज्ञानिक एवं अनुसंधान संस्थानों से संबद्ध हैं। भारत में बहुत से वैज्ञानिक न्यूनतम निधि व घटिया उपकरणों के सहारे और हतोत्साहित करने वाले वातावरण के बीच काम करते हैं। विशिष्ट रूप से वैज्ञानिकों के लिए पुरस्कारों के पीछे का मूल मकसद उन्हें अनुसंधान से जुड़े रहने के लिए प्रोत्साहित करना है। कई क्षेत्रों में भारत में अनुसंधान और विकास कार्यों की रफ्तार तेज़ी से बढ़ रही है। इसलिए वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए बजटीय आवंटन बढ़ाने से विज्ञान की कहीं ज्यादा सेवा होगी।