सहयोग के क्षेत्र

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वैश्विक चुनौतियां एक के बाद एक उभर रही हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक कार्यों के बीच समन्वय की आवश्यकता है। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को यूक्रेन में संघर्ष और पश्चिम एशिया में बिगड़ती स्थिति के बीच गैर-पश्चिमी शक्तियों द्वारा अपनी ताकत दिखाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

भारत ब्रिक्स के भीतर करीबी सहयोग को महत्व देता है जो वैश्विक विकासात्मक एजेंडा, बहुपक्षवाद, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक सहयोग, लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं का निर्माण, सांस्कृतिक और लोगों से लोगों को जोड़ने आदि से जुड़े मुद्दों पर बातचीत और चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभरा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में कहा कि विश्व युद्धों, संघर्षों, आर्थिक अनिश्चितता, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद जैसी अनेक चुनौतियों से घिरा हुआ है।

उन्होंने  चीन, रूस समेत पूरी दुनिया को नसीहत दी कि जंग  किसी भी समस्या का समाधान नहीं है। गौरतलब है कि ब्रिक्स सदस्य देशों की विविध सुरक्षा चिंताएं हैं, जिनमें आतंकवाद और क्षेत्रीय संघर्ष से लेकर साइबर खतरे तक शामिल हैं। भारत ने इन चिंताओं को एक साथ लाने और संयुक्त सुरक्षा पहलों का समन्वय करने के लिए सावधानीपूर्वक बातचीत की आवश्यकता पर जोर दिया। भारत ब्रिक्स के भीतर घनिष्ठ सहयोग को महत्व देता है।

विश्व में उत्तर दक्षिण और पूर्व-पश्चिम विभाजन की बात हो रही है। महत्वपूर्ण है कि भारत ने स्पष्टता के साथ सारी बातें रखीं।  आतंकवाद और आतंकवाद के वित्त पोषण से निपटने के लिए  सभी को एक मत होकर दृढ़ता से सहयोग देना होगा। ऐसे गंभीर विषय पर दोहरे मापदंड के लिए कोई स्थान नहीं है।

युवाओं में कट्टरपन को रोकने के लिए  सक्रिय रूप से कदम उठाने चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि के लंबित मुद्दे पर  मिलकर काम करना होगा। उसी तरह साइबर सुरक्षा, सुरक्षित एआई के लिए वैश्विक नियमन के लिए काम करना चाहिए। प्रत्येक देश की सुरक्षा का सम्मान करना और उसकी गारंटी देना, टकराव के स्थान पर वार्ता और साझेदारी को बढ़ावा देना तथा संतुलित, प्रभावी और टिकाऊ क्षेत्रीय सुरक्षा ढांचे के निर्माण को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।

ब्रिक्स देशों को साझा विकास में योगदानकर्ता बनना चाहिए। अगले दशकों में ब्रिक्स को प्रासंगिक बने रहने के लिए, इसके प्रत्येक सदस्य को अवसरों और अंतर्निहित सीमाओं का यथार्थवादी आकलन करना होगा। इसके अलावा, राजनीतिक आपसी विश्वास और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना, प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर संचार और समन्वय बनाए रखना और एक-दूसरे के मूल हितों और प्रमुख चिंताओं को समायोजित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है ।

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