कासगंज: उमस भरी गर्मी से लोग पसीने से हो रहे सराबोर, बढ़ रहीं मौसमी बीमारियां

कासगंज: उमस भरी गर्मी से लोग पसीने से हो रहे सराबोर, बढ़ रहीं मौसमी बीमारियां

कासगंज/मोहनपुरा, अमृत विचार। करीब एक हफ्ते तक जमकर हुई बरसात के बाद अचानक मॉनसून पर ब्रेक लग गया है। बादलों की आवाजाही अब कौतूहल का विषय बन गई है। सूरज और बादलों में लुकाछिपी का खेल होने के बाद जब धूप निकलती है तो शरीर पर तीखी चुभन होने लगती है। चारों तरफ लोग उमस भरी गर्मी से परेशान हो रहे हैं।

हालात ये हैं कि पूरे पूरे दिन जन मानस पसीने से सराबोर नजर आते हैं। वायुमंडल में आर्द्रता बढ़ने से चिपचिपाहट और उमस होने के कारण हर ओर त्राहि मच रही है। इन दिनों विद्युत की खपत भी काफी हद तक बढ़ जाती है जिससे कटौती भी की जा रही है।

भीषण गर्मी के कारण लोग तरह तरह की मौसमी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। अस्पतालों में बड़ी संख्या में सर्दी, जुकाम, बुखार और उल्टी दस्त के मरीज पहुंच रहे हैं। गर्मी के कारण जन जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। लोग फिर से इंद्रदेव के प्रसन्न होने की दुआएं कर रहे है। ताकि फिर मानसूनी बारिश होने पर तापमान में गिरावट हो।

इसलिए आता है बरसात में अधिक पसीना
गर्मियों में हर तरफ मौसम शुष्क होता है, जब बरसात होती है तो पानी की बूंदें पृथ्वी की गर्म सतह पर पड़कर वाष्प में परिवर्तित होने लगती हैं। यही वाष्प पृथ्वी की सतह से ऊपर उठने लगती है, जो उमस कहलाती है। यह पुनः तापमान को बढ़ाने का कार्य करती है। वातावरण का तापमान शरीर से अधिक होने के कारण अनुकूल बनाने के लिए शरीर की प्राकृतिक क्रियाएं होने लगती हैं और शरीर स्वयं को ठंडा रखने के लिए पसीना स्रावित करने लगता है। वायुमंडल में पहले आर्द्रता स्तर बढ़ा होने की वजह से शरीर से निकले पसीने का वाष्पीकरण नहीं हो पाता जिससे अधिक पसीने का अनुभव होने लगता है।

खेतीबाड़ी के लिए मौसम अनुकूल
हालांकि विगत दिनों से मौसम साफ होने पर खेती बाड़ी के कार्यों में तेजी आई और अधिकतर किसान खेतों में खड़ी मूंगफली और मक्का की फसल को काटकर घर ले आए हैं। वर्तमान में धान की रोपाई और खाली खेतों की जुताई का कार्य तेजी से चल रहा है। सस्य वैज्ञानिक डॉ. बृज प्रणवीर सिंह ने बताया कि किसानों के मन में फिर से मॉनसून सक्रिय होने की शंकाओं के चलते शीघ्रता से खेती के काम निपटाए जा रहे हैं।