पीलीभीत: मंत्री जी...मिल बंद हुए बीत गए चार महीने, 122.92 करोड़ की बकायेदारी अभी तक नहीं निपटाई, भटक रहे किसान

पीलीभीत: मंत्री जी...मिल बंद हुए बीत गए चार महीने, 122.92 करोड़ की बकायेदारी अभी तक नहीं निपटाई, भटक रहे किसान

पीलीभीत/बरखेड़ा, अमृत विचार: गन्ना राज्यमंत्री के जनपद में ही किसान अपनी फसल का दाम पाने के लिए परेशान हैं।  बजाज हिंदुस्थान चीनी मिल के आगे सिस्टम बेबस नजर आ रहा है। गन्ना मूल्य भुगतान निकलवाने के लिए किसानों को चक्कर लगाना पड़ रहे हैं। मिल का पेराई सत्र समाप्त हुए चार माह बीत चुके हैं, लेकिन अभी भी 122.92 करोड़ रुपये की बकायेदारी बनी हुई है। गन्ना किसान हर बार की तरह भुगतान की आस लगाए हुए हैं। जिम्मेदार भी जल्द भुगतान कराने का भरोसा दिला रहे हैं, लेकिन ये कब हो सकेगा। इसका कोई ठोस जवाब अधिकारी भी नहीं दे पा रहे हैं।

जनपद में चार चीनी मिलें संचालित हो रही है। जिसमें एलएच चीनी मिल पीलीभीत, दि किसान सहकारी चीली मिल पूरनपुर व बीसलपुर की सहकारी चीनी मिल शामिल हैं। बजाज हिंदुस्थान चीनी मिल बरखेड़ा में नौ नवंबर 2023 को पेराई सत्र की शुरुआत की गई थी।  मिल की पेराई क्षमता प्रतिदिन 75 हजार क्विंटल है, मगर मिल को मात्र 29-30 हजार क्विंटल की गन्ना मिल पा रहा था। 

जिसको लेकर मिल प्रबंधन द्वारा 20 फरवरी 2024 को मिल बंदी का पहला नोटिस जारी किया गया था। मिल से सम्बद्ध 45 क्रय केंद्रों पर गन्ना समाप्त होने के बाद प्रबंधन द्वारा खुली खरीद की गई। मगर, इसके बाद से चीनी मिल लगातार नोकेन में बंद हो रही थी। ऐसे में 57.21 लाख क्विंटल गन्ना पेराई करने के बाद 26 फरवरी को मौजूदा पेराई सत्र समाप्त कर मिल बंद कर दी गई थी। 

जबकि पिछले पेराई सत्र में 84.56 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की गई थी। इस बार करीब 28 हजार किसानों ने गन्ना मिल को दिया जबकि पिछली बार किसानों की संख्या 35 हजार के पार पहुंची थी। मिल को बंद हुए चार माह बीत चुके हैं। गन्ना विभाग के अधिकारी शुरुआत से ही दावे करते रहे कि जल्द ही मिल से समस्त गन्ना मूल्य भुगतान करा दिया जाएगा। मगर भुगतान प्रक्रिया को गति नहीं मिल सकी है। 

अभी भी गन्ना मूल्य की बकायेदारी बड़ी मात्रा में बनी हुई है।  पेराई सत्र पूरा कर बंद हो चुकी बजाज हिंदुस्थान चीनी मिल पर 122.92 करोड़ रुपये की बकायेदारी है। किसान अपनी ही फसल का दाम पाने के लिए चक्कर लगाकर परेशान हैं। ये हाल तब है जब गन्ना एवं चीनी मिल राज्यमंत्री संजय सिंह गंगवार जनपद से ही हैं।   ऐसा नहीं कि अधिकारी और जनप्रतिनिधियों को हकीकत का पता नहीं। मगर, सिर्फ दावे और आश्वासन ही किसान को मिल सके हैं।

मिल ने किया सिर्फ 87.26 करोड़ का भुगतान
बताते हैं कि चीनी मिल बरखेड़ा ने इस पेराई सत्र में कुल 57.21 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की थी। जिसका कुल भुगतान 210.19 करोड़ रुपये बना था। इसमें से 87.26 करोड़ का ही भुगतान किया जा सका है।  जोकि 15 दिसंबर तक खरीदे गए गन्ने का है। इसके बाद की खरीद के गन्ने का 122.92 करोड़ का गन्ना मूल्य भुगतान अभी भी लंबित है।  

नोटिस और रिमाइंडर तक सीमित जिम्मेदार
बजाज हिंदुस्थान चीनी मिल से किसानों के भुगतान के लिए हर साल कुछ  इसी तरह की स्थिति बनी रहती है।  हर साल पेराई सत्र से पूर्व सुधार और सख्ती के दावे कर दिए जाते हैं। मगर स्थिति बदली नहीं जा सकी है। मिल बंद होने के कई माह बाद तक किसान भटकते हैं। उनकी कहीं सुनवाई तक नहीं होती है।  अधिकारियों की ओर से भी सख्त एक्शन नहीं लिया जाता। उनकी कार्रवाई नोटिस और फिर रिमाइंडर तक सीमित रहती है।

बजाज हिंदुस्थान चीनी मिल को गन्ने की 22 पर्चियों पर 1539 क्विंटल गन्ना आपूर्ति किया था। जोकि पांच लाख 69 हजार 515 रुपये  का भुगतान बना है। इस धनराशि में से महज एक लाख 46 हजार 78 रुपये भुगतान मिल सका है। अभी भी 4.23 लाख का भुगतान शेष है, जिसके लिए चक्कर लगा रहे हैं- दीपक पांडेय, कस्बा बरखेड़ा

हर बार की तरह इस बार भी गन्ने के भुगतान के लिए चक्कर लगा रहे हैं। मगर कोई सुनने वाला नहीं है। मिल को 21 गन्ने की पर्चियों पर 1649 क्विंटल गन्ने की सप्लाई की थी। 06 लाख 09 हजार 610 रुपये में से अभी तक सिर्फ 01 लाख 18 हजार 572 रुपये का भुगतान हो सका है।  शेष भुगतान 4 लाख 91 हजार 38 रुपये के लिए कोई जवाब नहीं मिल पा रहा है। इसमें सुधार होना चाहिए- अजय कुमार, गांव बहादुरपुर हुक्मी

चीनी मिल का पेमेंट सिस्टम बहुत ही खराब है। इस बार 11 गन्ने की पर्चियों पर 772 क्विंटल गन्ने की सप्लाई की थी।  कुल मूल्य 2  लाख 85 हजार 732 रुपये बना। इस धनराशि में से 01 लाख 53 हजार 09 रुपये भुगतान प्राप्त हुआ है। शेष भुगतान 01 लाख 80 हजार 423 अभी तक नहीं मिला है।  पता नहीं कब तक भुगतान होगा- सोहनलाल गंगवार, गांव पिपराखास

चीनी के स्टॉक को कस्टडी में लिया, जल्द होगा भुगतान 
किसानों के बकाया भुगतान को लेकर मिल के चीनी स्टॉक को कस्टडी में लिया गया है। कस्टडी में ली गई चीनी की बिक्री से प्राप्त रकम में से 85 प्रतिशत से किसानों का भुगतान चुकाया जा रहा है। मिल प्रबंधन पर भी बकाया भुगतान को लेकर लगातार दबाव बनाया जा रहा है- खुशीराम भार्गव, जिला गन्ना अधिकारी

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