पंतनगर: उत्तराखंड में मधुमक्खियों में छत्ता भृंग लगने का खतरा

पंतनगर: उत्तराखंड में मधुमक्खियों में छत्ता भृंग लगने का खतरा

पंतनगर, अमृत विचार। पिछले कुछ माह से देखने में आया है कि दक्षिण भारत में मौन वंशों में छत्ता भृंग के आक्रमण में तेजी आई है। परिणामस्वरूप बहुत सारी मौन वंशों में घरछूट के कारण मौनपालकों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है।

जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय स्थित कृषि महाविद्यालय में कीट विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रमोद मल्ल ने बताया कि सौभाग्यवश छत्ता भृंग का प्रकोप अभी तक उत्तरी भारत में नहीं है। लेकिन बढ़ती गर्मी के चलते इस कीट का प्रकोप उत्तर भारत में भी फैलने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता है।

इसलिए मौनपालकों को इस नाशी जीव से सजग रहने की जरूरत है। यदि किसी मौन पालक को यह कीट इटैलियन या भारतीय मौनवंश छत्तों में दिखाई दे, तो तत्काल इसकी सूचना पंतनगर विवि के कीट वैज्ञानिकों को दें।

साथ ही कुछ कीटों को किसी कांच या प्लास्टिक की बोतल में डालकर अतिशीघ्र पंतनगर विवि के कीट विज्ञान विभाग में पहुंचा दें। ताकि इसकी पहचान कर उचित निदान किया जाए और इसको महामारी के रूप में फैलने से रोका जा सके।

क्या है छत्ता भृंग
छत्ता भृंग (बीटल) छोटा व बड़ा दो प्रकार का चमकदार काले रंग होता है। यह मधुमक्खियों के छत्ते, शहद और पराग को नुकसान पहंचाने वाला कीट है। अफ्रीका से उत्पन्न मधुमक्खी पालन को नुकसान पहुंचाने वाले इन बडे भृंग को को अंडे देने और विकसित होने के लिए सड़ने वाले पौधे के पदार्थ और शाकाहारी जानवरों के मल की आवश्यकता होती है।

बड़े भृंग को शहद और पराग जैसे अन्य खाद्य श्रोतों के बजाय मधुमक्खी के भ्रूण खाने में दिलचस्पी होती है। इस कीट के स्वभाव और भ्रूण को जल्द खाने की क्षमता के चलते जल्द छत्ते की संरचना को नष्ट कर सकता है। मधुमक्खियों से बडे़ आकार को ध्यान में रखते हुए अफ्रीका में मधुमक्खी पालक छत्तों के लिए छोटे प्रवेश द्वार का उपयोग करते हैं, जो छत्तों में भृंगों की पहंच को सीमित करता है।

मौनपालक बरतें यह सावधानी
पंतनगर: मौनगृहों मे उपरी ढक्कन के नीचे यदि गनीबैग लगे हों तो उन्हे तत्काल हटा दें। मौनगृहों का मुख्य द्वारा संकरा कर दें। मौनालयों का स्थानांतरण आस-पास के क्षेत्र में एक माह के अंतर पर करते रहें। मौनालय की भुमि की जुताई एक सप्ताह में कर दें। छत्तो में शहद के सड़न की दुर्गंध आने पर या भृंग की सूड़ी दिखाई देने पर उन छत्तों को नष्ट कर दें।  भृंग का प्रकोप होने पर उसके विभिन्न अवस्थाओं के नमुने लेकर पंतनगर विवि को भेज दें।