लखनऊ: बच्चे का ध्यान नहीं हो रहा केंद्रित, तो हो जायें सावधान, पेट में हो सकते हैं कीड़े

लखनऊ: बच्चे का ध्यान नहीं हो रहा केंद्रित, तो हो जायें सावधान, पेट में हो सकते हैं कीड़े

लखनऊ, अमृत विचार। साल में दो बार फरवरी और अगस्त माह में पेट से कीड़े निकालने की दवा एल्बेन्डाजोल खिलाई जाती है। यह दवा इसलिए दी जाती है कि बच्चों में कृमि संक्रमण की समस्या को समाप्त किया जा सके। कृमि संक्रमण ही बच्चों में एनीमिया का एक कारण है | इसके अलावा  यदि पेट में कीड़े हैं तो शारीरिक और मानसिक वृद्धि पर असर पड़ता है इसके साथ ही बच्चा किसी चीज पर ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाता है और पढ़ाई में पिछड़ जाता है। इसलिए जरूरी है कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता अभिभावकों को दवाई दिए जाने के सकारात्मक पहलुओं के बारे में जानकारी जरूर दें। यह कहना है प्रशिक्षक और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के  नोडल अधिकारी डा. विनय मिश्रा का।

डा. विनय मिश्रा सोमवार को मुख्य अचिकित्सा अधिकारी कार्यालय स्थित सभागार में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। दरअसल, 10 अगस्त को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) का आयोजन किया जायेगा। यही वजह है कि सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया था। जिसमें  जिला एवं ब्लाक स्तरीय अधिकरियों ने प्रशिक्षण लिया है।

इस अवसर पर प्रशिक्षक और जिला समुदाय प्रक्रिया प्रबन्धक विष्णु प्रताप ने कहा कि पेट से कीड़े निकालने की दवा एक से 19 साल तक की आयु के बच्चों को खिलानी है। इस बात का ध्यान रखें कि खाली पेट दवा किसी को भी न खिलाएं। दवा खिलाने से पहले अभिभावकों को एक सूचना दे दी जाये। जिसमें बताया जाये कि 10 अगस्त को बच्चों को दवा खिलाई जाएगी। इसलिए बच्चों को नाश्ता कराकर ही स्कूल भेजें | वहीं जहां पर मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था है वहां पर बच्चों द्वारा भोजन करने के बाद ही दवा खिलाएं। आंगनबाड़ी केन्द्रों पर यह सुनिश्चित करने के बाद ही बच्चों को दवा का सेवन करायें कि वह खाली पेट नहीं हैं। 

आयु के अनुसार दें खुराक

डा. विनय मिश्रा ने बताया कि एक से दो साल की आयु के बच्चों को एल्बेंडाजोल की आधी गोली और दो  से तीन  साल की आयु के बच्चों को एक गोली चूरा बना कर खिलाई जायेगी ।  तीन से 19 साल की आयु के बच्चों को एक गोली खिलाई जायेगी । गोली दांत से चबाकर ही खिलाना सुनिश्चित कराना है। गोली स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपने सामने ही खिलाएं। बाद में खाने के लिए न दें। दवा खाने के बाद यदि किसी बच्चे को उल्टी, जी मिचलाना चक्कर आना पेट में दर्द आदि देखने को मिलता है तो इससे घबराने की जरूरत नहीं है। इसका मतलब होता कि पेट में कीड़ों की संख्या अधिक है और उन्हीं के मरने से यह प्रतिकूल प्रभाव दिखाई देते हैं। ऐसा होने पर बच्चे को सीधा होकर विस्तर पर आराम करने को कहें। थोड़ी देर में यह प्रतिकूल प्रभाव खत्म हो जायेंगे।

इस मौके पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. बी.एन. यादव,  डा. गोपी लाल,  जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी योगेश रघुवंशी, डीईआईसी मैनेजर डा. गौरव सक्सेना, सभी सीएचसी के अधीक्षक, बीपीएम, बीसीपीएम, सभी ब्लाक से आरबीएसके की टीम से एक चिकित्सक, शिक्षा विभाग, आईसीडीएस एवं पंचायती राज विभाग के हर ब्लाक के प्रतिनिधि, नेहरु युवा केंद्र एवं स्वयंसेवी संस्था एविडेंस एक्शन के प्रतिनधि समेत कुल 83 लोग मौजूद रहे।

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