खतरनाक इरादा
आतंकवादी समूह इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड द लेवंत-खोरासान (आईएसआईएल-के) क्षेत्र में गंभीर खतरा बना हुआ है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि आईएसआईएल-के भारत में बड़े पैमाने पर हमले न कर पाने के कारण परेशान है और अपने आकाओं के जरिए नए लड़ाकों की भर्ती करना चाहता है। आईएसआईएल-के, अल-कायदा और उससे जुड़े व्यक्तियों और संस्थाओं के बारे में संयुक्त राष्ट्र की विश्लेषणात्मक सहायता और प्रतिबंध निगरानी टीम की मंगलवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक सदस्य देशों ने चिंता जताई है कि अफगानिस्तान से पैदा होने वाला आतंकवाद क्षेत्र में असुरक्षा का कारण बनेगा।
यह एक कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवादी संगठन है जिसे औपचारिक रूप से जनवरी 2015 में इस्लामिक स्टेट की क्षेत्रीय शाखाओं में से एक के रूप में स्थापित किया गया था जो सीरिया और इराक में संचालित होता था। शुरुआत में इसने सीरिया में लड़ाकों के स्थानांतरण को व्यवस्थित करने पर ध्यान केंद्रित किया। इस्लामी आतंकवादी संगठन अल-कायदा की तरह, आईएसआईएल-के ने छोटे स्वायत्त समूहों और अन्य चरमपंथी संगठनों की शाखाओं का एक गतिशील पारिस्थितिकी तंत्र संचालित किया।
चिंता की बात है कि आईएसआईएल-के के लड़ाकों की संख्या 4,000 से बढ़कर 6,000 हो गई है। उधर तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी), तालिबान और भारतीय उपमहाद्वीप में अल-कायदा (एक्यूआईएस) के बीच समर्थन और सहयोग बढ़ा है। वे अफगानिस्तान में लड़ाकों और प्रशिक्षण शिविर साझा कर रहे हैं और तहरीक-ए-जिहाद पाकिस्तान (टीजेपी) के बैनर तले अधिक घातक हमले कर रहे हैं। टीटीपी अन्य आतंकवादी समूहों के लिए एक पनाह देने वाले संगठन में तब्दील हो सकता है। टीटीपी और एक्यूआईएस का संभावित विलय पाकिस्तान और अंततः भारत, म्यांमार और बांग्लादेश के खिलाफ खतरा बढ़ा सकता है। वास्तव में कट्टरपंथियों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों की भयावहता काफी बढ़ गई है।
आतंकी संगठन आईएसआईएल-के के पैर पूरी दुनिया में फैले हुए हैं, उसकी नजर भारत पर है। केंद्र सरकार ने 2018 में संगठन पर प्रतिबंध लगाते हुए माना था कि आईएसआईएल-के वैश्विक जिहाद के लक्ष्य को लेकर अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए युवाओं की भर्ती करके आतंकवादी कृत्य करता रहा है। संगठन के द्वारा भारत के युवाओं की भर्ती और उनका अतिवादीकरण राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिए गंभीर चिंता का विषय है। अगर दुनिया के देश व्यापक और समन्वित तरीके से आतंकवाद से नहीं लड़ते हैं तो खतरा मंडराता रहेगा।