बरेली: बुखार में अनदेखी से 'शॉक सिंड्रोम' का खतरा, तुरंत लें डॉक्टर की सलाह
बरेली, अमृत विचार। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की ओर से शनिवार को शॉक सिंड्रोम, कार्डियक सर्जरी समेत कई विषयों पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें दिल्ली के अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टरों ने अनुभव साझा किए।
आईएमए सभागार में कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए आईएमए के साइंटिफिक चेयरमैन डॉ. सुदीप सरन ने बताया कि मानसून सत्र में वायरल के साथ डेंगू का प्रकोप अधिक होता है। मरीजों के लिए ये जानना आवश्यक है कि डेंगू बुखार की कोई विशेष दवा नहीं होती और चार से पांच दिन में यह बुखार खुद ही उतरते लगता है, लेकिन जब खतरनाक स्ट्रेन का हमला होता है तो मरीज डेंगू शॉक सिंड्रोम में चला जाता है।
इसके मुख्य लक्षण हैं कि मरीज का ब्लड प्रेशर कम होना, पसीना आना, उल्टी होना और मूर्छा जैसी स्थिति होना। उन्होंने बताया कि समय पर चिकित्सक की सलाह न लेना जानलेवा हो सकता है।
अपोलो अस्पताल के न्यूरोसर्जन डॉ. सुधीर कुमार त्यागी ने ब्रेन ट्यूमर इलाज की आधुनिक पद्धति जेप-एक्स की बारे में जानकारी दी। बताया कि इस विधि में विकिरण की पतली बीम ट्यूमर पर डाली जाती है। इससे ट्यूमर के कैंसर सेल बनने की आशंका खत्म हो जाती है और आसपास की कोशिकाएं सुरक्षित रहती हैं।
वरिष्ठ रोबोटिक कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. वरुण बंसल ने बताया कि कुछ सुराख की मदद से बाईपास सर्जरी की जाती है। इसमें रक्तस्राव काम होता है और मरीज जल्द स्वस्थ होता है।
डॉ. नमीत जेराठ ने डेंगू शॉक मैनेजमेंट के बारे में बताया। आईएमए के अध्यक्ष डॉ राजीव गोयल ने कहा कि डेंगू बुखार में पपीते के पत्ते, बकरी का दूध या कीवी फल से कोई लाभ नहीं होता है। यह महज भ्रांति है। सचिव डॉ. गौरव गर्ग, डॉ. अनूप आर्य आदि मौजूद रहे।