चरम पर है ताज प्रजाति के धान की काला बाजारी, किसान परेशान-बिचौलिए हावी

चरम पर है ताज प्रजाति के धान की काला बाजारी, किसान परेशान-बिचौलिए हावी

आरबी सिंह/हरख/बाराबंकी, अमृत विचार। धान की नर्सरी डालने का सही समय चल रहा है। किसान अच्छी पैदावार और महंगे बिकने वाले धान बीज के लिए भटक रहे हैं। बीज भंडारों से ताज प्रजाति धान के नाम पर कालाबाजारी हो रही है। कई गुना महंगे दाम पर बीज बेचा जा रहा है। अधिकारी भी इस पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। 

जिले के दरियाबाद, रामनगर, फतेहपुर, हरख, रामसनेहीघाट और सिरौलीगौसपुर सहित अधिकांश ब्लॉकों में धान का उत्पादन अधिक होता है। किसान अच्छी एवं ज्यादा पैदावार के लिए किस्म 6444, ताज, मंसूरी, सांभा मंसूरी, मोती, गंगा कावेरी, पायनियर व काला नमक आदि प्रजाति के धान की खेती की करते हैं। जिले में किसान अधिक मुनाफे के लिये ताज धान की खेती करते हैं। ऐसे में ताज धान के बीज की मांग बढ़ती जा रही है। फुटकर दुकानदार इसके बीज की आपूर्ति में मनमानी कर रहे हैं। क्षेत्र के हरख कृषि बीज भंडार पर प्रदेश सरकार द्वारा दिया जाने वाला अनुदानित धान बीज गायब है। जिससे यहां से केन्द्र से मायूस होकर किसान लौट रहे हैं। प्रदीप, पारसनाथ, रामसिंह और देशराज आदि किसानों का आरोप है कि केंद्र के कर्मचारियों ने हरख, सतरिख, भानमऊ, जैदपुर,  बंग्ला बाजार, कोला गहबड़ी, बरैया, बलछत, तकिया और वैसपुर समेत आदि जगहों पर स्थित निजी दुकानों पर बिक्री हेतु बीज रखा दिया है। 

आरोप है कि सब्सिडी पर 22 रुपये प्रति किलो दिए जाने वाला धान महंगे दामों पर बेचा जा रहा है। केंद्र पर 6444, पायनियर, आराईज 382, खरपतवार नाशक नॉमिनी गोल्ड और कीटनाशक दवाएं नदारत हैं। किसान कालाबाजारी का आरोप लगा रहे हैं। इस संबंध में कृषि इकाई हरख प्रभारी अजय कुमार ने बताया कि टीएस कृष्ण कुमार पांडेय पर वितरण की जिम्मेदारी है। जबकि कृष्ण कुमार पांडेय प्रभारी अजय कुमार पर जिम्मेदारी की बात कर रहे हैं। बताते चले कि ताज किस्म के धान की पैदावार अच्छी रहती है। यह धान अन्य प्रजातियों से महंगा बिकता है तथा खाने में भी स्वादिष्ट है। जिसके चलते शादी समारोहों में भी इसकी मांग बढ़ती जा रही है। इसलिए किसान ताज धान को ही लगाना पसंद करते हैं। इसकी विदेशों में भी काफी मांग है।

क्या बोले किसान
हरख क्षेत्र के बंगला बाजार निवासी किसान रामसमुझ बताते हैं कि ताज धान का बीज 1000 से 1100 रूपये प्रति किलो में बड़ी मुश्किल से मिल रहा है। दुकानदार न बिल दे रहा न गारंटी ले रहे हैं। ऐसे में किसानों के लिए यह कोई चुनौती से कम नहीं है।

हरख क्षेत्र के इब्राहिमाबाद गांव निवासी किसान रामफेर साहू ने बताया कि ताज धान के साथ-साथ अन्य हाइब्रिड धान के भी दाम आसमान छू रहे हैं। ऐसे में छोटे किसानों के लिए खरीद पाना संभव नहीं है। राजकीय कृषि केंद्रों से ऐसी प्रजाति के बीज गायब हैं।

जैदपुर क्षेत्र के बरेहटा निवासी किसान फूलचंद बताते हैं कि तक बढ़ती मांग को लेकर ताज धान के लिए मारामारी चल रही है। इतना महंगा होने के कारण खरीदना असंभव है। किसान अन्य-प्रजाति के बीजों की नर्सरी डालने पर विवश हैं।

किसान राम सुमिरन बताते हैं कि ताज धान खरीदने के लिए 1050 रुपए प्रति किलो के हिसाब से पैसा जमा करने के तीसरे दिन बिना बिल के साथ दिया जा रहा है। दुकानदार कोई गारंटी नहीं ले रहे है। ऐसे में हम लोग अन्य प्रजातियों का प्रयोग कर रहे हैं।

वर्जन-
दुकानदार ताज धान ऑनलाइन मंगवा कर दे रहे हैं। हमारी टीम समय-समय पर दुकानों पर छापे मारकर जांच कर रही है। केंद्रों पर 6444, पायनियर आदि धान बीज भेजे गए हैं। केन्द्र से धान बीज की कालाबाजारी की जानकारी नहीं है। पूरे मामले की जांच कराकर सख्त कार्रवाई की जाएगी। -राजित राम, जिला कृषि अधिकारी।

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