CSU में इस विशेष कार्यशाला का हुआ आयोजन, मुख्य वक्ता बोले- पालि को मिले क्लासिकल लैंग्वेज का दर्जा

CSU में  इस विशेष कार्यशाला का हुआ आयोजन, मुख्य वक्ता बोले- पालि को मिले क्लासिकल लैंग्वेज का दर्जा

लखनऊ, अमृत विचारः केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के लखनऊ परिसर में बौद्धदर्शन एवं पालि विद्याशाखा द्वारा 8 जुलाई से 18 जुलाई तक दस दिवसीय ‘व्यावहाव्याकरण शिक्षण कार्यशाला’ का आयोजन किया जा रहा है। कार्यशाला के चौथे दिन बौद्धविद्या के प्रसिद्ध विद्वान् तथा लखनऊ-परिसर के पूर्वनिदेशक एवं दिल्ली स्थित बीएल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी के निदेशक प्रो. विजय कुमार जैन पहुंचे। उन्होंने कहा कि पालि की एक सुसमृद्ध परम्परा है, जो भारत सहित श्रीलंका, म्यामां, थाईलैण्ड, लाओस, कम्बोडिया इत्यादि देशों में प्रसृत है। बुद्धवाणी त्रिपिटक सहित इसमें विशाल साहित्य उपलब्ध होता है, लेकिन यह दुख की बात है कि पालि भाषा का भारत में विकास नहीं हो पाया है। 

उन्होंने कहा कि संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा से पालि को हटा देना तो अत्यन्त कष्टकर रहा, जिसके कारण पालि का विकास अवरुद्ध हो गया। क्लासिकल लैंग्वेज होने के बावजूद पालि को क्लासिकल लैंग्वेज का दर्जा प्राप्त नहीं हो सका। इस कारण भी इसके संवर्धन का व्यवस्थित नीति-निर्धारण नहीं हो पा रहा है। लोगों को ज्यादा से ज्यादा औपचारिक या अनौपचारिक ढंग से पालि का अध्ययन करना चाहिए। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद् द्वारा कक्षा-9 से लेकर कक्षा-12 तक निर्धारित पालि पाठ्यक्रम में अधिक से अधिक विद्यार्थियों को प्रवेश लेना चाहिए। पालि एक स्कोरिंग विषय होने के कारण इसमें उच्च अंक प्राप्त किये जा सकते हैं।

बौद्धदर्शन एवं पालि विद्याशाखा के अध्यक्ष प्रो. राम नन्दन सिंह ने बताया कि केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी के सत्प्रयासों द्वारा पालि एवं प्राकृत के विकास के विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। शीघ्र ही लखनऊ परिसर में आदर्श पालि शोध संस्थान की स्थापना होनी है तथा ओडीएल (ओपन एण्ड डिस्टेंस लर्निंग) द्वारा हिन्दी और अंग्रेजी माध्यम से पालि विषय में बी.ए. तथा एम.ए. के पाठ्यक्रम शुरु होंगे।

विद्याशाखा संयोजक प्रो. गुरुचरण सिंह नेगी ने मंच-संचालन किया। इस अवसर पर प्रो. पवन कुमार दीक्षित, डॉ. प्रफुल्ल गड़पाल, डॉ. कृष्णा कुमारी, डॉ. जयवन्त खण्डारे, डॉ. प्रियंका त्रिपाठी, डॉ. घनश्याम पाल तथा डॉ. अतुल कुमार श्रीवास्तव इत्यादि उपस्थित रहे। कार्यशाला में लद्दाख, राजस्थान, मध्यप्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र आदि क्षेत्रों से 53 लोग भागग्रहण कर रहे हैं।