बाराबंकी: गौशाला बदहाल, भूख-प्यास और ठंड से तड़प रहे गोवंश
रामनगर/बाराबंकी, अमृत विचार। विकासखंड की ग्राम पंचायत सिलौटा में संचालित गौशाला में भूख प्यास एवं ठंड से व्याकुल गोवंश जमीन में पड़ी तड़प रही हैं। उनके खाने पीने से लेकर इलाज तक के नाम पर केवल खाना पूरी की जा रही। गौशालाओं की हकीकत छिपाने के लिए मुख्य गेट पर लिखा रखा है कि डीएम के आदेश के बिना प्रवेश वर्जित है। गौशाला में तैनात केयरटेकरों से इस बाबत जानकारी चाही गई, तो उन्होंने प्रधान का आदेश बताकर गोशाला में अंदर जाने और उसके बारे में कुछ भी बताने से मना कर दिया।
बता दें कि शासन की शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल गोशाला का संचालन शासन के निर्देशों पर नहीं बल्कि प्रधानों की मनमानी पर निर्भर हो गया है। गौशाला के संचालन में कागजी खानापूरी कर सरकारी धन का बंदरबांट किया जा रहा है।
रविवार को शाम करीब पांच बजे सिलौटा में स्थित गौशाला में जानवर भूख प्यास के मारे तड़प रहे थे।
जबकि शाम को उन्हें चारा भूसा देने का समय था। तीन गोवंश जमीन पर पड़ी तड़प रही थीं, उन्हें कौआ नोच रहे थे। दूर से देखने से मरणासन्न लग रही थी। गेट पर बाहर खड़ा केयरटेकर प्रधान का आदेश बताकर फोटो खींचने, अंदर जाने या ताक झांक करने को मना किया।
जानवरों के पानी पीने के लिए बनाये गए नांद में कूड़ा करकट भरा था। हरे चारे का दूर-दूर तक नामोनिशान नहीं था। जमीन पर पड़ी गोवंशों के इलाज के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। मुख्य बात तो यह कि जिन ग्राम पंचायत में गोशाला संचालित हैं, वहां के ग्राम प्रधानों के द्वारा हरा चारा भूसा के नाम पर लाखों रुपए का भुगतान कराया जा रहा है। लेकिन मौके पर व्यवस्था के नाम पर सब कुछ शून्य है।
ग्रामीणों को कहना है कि सिलौटा गौशाला नहीं बल्कि छुट्टा मवेशियों की कब्र गाह बन गया है। आए दिन जानवर मरते रहते हैं और उन्हें गोशाला के परिसर में ही गड्ढा खोदकर दफन कर दिया जाता है। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी यह सब देखने और सुनने की वजह आंखें मूंदे हुए है। इस संबंध में जब खंड विकास अधिकारी जितेंद्र कुमार यादव से बात की गई तो उनका कहना था कि ग्राम प्रधान से वार्ता कर लीजिए।
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