पीलीभीत: शहर सुनियोजित ढंग से होगा विकसित, महायोजना 2031 को जल्द मिल सकती है हरी झंडी

पीलीभीत: शहर सुनियोजित ढंग से होगा विकसित, महायोजना 2031 को जल्द मिल सकती है हरी झंडी

पीलीभीत, अमृत विचार। शहर को सुनियोजित ढंग से विकसित करने को तैयार किए गए महायोजना- 2031 को जल्द ही शासन से हरी झंडी मिल सकती है। शासन स्तर पर महायोजना - 2031 का प्रस्तुतीकरण हो गया। नई महायोजना में 40 गांवों के साथ विनियमित क्षेत्र का भी दायरा बढ़ाया गया है। इस महायोजना में 49.5 प्रतिशत क्षेत्रफल को आवासीय रखा गया है। 

नई महायोजना के मुताबिक टनकपुर बाईपास इलाके के विकास पर विशेष फोकस रहेगा। यहां नया बस अड्डे के साथ ट्रांसपोर्ट नगर भी बसाने की योजना है। उम्मीद है कि शहर के बिगड़ चुके भूगोल को महायोजना 2031 से जरुर राहत मिलेगी और शहर का सुनियोजित ढंग से विकसित किया जा सकेगा।

एक समय था, जब ठंडी सड़क के नाम से मशहूर टनकपुर हाईवे के दोनों ओर हरियाली देख राहगीर कुछ पल ठहरकर उसका आनंद लेते थे। मई-जून की गर्मी में घने पेड़ों की छाया में राहगीर घंटों आराम करते थे। मगर यह सब बीते जमाने की बातें हो चुकी हैं। उस समय शहर की आबादी एक लाख से भी कम थी। 

शहर की पहली महायोजना बनाने की रूपरेखा जब तय की गई तो शहर के किस इलाके में क्या बनेगा, किस रोड पर अस्पताल होगा, कमर्शियल एरिया कहां बनाया जाएगा, ग्रीन बेल्ट का दायरा कितना होगा, इन सबको शामिल करते हुए पहली महायोजना तैयार की गई थी।  वर्ष 1986 में शहर से सटे 86 गांवों को विनियमित क्षेत्र में शामिल किया गया। इसके बाद 26 मार्च 1990 को चार और गांव भी शामिल कर लिए गए। 

शहर को सुनियोजित ढंग से बसाने को लेकर पहली महायोजना को 20 मई 1998 को शासन से स्वीकृति मिली थी और महायोजना-2011 को लागू किया गया था। मगर यह सब कुछ कागजों तक ही सीमित रहा। भूमाफियाओं ने मनमाने तरीके से अनधिकृत कॉलोनियां बना डालीं। नजूल की जमींनों पर कब्जे कर लिए गए। यहां तक कि इन प्लाटिंग करने वालों ने  ग्रीन बेल्ट की जमीन को भी नहीं छोड़ा। ऐसे में शहर की पूरा भूगोल ही बिगड़ गया।

गत वर्ष तैयार की गई थी महायोजना-2031 की रूपरेखा
शहर को सुनियोजित ढंग से विकसित करने के लिए शासन के निर्देश पर गत वर्ष महायोजना का खाका तैयार किया था। महायोजना -2031 का खाका तैयार करने की शुरुआत वर्ष 2022 से शुरू की गई थी। शहर समेत इससे सटे 40 गांवों का जीआईएस आधारित सर्वे किया था। 

सर्वे के बाद अगस्त माह में सुझाव और आपत्तियां मांगी गई थीं। आपत्तियों पर सुनवाई के बाद निस्तारण किया गया। भौतिक सत्यापन के बाद महायोजना-2031 के विभिन्न बिंदुओं पर प्रशासन द्वारा मंथन किया गया। अफसरों की बैठक हुई। इसके बाद तैयार महायोजना-2031 को गत वर्ष अक्टूबर में शासन को भेजा गया था। हालांकि बाद में इस पर आपत्तियां लगती रहीं। मगर प्रशासन स्तर पर इन आपत्तियों का निस्तारण कर लिया गया।

शासन स्तर पर प्रस्तुतीकरण फाइनल, अब हरी झंडी मिलने की आस
महायोजना-2031 का प्रेजेंटेशन साल की शुरुआत में ही होना था, मगर लोकसभा चुनाव के चलते मामला टल गया। इधर अब महायोजना -2031 का शासन स्तर पर प्रस्तुतीकरण हो गया।  वर्ष 2011 में विनियमित क्षेत्र की कुल आबादी 2,02,326 थी, जो 2031 में बढ़कर 274 लाख हो जाने का अनुमान लगाया गया है। इसी के हिसाब से महायोजना प्रस्तावित की गई है। 

महायोजना -2011 में 1557 हेक्टेयर भूमि विनियमित क्षेत्र के लिए आरक्षित की गई थी। वहीं महायोजना में दायरा बढ़ाते हुए इसे 2622 हेक्टेयर किया गया है। इसमें 49.5 प्रतिशत क्षेत्रफल आवासीय, कमर्शियल के लिए 3.4 प्रतिशत, ग्रीन बेल्ट के लिए 15.6 प्रतिशत एवं यातायात परिवहन के 13.8 प्रतिशत क्षेत्रफल आरक्षित किया गया है।

टनकपुर बाईपास इलाके के विकास पर रहेगा फोकस
अधिकारियों के मुताबिक महायोजना - 2031 के अनुसार टनकपुर बाईपास इलाके के विकास पर विशेष फोकस रहेगा। यहां एक नया बस अड्डा, ट्रांसपोर्ट नगर आदि प्रस्तावित है। हाईवे से 30 मीटर का दायरा ग्रीन बेल्ट और इसके 300 मीटर पीछे के एरिया हाई फैसिलिटी जोन रहेगा। जिसमें विभिन्न एक्टिविटी हो सकेगी।

महायोजना 2031 का शासन स्तर पर प्रस्तुतिकरण हो चुका है। उम्मीद है कि 30 जून तक महायोजना को मंजूरी मिल जाएगी। उसके बाद सुनियोजित ढंग से तेजी से विकास होगा। - विजय वर्धन तोमर, सिटी मजिस्ट्रेट

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