बाराबंकी : इजरायली तकनीक से बनेगा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल
बेमौसम तैयार होंगे सब्जियों के पौधे, किसानों को मुफ्त में मिलेगी ट्रेनिंग, अपर मुख्य सचिव उद्यान की समीक्षा के बाद मिलेगी हरी झंडी
बाराबंकी, अमृत विचार । सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल्स की स्थापना को लेकर मंगलवार को इजराइली एजेंसी माशव के एग्रीकल्चर अटैची यूरी रूबिनस्टीन और प्रोजेक्ट ऑफिसर ब्रह्मदेव, एंबेसी ऑफ इजराइल नई दिल्ली के द्वारा संयुक्त रूप से फतेहपुर तहसील के बेलहरा में स्थित उद्यान विभाग के आलू फार्म का स्थलीय निरीक्षण किया।
निरीक्षण के समय अयोध्या मंडल की डिप्टी डायरेक्टर हॉर्टिकल्चर गीता त्रिवेदी, जिला उद्यान अधिकारी महेश श्रीवास्तव, फार्म इंचार्ज आईपी सिंह व निदेशालय उद्यान से शुभम सिंह भी टीम के साथ उपस्थित रहे। बता दें सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल्स की एक यूनिट जनपद कन्नौज में स्थापित है। बस्ती में मैंगो का सेंटर ऑफ एक्सीलेंस पूर्व से कार्यरत है। इसके अलावा चंदौली और कौशांबी में भी सेंटर फॉर एक्सीलेंस प्रस्तावित किए गए हैं। जिला उद्यान अधिकारी महेश श्रीवास्तव ने बताया कि राष्ट्रीय एकीकृत बागवानी विकास मिशन (राज्य औद्यानिक मिशन) के अंतर्गत बाराबंकी की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए इंडो-इजराइल तकनीक पर आधारित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का प्रस्तावित किया गया है।
जिसके लिए स्थल का चयन किया जाना है। इसी को देखते हुए आज यहां का भ्रमण किया गया। इस तकनीक से बने और प्रस्तावित सेंटरों की समीक्षा अपर मुख्य सचिव उद्यान 31 जुलाई को करेंगे, उसके बाद इसके निर्माण के लिये हरी झंडी मिलेगी। स्वीकृति प्राप्त होने पर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनने से यहां उच्च गुणवत्ता के वेजिटेबल्स के सीडलिंग (सब्जियों की पौध) तैयार किए जाएंगे तथा किसानों को ट्रेनिंग भी दी जायेगी। एक साल में 50 लाख से लेकर 1 करोड़ सीडलिंग तैयार किए जाएंगे। जिनकी कीमत एक रुपए से लेकर दो रुपए तक होगी। जिसे नकद मूल्य पर किसानों को मुहैया कराया जायेगा। स्थानीय किसानों के साथ-साथ आसपास के जनपदों के किसान भी इसका फायदा उठा सकते हैं।
बेमौसम तैयार होगी पौध
दरअसल किसान सब्जियों की खेती शुरू करते हैं, लेकिन कई बार जानकारी के आभाव में नुकसान भी उठाना पड़ जाता है। ऐसे किसानों के लिये जिले में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल बनाने की कवायद शुरू हुई है। जहां पर सब्जियों के पौध तैयार किए जाएंगे और प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इसमें पॉलीहाउस, नेट हाउस व वॉक-इन-टनल के सहयोग से सब्जियों व फल की पौध बेमौसम तैयार की जाती है। ऑटोमेटिक मशीन से खाद, पानी आदि लगता है। अगर जिले में यह सेंटर स्थापित होता है, तो बाराबंकी के ही नहीं बल्कि दूसरे जनपदों के भी किसान समय से पहले पौध ले जाकर फसल होने पर अच्छा मुनाफा सकेंगे।
यह भी पढ़ें- बदायूं : गर्मी से बेहोश होकर जमीन पर गिरे परिषदीय स्कूल में बच्चे