कासगंज: गुरु पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, गुरुओं के चरणों में झुकाया शीश

कासगंज: गुरु पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, गुरुओं के चरणों में झुकाया शीश
गुरु पूर्णिमा पर स्नान करते श्रद्धालु

कासगंज, अमृत विचार। रविवार को गुरु पूर्णिमा पर्व मनाया गया। श्रद्धालुओं ने गंगा घाटों पर पहुंचकर आस्था की डुबकी लगाई। सुबह से ही घाटों पर लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया। गैर प्रदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग गंगास्नान को पहुंचे। गुरुजनों के आश्रमों में शिष्यों की भी उमड़ी और गुरुओं के चरणों में उन्होंने शीश झुकाया।

गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्व को मनाने के लिए हजारों श्रद्धालुओं ने गंगा घाटों पर पहुंचकर स्नान किया। गुरुओं की पूजा की। गंगा घाटों पर स्थित मंदिरों में सुबह से ही भजन कीर्तन एवं पूजा पाठ का सिलसिला प्रारंभ हो गया।

कस्बा सोरों में स्थित हरिपदी गंगाघाट पर गैर प्रदेशों राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली से आए श्रद्धालुओं ने गंगास्नान कर पुरोहितों एवं ब्राह्मणों को भोजन कराया। जरुरतमंदों को दान, दक्षिणा देकर पुण्यलाभ कमाया। कछला, लहरा एवं कादरगंज गंगाघाट पर भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान किया।

गंगा का पूजन कर ओढाई चूनर
गैर प्रदेशों से श्रद्धालु शनिवार देर रात ही गंगा घाटों पर पहुंच गए थे। गुरु पूर्णिमा की सुबह गंगा स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने गंगा मईया का पूजन किया और चूनर ओढाई। तमाम श्रद्धालुओं ने बालू से शिवलिग बनाकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया।

वाहनों का रहा दबाव, नहीं लगा जाम
शहर से लेकर सोरों, लहरा और कछला घाट तक श्रद्धालुओं के वाहनों का मार्ग पर दबाव रहा। पुलिस की मुस्तैदी के चलते कहीं जाम नहीं लगा। इससे श्रद्धालुओं को घाट तक पहुंचने में दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ा। वहीं, फोरलेन और कैनाल बाइपास बनने से भी जाम से मुक्ति मिली।

स्नानार्थियों की भीड़ देख दुकानदारों के खिले चेहरे
वैसे तो श्रद्धालु कई दिनों से यहां पहुंच रहे हैं, लेकिन गुरु पूर्णिमा पर शनिवार की रात को विशेष भीड़ नहीं थी। रविवार को सुबह से ही भीड़ का सिलसिला शुरू हो गया। जब बड़ी संख्या में स्नानार्थी घाटों पर पहुंचने लगे तो दुकानदारों के चेहरे खिल गए। पूजा सामग्री एवं खाद्य पदार्थों की जमकर बिक्री हुई।

आश्रमों में कराए गए भंडारे
तीर्थनगरी नगरी सोरों के टांटिया बाबा आश्रम, महेश आनंद आश्रम सहित तमाम आश्रम में सुबह से ही शिष्य पहुंचे। लोगों ने दानकर पुण्य लाभ कमाया। गुरुजनों और साधु संतों को भोजन कराया। जगह-जगह भंडारों का आयोजन किया गया। आश्रमों को बेहतर ढंग से सजाया गया था। यहां शिष्य पहुंचकर गुरुओं का आशीष ले रहे थे और उन्हें गुरु दक्षिणा भी दे रहे थे। गुरु शिष्य की परंपरा बेहद बेहतर दिखाई दी और शिष्य अपने आप को बहुत ही गौरवान्वित महसूस कर रहे थे।

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