देहरादून: मलबा और बोल्डर गिरने से बदरीनाथ हाईवे बंद, सैकड़ों यात्री रास्ते में फंसे

देहरादून: मलबा और बोल्डर गिरने से बदरीनाथ हाईवे बंद, सैकड़ों यात्री रास्ते में फंसे

देहरादून, अमृत विचार। मलबा और बोल्डर गिरने से बदरीनाथ हाईवे कई जगह बंद हो गया है। जिसके चलते सैकड़ों यात्री रास्ते में ही फंस गए हैं। तोताघाटी , सफेद पहाड़ और विष्णु प्रयाग में हाईवे पर भारी मात्रा में बोल्डर गिरे हैं। हाईवे पर सड़क का कुछ हिस्सा भी क्षतिग्रस्त हुआ है। जिससे रास्ता बंद है। तीर्थयात्री हाईवे खुलने का इंतजार कर रहे हैं।एनएच द्वारा जेसीबी से लगातार मलबा हटाने का काम जारी है। थाना प्रभारी महिपाल सिह रावत का कहना है कि के अनुसार, वाहन चालकों को लगातार सावधानी से चलने की हिदायत दी जा रही है।

प्रदेश में शनिवार को 142 मार्ग बंद हुए। लोगों को मार्ग खुलने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा। जबकि 56 मार्ग शुक्रवार से बंद थे। लोनिवि ने इसमें से 89 मार्ग को खोल दिया। इसके बाद भी 109 सड़क बंद हैं। इसमें एक राष्ट्रीय राजमार्ग और सात राजमार्ग शामिल हैं। इसके अलावा 11 मुख्य जिला मार्ग, दो अन्य जिला मार्ग और 88 ग्रामीण मार्ग शामिल हैं।

उधर, प्रदेश में मौसम बिगड़ने की वजह से खतरे को देखते हुए चारधाम यात्रा एक दिन के लिए रोक दी गई है। भारी बारिश का रेड अलर्ट देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग ने लोगों को रविवार को किसी भी तरह की यात्रा से बचने की एडवाइजरी जारी की है।

गढ़वाल आयुक्त विनय शंकर पांडेय ने भी चारधाम यात्रा एक दिन के लिए स्थगित करने की पुष्टि करते हुए कहा कि यह फैसला तीर्थयात्रियों के जान-माल की सुरक्षा के मद्देनजर लिया गया। जो यात्री जहां हैं वहीं रहें।

वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारी वर्षा के मद्देनजर सभी संबंधित जनपदों के जिलाधिकारियों को हाई अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए हैं। साथ ही लोगों से सावधानी बरतने तथा सुरक्षित स्थलों पर रहने की अपील की है।

मानसून के तेवर और लगातार वर्षा के बीच शनिवार को रानीखेत-रामनगर स्टेट हाईवे पर मोहान के पास पनियाली नाला उफान पर आ गया। पानी के वेग ने इस नाले पर बनाए गए पुल को ध्वस्त कर दिया। जिसके  चलते हाईवे पर यातायात पूरी तरह ठप हो चुका है। यह मार्ग एक लाख से अधिक आबादी को रामनगर व रानीखेत से जोड़ता है। लोनिवि वैकल्पिक तौर पर यहां बैली ब्रिज बनाने पर विचार कर रहा है।

इधर हल्द्वानी में पर्वतीय क्षेत्रों में हो रही बारिश की वजह से कलसिया नाला उफान पर आ गया है। इसके बाद जिला प्रशासन ने कलसिया नाले से सटे दो मकानों को खाली कराया। इस पर मकानों में रह रहे लोग रिश्तेदारों के यहां चले गए। 

मौसम विभाग ने शनिवार को नैनीताल जिले में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया था। चेतावनी के अनुसार शुक्रवार की रात से बारिश शुरू हुई जो शनिवार की सुबह थोड़ी देर के लिए बंद हुई और दोपहर बाद फिर शुरू हो गई। जिले के पर्वतीय क्षेत्रों में बारिश होने से बरसाती नाले कलसिया और रकसिया उफान पर आ गए हैं। 

इधर, सिटी मजिस्ट्रेट एपी वाजपेयी व एसडीएम परितोष वर्मा ने गौला पुल, कलसिया, रकसिया नाले का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि कलसिया नाला उफान पर था, इसके बाद उन्होंने नाले से सटी दीवार पर रह रहे दो मकानों को खाली कराया और लोगों को उनके परिचितों के यहां सुरक्षित स्थान पर भेज दिया। इसी के साथ ही कलसिया नाले के किनारे बसे 64 अन्य संवेदनशील मकानों में रह रहे लोगों को भी सतर्क रहने को कहा है। किसी भी आपात स्थिति में नगर निगम इंटर कॉलेज में बने अस्थायी राहत शिविर पहुंचने को कहा गया है। इसके बाद तिकोनिया में जेसीबी लगाकर पानी के बहाव को दिशा दी जा रही है।

अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम की तरह भूकटाव कर रही गौला
पिछले कई दिनों से हो रही बारिश से गौलापार स्थित इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम के अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है। गौला नदी ने स्टेडियम की ओर भूकटाव करना शुरू कर दिया है। वर्ष 2021 में हुई अतिवृष्टि से स्टेडियम की सुरक्षा दीवार व पैदल रास्ता बह गया था। तब रेलवे ने नदी का बहाव बदलकर स्टेडियम बनाने की तात्कालिक व्यवस्था की थी, लेकिन तीन वर्ष बीतने के बाद भी सुरक्षा दीवार नहीं बन सकी और क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत नहीं की जा सकी है।

विकासखंड ओखलकांडा के खनस्यू में गौला नदी में ग्रामीण के बह जाने से खलबली मच गई। बीडीसी मेंबर रवि गोस्वामी ने बताया कि ललित बर्गली शाम को घर जा रहे थे कि अचानक उनका पांव फिसल जाने से वह गौला नदी में गिर गए। दो सौ मीटर बहने के बाद ग्रामीणों ने उन्हें नदी से बाहर निकाला। ग्रामीण ललित बर्गली को ओखलकांडा चिकित्सालय ले गए हैं।

आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण है सूचनाओं का समय से मिलना
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को मुख्य सेवक सदन से वर्चुअली कुमाऊं और गढ़वाल मंडल में भारी बारिश से हुए नुकसान, बचाव एवं राहत की जानकारी ली। उन्होंने आपदा प्रबंधन में किसी भी किस्म की कोताही नहीं बरतने के निर्देश दिए। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि मानसून में राज्य में भूस्खलन, भू-कटाव से हर समय आपदा का खतरा रहता है। ऐसे में जिला और तहसील स्तर पर आपदा कंट्रोल रूम 24*7 अलर्ट मोड पर रहें। आपदा में सबसे महत्वपूर्ण होता है सूचनाओं का समय से मिलना, यदि समय से सूचनाएं मिलती हैं तो तेजी से आपदा प्रबंधन होगा। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन के लिए बचाव एवं राहत एजेंसियां जैसे एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, अग्निशमन विभाग भी 24 घंटे अलर्ट मोड पर रहे और बचाव उपकरण भी दुरुस्त रखें। इसी तरह मलबा या भूस्खलन से सड़कें बाधित हों तो तुरंत कार्यदायी संस्थाएं मौके पर जाकर समाधान करें और बंद मार्ग खुलवाएं। क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत होने तक अस्थायी इंताजम किया जाए। 

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि यदि बरसाती नाले और गधेरे से किन्हीं क्षेत्रों में जलभराव हो जाता है तो प्रभावितों के रहने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था राहत शिविरों में की जाए, उनके भोजन आदि का प्रबंधन किया जाए। उन्होंने जिला प्रशासन को मौसम विभाग की चेतावनी एवं स्थानीय मौसमी गतिविधियों के आधार पर ही स्कूलों को खोलने और बंद करने का निर्णय लेने की हिदायत दी। 

कुमाऊं के मंडलायुक्त दीपक रावत ने बताया कि कुमाऊं मंडल में स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है। वर्तमान में तवाघाट में चट्टान गिरने से मार्ग बंद है, इसलिए आदि कैलाश के यात्रियों को तवाघाट में ठहराया गया है। यात्रियों को सुरक्षित लाने के लिए एसडीआरएफ को जिम्मेदारी दी गई है। कुमाऊं मंडल की कोई भी मुख्य सड़क बंद नहीं है। जिलों में सिर्फ आंतरिक मार्ग बार-बार मलबा आने से बंद हैं जिन्हें जेसीबी से साफ कराया जा रहा है। उन्होंने कहा आपदा प्रभावितों को तत्काल आर्थिक एवं अन्य मदद देने के निर्देश दिए गए हैं।