शाहजहांपुर: बाढ़ से नष्ट हुईं एसएस कॉलेज की ऐतिहासिक 'पांडुलिपियां', 5 फीट तक भरा पानी

शाहजहांपुर: बाढ़ से नष्ट हुईं एसएस कॉलेज की ऐतिहासिक 'पांडुलिपियां', 5 फीट तक भरा पानी
एसएस कालेज के पुस्तकालय में भरा बाढ़ का पानी।

शाहजहांपुर, अमृत विचार। गर्रा नदी की बाढ़ ने मुमुक्षु आश्रम को भारी नुकसान पहुंचाया है। नहर किनारे होने के कारण कई एकड़ में फैले मुमुक्षु आश्रम कैंपस में कई फीट पानी भर गया। जिससे एसएस कॉलेज के पुस्तकालय में संजोकर रखी गईं सैकड़ों साल पुरानी पांडुलिपियां नष्ट हो गईं। इनमें मुख्य रूप से प्राचीन हस्तलिखित रामायण, महाभारत, महाभाष्य, वेद, पुराणों पर लिखी गईं टीकाएं शामिल हैं।
   
भूमितल पर बने पुस्तकालय में पांडुलिपियों को मेज पर शीशा लगाकर रखा गया था, जिससे विद्यार्थी और आगंतुक उनका अवलोकन कर सकें। इसी तरह तमाम बंद और खुली अलमारियों और रैक में तमाम विषयों से संबंधित कीमती पुस्तकें संजोकर रखी हुई थीं। बाढ़ का पानी कॉलेज कैंपस में भरना शुरू हुआ तो किसी की समझ में ही नहीं आया कि क्या किया जाए। किसी को इस बात का आभास भी नहीं था कि बाढ़ इतना हाहाकारी हो जाएगी।

जैसे-तैसे जमीन पर और एक-दो फीट तक की ऊंचाई पर कुछ किताबों को रख दिया गया, लेकिन पानी चार से पांच फीट तक भर गया। लगातार बढ़ते जलस्तर से पांडुलिपियों से सुसज्जित शीशे की मेज डूबती चली गई, जिससे दुर्लभ हस्तलिखित पांडुलिपियां नष्ट हो गईं।

बाढ़ के पानी ने पूरे कैंपस को अपने आगोश में ले लिया और बाहर मुख्य मार्ग तक आ गया, जिससे पूरा परिसर जलमग्न हो गया। इतना ही नहीं, कॉलेज में भरे पानी से न केवल पुस्तकालय, बल्कि निचले तल पर बने विभागों में रखे कंप्यूटर, शैक्षिक अभिलेख, ई-लर्निंग लाइब्रेरी, पाठ्य योजना संबंधी रिकॉर्ड्स भी बाढ़ के पानी से बर्बाद हो गए।

सैकड़ों साल पुरानी थीं पांडुलिपियां
सहायक पुस्तकालय प्रभारी मनोज अग्रवाल बताते हैं कि बाढ़ का पानी कॉलेज कैंपस में जैसे ही आना शुरू हुआ, वैसे ही जितना हो सका पांडुलिपियां बचाने का प्रयास किया गया, इसके बावजूद बचाया नहीं जा सका। अलमारियों और रैक में ऊपरी हिस्से में रखीं किताबें ही बच पाई होंगी। अभी जलभराव होने के कारण पुस्तकालय में पहुंचना भी मुश्किल है। पांडुलिपियों की मेज तो पूरी तरह डूब चुकी थी। कॉलेज में सैकड़ों साल पुरानी 32 पांडुलिपियां थीं। जिन्हें कॉलेज और लाइब्रेरी की स्थापना के समय 1964 में यहां लाया गया था। लंबे समय से इन्हें सहेज के रखा था, लेकिन बाढ़ में बर्बाद हो गईं।

कॉलेज में पांच से छह फीट बाढ़ का पानी भर जाने से बहुत नुकसान हुआ है। सभी विभागाध्यक्षों से नुकसान की रिपोर्ट मांगी गई है। सर्वाधिक नुकसान पुस्तकालय में हुआ है। दुर्लभ पांडुलिपियां नष्ट हो गई हैं। जल निकासी के बाद एक-दो दिन में प्रवेश प्रक्रिया शुरू करा दी जाएगी। -प्रोफेसर डॉ. आरके आजाद, प्राचार्य, एसएस कॉलेज