यौम-ए-आशूरा : तन पर भगवा वस्त्र, गले में रुद्राक्ष की माला और जुबां पर इमाम हुसैन की सदाएं-कौन हैं ये स्वामी सारंग  

यौम-ए-आशूरा :  तन पर भगवा वस्त्र, गले में रुद्राक्ष की माला और जुबां पर इमाम हुसैन की सदाएं-कौन हैं ये स्वामी सारंग  

अमृत विचार, लखनऊ : कर्बला का वो मंजर, कैसा रहा होगा? हजारों साल बाद भी जिसकी यादें हर आंख नम कर जाती हैं। हजरत इमाम हुसैन ने इंसानियत की राह में अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी। उनके 72 जांनशीन साथियों के लश्कर (समूह) ने भी कुर्बानी चुनी। लेकिन अपने ईमान और इंसानियत जज्बे पर कोई समझौता नहीं किया। इस्लाम की तारीख में शहीदाने कर्बला का मर्तबा (स्थान) बहुत ऊंचा है। हजरत इमाम हुसैन ने शहादत देकर इस्लाम जिंदा कर दिया। इस एक तथ्य से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।  

हजरत इमाम हुसैन की मुहब्बत धर्म-जाति और सरहदों के परे है। आज मुहर्रम की दसवीं तारीख पर देश भर में तख़्त, ताजिये और अलम उठाए गए। जुलूस निकले। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, इमाम हुसैन की सदाओं से गूंजायमान रही। सीनाजनी के साथ आगे बढ़ते जुलूस के बीच तन पर भगवा लिबास धारण किए, गले में रुद्राक्ष की मोटी माला पहने हुए एक शख़्स भी इमाम हुसैन की मुहब्बत में या हुसैन की सदाएं बुलंद करते हुए आगे बढ़ रहे थे। उनके जज्बे और आस्था ने हर किसी का ध्यान खींचा। 

ये शख़्स हैं धर्मगुरु स्वामी सारंग, जो हजरत इमाम हुसैन की याद कर रहे थे। स्वामी सारंग कहते हैं कि हजरत इमाम हुसैन ने शांति और मानवता का जो संदेश दिया है। वो कयामत तक याद रखा जाएगा। 1400 साल पहले अन्याय और अत्याचार के खिलाफ हजरत इमाम हुसैन ने संघर्ष किया वह पूरी दुनिया के लिए मिसाल है। 

यौमे-ए- आशूरा

कौन हैं स्वामी सारंग

प्रयागराज के एक ब्राहमण परिवार में जन्में स्वामी सारंग आध्यात्मिक गुरु के रूप में भी पहचाने जाते हैं। राजस्थान में शिक्षा ग्रहण करने के बाद स्वामी सारंग लखनऊ में बस गए। उन्होंने इस्लाम और इमाम हुसैन को लेकर गहरा अध्ययन किया। शोध भी किए। हजरत इमाम हुसैन की की जिंदगी, उनके उसूलों और सच-हक की राह पर दिए गए बलिदान से काफी प्रभावित हुए। और उनके किरदार पर अमल करते हुए इंसानियत की राह पर चलने का इरादा कर लिया। स्वामी सारंग पिछले दस वर्षों से हर साल मुहर्रम के जुलूस में शामिल होकर कमा-जंजीर का मातम मानते आ रहे हैं। उनका ये जज्बा भारत की गंगा-जमुनी तहजीब के लिए भी मिसाल है।

इमामबाड़े से निकला जुलूस 

लखनऊ के विक्टोरिया स्ट्रीट स्थित इमामबाड़ा नाज़िम साहब से जुलूस का आगाज हुआ, जो शाम तक तालकटोरा स्थित कर्बला पहुंचा। इमाम हुसैन की याद में सीनाजनी करते हुए ये जुलूस अपने पुराने रास्तों से गुजरा। जुलूस की राहों में जगह-जगह सबीलें लगाई गई थीं। जहां पानी और शर्बत बांटा जा रहा था। अदब, एहतराम, मुहब्बत और अकीदत का ऐसा संगम, दिलों को छू रहा था। नंगे पैर, सीनाजनी करते हुए जुलूस आहिस्ता-आहिस्ता आगे बढ़ता गया। गमजदा माहौल के बीच दिनभर हुसैनी सदाएं गूंजती रहीं। शहीदाने कर्बला को लोगों ने अपने-अपने तरीके से याद किया। उनके प्रति अपनी मुहब्बत और अकीदत बयान की। उनके बताए रास्ते पर चलने का सबक हासिल किया।

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