प्रयागराज: चिकित्सीय साक्ष्य और मौखिक गवाहों में असंगति के आधार पर आरोपी को किया बरी
प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट में 6 वर्षीय नाबालिग की हत्या के आरोपी पिता को चिकित्सीय और प्रत्यक्षदर्शी बयानों में स्पष्ट असंगति के आधार पर आईपीसी की धारा 304 के तहत दोषसिद्धि से राहत देते हुए बरी कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि चिकित्सीय साक्ष्य और चश्मदीद गवाह के बयान में विरोधाभास स्पष्ट रूप से अभियोजन पक्ष के मामले पर संदेह उत्पन्न करता है। अतः संदेह का लाभ देते हुए न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति डॉ. गौतम चौधरी की खंडपीठ ने राजेंद्र योगी को अपर सत्र न्यायाधीश, मथुरा द्वारा दी गई आजीवन कारावास और एक लाख रुपए के अर्थदंड की सजा को रद्द करते हुए बरी कर दिया।
कोर्ट ने मामले की पृष्ठभूमि पर विचार करते हुए पाया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार मृतक की मौत गला घोंटने और ह्यॉयड हड्डी के टूटने से हुई जबकि गवाहों ने आरोप लगाया था कि मृतक धर्मेंद्र को मुक्कों और लातों से बुरी तरह पीटा गया था और बाद में उसके सिर को दीवार पर पटका गया था, लेकिन ना तो सिर पर कोई चोट पाई गई और ना ही मृतक के चेहरे या माथे पर कोई चोट के निशान थे।
हालांकि मृतक 6 वर्षीय नाबालिग बच्चा था, इसलिए उसके शरीर पर मृत्यु का कारण बनी गंभीर पिटाई से बने चोट के निशान मौजूद होने चाहिए थे। इस प्रकार मौखिक गवाही और चिकित्सीय साक्ष्य के बीच विरोधाभास को ट्रायल कोर्ट द्वारा खारिज करने में कोई औचित्य ना पाते हुए कोर्ट ने आरोपी की अपील स्वीकार कर ली।
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