Unnao: सावन में भक्तों की आस्था का केंद्र बना देवारा का वीरभद्रेश्वर मंदिर, सावन के सोमवार में देर रात तक लगता श्रद्धालुओं का तांता

Unnao: सावन में भक्तों की आस्था का केंद्र बना देवारा का वीरभद्रेश्वर मंदिर, सावन के सोमवार में देर रात तक लगता श्रद्धालुओं का तांता

उन्नाव, अमृत विचार। गंगाघाट के देवारा कलां गांव में स्थित वीरभद्रेश्वर मंदिर में सावन मास में मंदिर में दर्शन करने के लिये नगर व ग्रामीण क्षेत्रों के अलावा दूर दराज से लोग जलाभिषेक करने के लिये पहुंचते हैं। वहीं सावन के सोमवार को भोर पहर से ही मंदिर में भक्तों का सैलाब देखने को मिलता है, जो देर रात तक बराबर चलता रहता है। 

मंदिर प्रांगण में भीड़ लगने के कारण श्रद्धालु कतारों में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार करते रह हैं। बता दें देवारा कलां गांव में बना शिव मंदिर वीरभद्रेश्वर के नाम से जाना जाता है। सावन के पवित्र माह की प्रतिप्रदा से मंदिर प्रांगण में अखंड रामायण का पाठ होता है। जो कि निरंतर पूरे सावन भर लगातार चलता रहता है और अखंड ज्योति जलती रहती है। सावन माह की पूर्णिमा को विशाल भंडारे के साथ समाप्त होता है। 

मंदिर में दर्शन करने के लिये शुक्लागंज, कानपुर, उन्नाव व आस पास के ग्रामीण क्षेत्रों से भक्त मंदिर पहुंचकर विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से मंदिर में माथा टेकता है, शिव जी उसकी मनोकामना पूर्ण करते हैं। मनोकामना पूर्ण होने के बाद भक्त मंदिर में भव्य श्रंगार कराने के साथ ही अखंड रामायण पाठ और विशाल भंडारे के अलावा मंदिर निर्माण के लिये अपना सहयोग देते है। दिनों दिन मंदिर भव्य रूप लेता जा है। मंदिर प्रांगण में मेला भी लगता है।

यह है मंदिर का इतिहास

बुजुर्गों के अनुसार एक बार किसी खजाने की खोज मे शिवलिंग को हटाने का प्रयास किया और हथौडो से प्रहार किया। प्रहार होते ही हजारों की संख्या में विषैले काले-काले भौंरे निकल पडे और अंग्रेज़ कर्मचारियों पर हमला कर दिया। जिस पर अंग्रेज घायल हो गये और वहां से भाग निकले।

चमत्कार होने के बाद उमड़ने लगी भीड़

अंग्रेजों पर हमला होने के बाद आस पास रहने वाले लोगों ने वीरभद्रेश्वर महादेव का चमत्कार देखा। जिसके बाद लोगों ने शिवलिंग से छेड़छाड़ न करने को कहा और अंग्रेजो के अलावा ग्रामीणों ने महादेव की पूजा अर्चना की। जिसके बाद से मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगे।

केदारनाथ रूवरूप की तरह है शिवलिंग

वीर भद्रेश्वर का स्वरूप बाबा केदारनाथ से मिलता जुलता है। जिस पर सावन के अलावा लोग नित्य दर्शन करने के लिये भी मंदिर पहुंचते हैं। वहीं मंदिर में सावन, शिवरात्रि के अलावा ऐसे भी रूद्राभिषेक कराया जाता है।

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