भीषण गर्मी, पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और मुद्दों ने बरेली में छोटी कर दी भाजपा की जीत

पार्टी के पर्यवेक्षकों ने सिविल लाइंस भाजपा कार्यालय पर बैठक कर की चुनाव परिणाम की समीक्षा

भीषण गर्मी, पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा और मुद्दों ने बरेली में छोटी कर दी भाजपा की जीत

बरेली, अमृत विचार। बरेली सीट पर लोकसभा चुनाव में भाजपा को पिछली बार से कुछ वोट जरूर ज्यादा मिले लेकिन उसकी जीत का आकार रुपये में 20 पैसे बराबर ही रह गया। बुधवार को हाईकमान की ओर से भेजे गए पर्यवेक्षक ने समीक्षा बैठक में पदाधिकारियों से फीडबैक लिया तो इसके लिए भीषण गर्मी और चुनावी मुद्दों के साथ पुराने कार्यकर्ताओं को सम्मान न मिलने जैसे कई कारण गिनाए गए।

बरेली में पार्टी ने आठ बार सांसद रहे संतोष गंगवार का टिकट काटकर छत्रपाल गंगवार को मैदान में उतारा था। इस पर शुरू में अंदरखाने जमकर विराेध हुआ लेकिन बाद में उसे शांत कर लिया गया। छत्रपाल गंगवार ने चुनाव में 2019 की तुलना में कुछ वोट जरूर ज्यादा पाए लेकिन जीत का अंतर उसकी तुलना में करीब 20 फीसदी ही रह गया। 

अब भाजपा हाईकमान यह वजह तलाश करने की कोशिश कर रही है कि विपक्ष के उम्मीदवार को पिछले चुनाव की तुलना में करीब 1.40 लाख वोट कैसे ज्यादा मिले। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने इसकी समीक्षा के लिए कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष प्रकाश पाल सिंह और पश्चिम क्षेत्र के क्षेत्रीय महामंत्री हरिओम शर्मा को पर्यवेक्षक नियुक्त किया था जिन्होंने बृहस्पतिवार को सिविल लाइंस भाजपा कार्यालय में बैठक की।

दोनों वरिष्ठ भाजपा नेताओं के साथ करीब दो घंटे चली इस बैठक में बरेली के संगठन से जुड़े पदाधिकारियों के साथ मंडल, बूथ अध्यक्ष, महानगर की टीम और युवा मोर्चा के पदाधिकारी शामिल थे। पार्टी सूत्रों के मुताबिक कई पदाधिकारियों ने भाजपा की छोटी जीत के लिए भीषण गर्मी को कारण बताते हुए कहा कि इस बार मतदाता घरों से कम निकले। छुट्टा पशुओं को लेकर लोगों में नाराजगी थी, जिसकी वजह से काफी वोटर पार्टी से छिटक गए। 

संगठन के पुराने कार्यकर्ताओं को सम्मान न मिलने की बात भी रखी गई। आयुष्मान योजना में सरकार की ओर से किए गए बदलाव को भी वजह बताया गया। कहा गया कि न्यूनतम छह सदस्यों वाले परिवार को ही याेजना का लाभ मिलने की शर्त से लोगों में नाराजगी रही। कई लोगों ने यह भी कहा कि जनप्रतिनिधि भी कार्यकर्ताओं की नहीं सुनते हैं।

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