नैनीताल: श्रीदेव सुमन का जीवन युवा पीढ़ी के लिए अनुकरणीय

नैनीताल: श्रीदेव सुमन का जीवन युवा पीढ़ी के लिए अनुकरणीय

विधि संवाददाता, नैनीताल, अमृत विचार। हाईकोर्ट सभागार में सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री देव सुमन की पुण्यतिथि पर अधिवक्ताओं ने स्मरण किया। बार काउंसिल के अध्यक्ष डॉ.महेंद्र सिंह पाल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता व संचालन भागवत सिंह नेगी ने किया।

अधिवक्ताओं ने श्री देव सुमन को याद करते हुए कहा कि उनका जन्म 25 मई 1916 को टिहरी के जौलगांव में हुआ था। मात्र 14 साल की उम्र में महात्मा गांधी से प्रेरित होकर भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े। श्री देव सुमन ने जीवन पर्यंत टिहरी राज शाही के विरुद्ध आंदोलन किया।

वर्ष 1943 में टिहरी रियासत ने उन्हें जेल भेजा और 21 फरवरी 1944 को उनके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा चलाया गया। जेल में रहते सुमन ने 84 दिन का आमरण अनशन किया और 25 जुलाई 1944 को उनकी मृत्यु हो गई। उनके पार्थिव शरीर को टिहरी रियासत ने परिजनों को नहीं सौंपा और शरीर को भिलंगना नदी मे बहा दिया।

 सभा में उपस्थिति प्रभाकर जोशी ने कहा कि श्री देव सुमन मात्र 28 साल की उम्र में राष्ट्र के लिए शहीद हो गए उनका  जीवन युवा पीढ़ी के लिए अनुकरणीय है। सैयद नदीम मून ने कहा कि आज का दिन सुमन दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। डॉ. एमएस पाल ने कहा श्री देव सुमन का संपूर्ण जीवन संपूर्ण राष्ट्र के लिए समर्पित रहा।

वर्ष 1937 में पं. जवाहरलाल नेहरू श्रीनगर सम्मेलन में आए थे तो उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की स्थिति काफी विपरीत है इस कारण इसको एक अलग एवं विशिष्ट दर्जा दिया जाना चाहिए। इस दौरान शिवानंद भट्ट, राकेश  कुंवर, भुवनेश जोशी, शक्ति सिंह, एमएस भंडारी, सिद्धार्थ नेगी, शिवम राणा, विकास गुगलानी मौजूद रहे।