Unnao News: जिले में अनफिट वाहनों के चलते जान गवांते 10 फीसद लोग...हादसे के बाद भी विभाग इन पर रहता मेहरबान

कुल सड़क दुर्घटनाओं में 10 फीसद वाहनों की जर्जर हालत के चलते होती हैं

Unnao News: जिले में अनफिट वाहनों के चलते जान गवांते 10 फीसद लोग...हादसे के बाद भी विभाग इन पर रहता मेहरबान

उन्नाव, अमृत विचार। जिले में सड़क हादसों में आए दिन किसी न किसी की जान चली जाती है। इनमें ज्यादातर हादसे अनफिट वाहनों के चलते होते हैं। जिले में हजारों की संख्या में वाहन पंजीकृत हैं। जिसमें सैकड़ों वाहन अनफिट हैं। इसके बावजूद वे बेधड़क होकर सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं। हालांकि, इन हादसों के अलग-अलग कारण होते हैं। लेकिन, इनमें एक सबसे अहम कारण वाहनों का अनफिट होना होता है। 

बता दें कि सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी (एआरटीओ) कार्यालय में हजारों वाहन पंजीकृत हैं। इसमें से सैकड़ों वाहन अनफिट हैं। जो बिना फिटनेस के विभागीय अधिकारियों व ऐसे वाहनों के संचालकों की मिलीभगत से सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं। 

कई बार इन वाहन संचालकों पर कार्रवाई भी होती है लेकिन, अधिकतर वाहन अफसरों की निगाह से बचकर सड़क पर चल रहे हैं। ऐसे वाहन चालकों को अपनी चिंता नहीं और दूसरों के लिए भी जान का खतरा बने रहते हैं। दर्जनों वाहन तो ऐसे भी हैं जो बिना किट व टूल के सड़कों पर दौड़ रहे हैं। ऐसे में ज्यादातर हादसे वाहनों के जर्जर होने के चलते ही होते हैं। 

फिटनेस में यह चीजें होनी चाहिए पूरी 

वाहन में फिटनेस कराने के लिए मिरर, हेड लाइट, साइड, रिफ्लेक्टर, बैक गियर में लाइट, फॉग लाइट, बैक लाइट, पार्किंग लाइट, कलर रिफ्लेक्टर पीयूसीसी की ओर से जारी प्रदूषण प्रमाण पत्र होना चाहिए। वाहन की बॉडी ओवर हाइट नहीं होनी चाहिए। किसी वाहन की फिटनेस जांच कराने के लिए वाहन एआरटीओ कार्यालय लाना भी जरूरी होता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में जुगाड़ वाहनों से भी होते हैं हादसे

ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों पर ज्यादातर हादसे जुगाड़ वाहनों के कारण होते हैं। इन वाहनों की गिनती भी नहीं होती है। विभागीय अधिकारी भी महज खानापूर्ति तक ही सीमित होकर रह जाते हैं। ट्रैक्टर या जुगाड़ वाहन चालकों के लाइसेंस की भी जांच नहीं की जाती है। इसी कारण अप्रशिक्षित चालक वाहनों से फर्राटा भरते हैं। 

समयसीमा पूरी कर चुके वाहन भी भर रहे फर्राटा 

अपनी समयसीमा पूरी कर चुके सैकड़ों वाहन शहर समेत पूरे जिले में दौड़ रहे हैं। जबकि, प्रदूषण नियंत्रण के लिए इन्हें शहर के बाहर करने का आदेश है। जिले से गैर जनपद में बिना फिटनेस वाले बस, मैजिक, स्कूली बसें व ऑटो चल रहे हैं। इनकी विभागीय अफसरों की मिलीभगत के चलते चेकिंग भी नहीं होती।

जिम्मेदारों को नहीं पता कितने वाहन हैं पंजीकृत 

एआरटीओ कार्यालय में तैनात आरआई कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि कितने वाहनों की फिटनेस है इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। इसकी जानकारी के लिये कार्यालय आने पर ही कुछ बताया जा सकेगा।

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