कासगंज: तेज आवाज के साथ निकल पड़ी चीखें...ग्रामीणों ने बच्चों को निकाला बाहर, जिला अस्पताल में स्ट्रेचर तक नहीं मिला

कासगंज: तेज आवाज के साथ निकल पड़ी चीखें...ग्रामीणों ने बच्चों को निकाला बाहर, जिला अस्पताल में स्ट्रेचर तक नहीं मिला
जिला अस्पताल में स्ट्रेचर के अभाव में घायल छात्र को गोद में लेकर जाते परिजन

कासगंज, अमृत विचार। सोमवार सुबह लगभग 7 बजे के आसपास का वक्त रहा होगा। कुछ लोग अपने खेतों की ओर जा रहे थे तो कोई अपनी फसलों की ओर निहार रहा था। कुछ पैदल टहलकर अपनी सेहत का ख्याल कर रहे थे। इसी बीच हादसे की तेज आवाज सुनाई देती है। इस आवाज के साथ-साथ लोगों के कानों तक नौनिहालों की चीख पहुंच जाती है। समझते देर न लगी कि कोई बड़ा सड़क हादसा हो गया।

आसपास के लोग दौड़कर घटनास्थल की ओर पहुंचे तो देखा कि सब कुछ तहस-नहस जैसा था। स्कूली वाहन ईको कार पूरी तरह क्षतिग्रस्त थी और उसमें स्कूली बच्चे फंसे हुए थे, जो बचाव के लिए तड़प रहे थे। ग्रामीणों ने उन्हें बचा लिया। चालक को भी बाहर निकाला, लेकिन तब तक वह अपनी जान गवां बैठा था। इधर बस सवार अलग-अलग स्कूलों में तैनात शिक्षकों और चालक-परिचालकों को खरोंच तक नहीं आई। इस दौरान दूसरे स्कूलों के शिक्षकों ने मानवता का परिचय दिया और वे भी बचाव कार्य में जुटे रहे।

स्कूली वैन में हंसते खेलते बच्चे स्कूल जा रहे थे। कुछ खेल-खेल में पढ़ाई भी कर रहे थे तो कुछ गुमसुम बैठे स्कूल पहुंचने के इंतजार में थे। स्कूली वाहन ईको कार अपनी सीमित रफ्तार पर चल रहा था, लेकिन क्या पता था कि एक दूसरा स्कूली वाहन बस बच्चों की खुशियां छीन लेगा।

सोरोंजी क्षेत्र के ही गांव गोयती के तीव्र मोड़ पर तेज रफ्तार गति से सामने की ओर से आ रही निजी स्कूल की बस ने ईको कार में जोरदार टक्कर मार दी, जिससे कार पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई। कार में सवार शिक्षिका सहित आठ बच्चे घायल हो गए और उन्हें गंभीर चोटें आईं। वहीं बच्चे बचाव के लिए चिल्लाने लगे। हादसा होते ही बस चालक भाग गया, लेकिन बस में सवार गंगा देवी विद्यालय के शिक्षक के अलावा अन्य आसपास के शिक्षक भी बचाव के लिए दौड़े।

आसपास गांव के अलावा खेतों पर काम कर रहे ग्रामीण भी राहत कार्य में जुट गए। बच्चों को स्कूली वाहन ईको कार से बाहर निकाला। भिड़ंत इतनी जबरदस्त थी कि स्कूली वाहन ईको कार चालक की मौके पर ही मौत हो चुकी थी, जबकि विद्यार्थी गंभीर रूप से घायल थे। इन्हें अस्पताल भेजा गया। यहां से अलीगढ़ ले जाते हुए अंशु की मौत हो गई। जिससे उसके परिवार की खुशियां चीखों में बदल गईं।

होनहार अंशु कक्षा तीन का था छात्र
पुष्पेंद्र का बेटा अंशु होनहार था। वह कक्षा तीन का छात्र था। उसकी एक बहन और दो भाई और भी हैं। चारों भाई बहन ईको कार से स्कूल जा रहे थे। सुबह एक साथ तैयार होने के बाद स्कूल जाने की जल्दी में थे। परिवार के लोगों के अनुसार स्कूल से लौटने के बाद इन लोगों में आपस में पढ़ाई के क्षेत्र में आगे निकलने की होड़ रहती थी और अपना गृह कार्य पूरा करने में सबसे आगे रहने की कोशिश करते थे, लेकिन अब इन बच्चों का एक भाई कम हो गया। परिवार का आंगन ही सूना सा नहीं दिख रहा, बल्कि हर किसी की आंख नम दिखाई दे रही है और घायल बच्चों का रो-रो कर बुरा हाल है।

अस्पताल में चरमराई व्यवस्था
जब घायलों को जिला अस्पताल ले जाया गया तो यहां संसाधन कम दिखाई दिए। स्ट्रेचर की कमी थी, कुछ लोग घायल बच्चों को अपनी गोद में उठाकर ही आपातकाल कक्ष की ओर ले जा रहे थे। छोटी घटना के बाद जिला अस्पताल की चरमराती व्यवस्थाएं संदेश दे रही थीं कि यदि कोई बड़ा हादसा हो जाए तो यहां मरीज को इलाज मिलना आसान नहीं होगा।

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