मुरादाबाद : जिले में पीआरडी के सिर्फ 338 जवान, 15 साल से नहीं हुई भर्ती

आजादी के एक साल बाद बना था प्रांतीय रक्षक दल, तीन साल में कम हो गए 21 जवान

मुरादाबाद : जिले में पीआरडी के सिर्फ 338 जवान, 15 साल से नहीं हुई भर्ती

मुरादाबाद, अमृत विचार। पुलिस के साथ कानून व्यवस्था व सुरक्षा में कदम से कदम मिलकर चलने वाले प्रांतीय रक्षक दल ( पीआरडी ) देश आजाद होने के बाद खड़ा हुआ था। लेकिन, आज सबसे खराब हालत भी पीआरडी की है। सीडीओ, बिजली विभाग, कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की सुरक्षा के साथ, ट्रैफिक में चौराहों थानों में महिला थाने में एमडीए के उपाध्यक्ष की सुरक्षा करने वाले पीआरडी जवानों की संख्या मुट्ठी भर रह गई है। पीआरडी के पिछले 15 साल से मात्र 359 जवान ही हैं। इनमें से पिछले तीन साल के अंदर 21 जवान और कम हो गए। तीन साल पहले आई भर्ती अचानक रद्द हो गई।

वर्ष 1948 में देश आजाद होने के बाद सुरक्षा व्यवस्था में पुलिस की मदद करने के लिए प्रांतीय रक्षक दल यानी पीआरडी का गठन किया गया था। आजादी की लड़ाई के नायक सुभाष चंद्र बोस की सेना में आजादी की लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों की पूरे देश में पीआरडी में भर्ती की गई थी। उस वक्त पुलिस के बाद सबसे बड़ा रक्षक दल पीआरडी ही रहा था। आज उसकी हालत सबसे दयनीय स्थिति में है। मुरादाबाद में 15 साल पहले 2010-11 में पीआरडी की भर्ती की गई थी। तक 360 जवान भर्ती हुए थे। इसके बाद कुछ जवान अपनी पूरी सेवाएं देकर सेवानिवृत हो गए। कुछ छोड़ कर चले गए। कुछ लोगों का ड्यूटी पर देहांत हो गया। जिनके बेटों ने मृतक आश्रित में आवेदन किया है।

जिला युवा कल्याण अधिकारी भगवान दास ने बताया कि 7 जवानों की ड्यूटी पर मौत हुई थी। जिसमें चार लोगों के आवेदन को शासन पर स्तर मंजूरी के लिए भेजा गया है। वर्ष 2010-11 के बाद से 21 जवान अब पीआरडी में नहीं रहे। अब जवानों की संख्या घट 338 रहे गई है। इसके बाद 2021 में सरकार ने पीआरडी की भर्ती पर से रोक हटाई और विकास भवन स्थित जिला युवा कल्याण विभाग में भर्ती के फॉर्म आए। जिसके लिए ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में प्रचार प्रसार भी किया गया। इसके बाद कई दिनों तक विकास भवन में हजारों युवाओं की फार्म लेने के लिए भीड़ लगी रही है। अचानक बिना किसी कारण शासन से भर्ती को रद्द कर दिया गया। इसके बाद अब फार्म भरने वाले ग्रामीण क्षेत्र के युवा भर्ती खुलने की आस विभाग के चक्कर काट रहे हैं।

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