AKTU:120 करोड़ की हेराफेरी में भोजपुरी फिल्म प्रोड्यूसर शामिल, महाराष्ट्र में रजिस्टर्ड ट्रस्ट ने गुजरात में खोला खाता

AKTU:120 करोड़ की हेराफेरी में भोजपुरी फिल्म प्रोड्यूसर शामिल, महाराष्ट्र में रजिस्टर्ड ट्रस्ट ने गुजरात में खोला खाता

HIGHLIGHTS

- एकेटीयू के 120 करोड़ रुपये हेराफेरी का मामला
- बहू के नंबर से पहुंचे ट्रस्ट संचालक तक
- खाते में रकम आने के दूसरे दिन से शुरू कर दिया खेल

लखनऊ, अमृत विचार: एकेटीयू के बैंक खाते से 120 करोड़ रुपये उड़ाने वाले गिरोह के तार महाराष्ट्र, गुजरात व यूपी से जुड़े है। जिस श्रृद्धा एजूकेशन एण्ड चैरिटेबिल ट्रस्ट के खाते में सौ करोड़ की रकम गई है। उसका पंजीकरण महाराष्ट्र के पते पर हुआ है। जबकि उसका खाता गुजरात के अहमदाबाद विजय क्रास रोड स्थित इंडसइंड बैंक में खोला गया है। वहीं ट्रस्ट के संचालक ने अपना पता भी गलत दर्ज कराया है। पता सूरत देहात का है। जबकि उसका ठिकाना सूरत शहर में है। इस गिरोह का खुलासा करने में साइबर क्राइम थाने की टीम को पांच दिन लगे।

साइबर क्राइम थाने के प्रभारी निरीक्षक बृजेश कुमार यादव ने बताया कि जिस ट्रस्ट के खाते में रकम गई है उसके ही दस्तावेज में काफी झोल है। इतनी बड़ी रकम की हेराफेरी करने में यूपी के जालसाज तो सिर्फ मोहरा है। असली मास्टर माइंड अनुराग श्रीवास्तव को माना जा रहा है। वहीं, दूसरा जय कुमार उर्फ एनके सिंह भी इसी काम में उसका साथ देता रहा। असली खेल तो गुजरात के अहमदाबाद और सूरत से हुआ। इस गिरोह के अभी पांच अन्य सदस्यों की चिह्नित कर लिया गया है। जल्द ही उनकी गिरफ्तारी की जाएगी।

प्रोड्यूसर और फार्मासिस्ट जालसाजी में शामिल
जालसाजी में शामिल राजेश बाबू फिल्म प्रोड्यूसर है। भोजपुरी फिल्म दबंग दामाद प्रोड्यूस कर चुका है। जिसके कलाकार रितेश पाण्डेय और अकक्षरा सिंह थे। वहीं शैलेश कुमार फार्मासिस्ट है। जिसके खाते से गवाही कराकर नया फर्जी खाता खुलवाया था। जालसाजों ने महाराष्ट्र से सीधे लखनऊ के कार एजेंसी के खाते में रकम भेजी थी।


बहू के नंबर ने खोला राज
इंस्पेक्टर बृजेश यादव ने बताया कि मामला दर्ज होने के बाद सभी के नंबर खंगाले जाने लगे। इसमें सूरत के देवेंद्र जोशी का नंबर मिला। ट्रस्ट के खाते में जो पता लिखा था उस पर टीम पहुंची। तो वहां पता चला कि सब फर्जी है। इसके बाद देवेंद्र के नंबर को खंगाला गया। उसमें एक नंबर पर अपनी बहू से बात करने की बात सामने आई। बहू से वारदात के बाद देवेंद्र ने बात की थी। इसी आधार पर उस नंबर का डिटेल निकाला गया तो वह सूरत शहर का निकला। पुलिस टीम ने उस पते पर दबिश दी तो देवेंद्र हाथ लग गया। इसके बाद उदय पटेल को दबोचा गया। उनसे पूछताछ के बार सारी कड़ियां खुलने लगी। लखनऊ की टीम ने अन्य पांचों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में पूरी कहानी सामने आ गई।

कुल 8 से 10 प्रतिशत कमीशन का खेल
पुलिस के मुताबिक पकड़े गये यूपी के आरोपियों को केवल दस्तावेज उपलब्ध कराना था। गिरफ्तार किए गए पांचों आरोपियों को कुल रकम का आधा प्रतिशत मिलना था। वहीं अनुराग और जय कुमार उर्फ एनके सिंह को 4 प्रतिशत तो गुजरात में ट्रस्ट के दो खाता उपलब्ध कराने वाले देवेंद्र और उदय को 3 प्रतिशत हिस्सा मिलना था। जबकि असली खेल करने वाले सारी रकम डकारने की तैयारी में थे।


चार आरोपियों से अनुराग का सीधा संपर्क नहीं
पुलिस के मुताबिक गिरफ्तार चार आरोपियों राजेश बाबू, गिरीश चंद्र, शैलेश कुमार रघुवंशी, दस्तगीर आलम का अनुराग श्रीवास्तव और जय कुमार उर्फ एनके सिंह से कोई संपर्क नहीं है। इन सभी से बस्ती के अहमट गांधीनगर जयपुरवा निवास कृष्णकात त्रिपाठी ने संपर्क किया। अनुराग भी बस्ती का रहने वाला था। उसने ही खातों के बारे में डिटेल उपलब्ध कराने के लिए संपर्क किया। इसके बदले में मिलने वाले रुपये का बराबर हिस्सा बांटने का ऑफर दिया।

सारे दस्तावेजों का हुआ ऑन लाइन स्थानांतरण
पुलिस के मुताबिक जालसाजों ने इस फर्जीवाड़े के लिए जितने भी कागज थे। सभी ऑन लाइन मंगाए थे। चाहे बैंक मैनेजर का फोटो युक्त विजिटिंग कार्ड हो या ऑफर लेटर। यह सारा काम राजेश बाबू, गिरीश चंद्र, शैलेश कुमार रघुवंशी, दस्तगीर आलम ने केके त्रिपाठी के जरिये किया। खाता खोलने से लेकर एफडी की बात तक बैंक मैनेजर से मोबाइल पर हुई थी। पूरे घटनाक्रम के दौरान बैंक मैनेजर मनाली में परिवार के साथ छुट्टियां मना रहा था।

व्यापार में रुपये लगाने के नाम पर निकाले
3 जून को बैंक में शाम 6 बजे कॉल किया गया। कॉल करने वाले ने खुद का परिचय जय कुमार उर्फ एनके सिंह बताते हुए एकेटीयू के वित्त अधिकारी के रूप में दिया। उसने एफडी पर ब्याज दर के बारे में पूछा। इसके बाद 4 जून को दोपहर 3:30 बजे शाखा पहुंचा। उसने लेटर लिया। फर्जी मेल आईडी बनाकर एकेटीयू को मेल पर भेजा। इसके बाद एकेटीयू की फर्जी मेल आईडी बनाकर बैंक को मेल किया। 5 जून को यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के बापू भवन शाखा में 49 करोड़, 49 करोड, 22 करोड़ की तीन किस्तों में कुल 120 करोड़ रुपये एकेटीयू के स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया, लखनऊ खाता संख्या 35766801692 से जमा कराए गए। उसी दिन 4 बजे के करीब अनुराग श्रीवास्तव मुख्य खाता अधिकारी बनकर शाखा में आया जय कुमार की मौजूदगी में सारे दस्तावेज पैन कार्ड व एकेटीयू का फर्जी अथारिटी लेटर जिसमें अनुराग श्रीवास्तव को मुख्य खाता अधिकारी के रूप परिचालन के लिए अधिकृत करते हुए बचत खाता हेतु प्रस्ताव पत्र भी शामिल था, जमा कराया।


चेक हासिल करने के बाद रकम की हेराफेरी की
अनुराग श्रीवास्तव ने चेक बुक की मांग की। व्यक्तिगत चेक बुक शाखा में उपलब्ध नहीं थी इसलिए शाखा ने व्यक्तिगत चेक बुक देने से मना कर दिया। लगातार दबाव बनाया कि रुपये ट्रांसफर कराना अति आवश्यक है। उसे लगभग 20 चेक लीफ दिया। इसके बाद अनुराग ने 6 जून को 8 करोड़ 99 लाख 50 हजार रुपये व 9 करोड़ 50 लाख रुपये इंडसइंड बैंक अहमदाबाद खाते में ट्रांसफर कर दिये। 20 करोड़ की एक एफडी शाखा में करायी। 7 जून को 12 बजे अनुराग दोबारा पहुंचा। उसने पांच आरटीजीएस फार्म दिये। कुछ देर बाद पांच बार में कुल 80,52,95,800 रुपये उसी खाते में ट्रांसफर कर दिये।

डीजीएम ने किया पुलिस से संपर्क
डेली रिपोर्ट में 100 करोड़ रुपये का हिसाब नहीं दिखा तो डीजीएम ने इस पर आपत्ति की। संदेह होने पर पुलिस से संपर्क किया। इसके बाद शाखा प्रबंधक अनुज को एफआईआर दर्ज कराने का निर्देश दिया। इसके बाद पुलिस ने तत्काल बैंक से संपर्क कर 99,02,45,800 रुपये के ट्रांजेक्शन पर रोक लगाने की बात कही। वहीं जालसाजों ने एक करोड़ रुपये बंधक बैंक के खाते में 96 लाख रुपये एसबीआई और 20 लाख रुपये बैंक ऑफ महाराष्ट्र के खाते में ट्रांसफर कर दिए। वहीं पांच लाख रुपये नकदी निकाल ली थी।

यह भी पढ़ेः 55,555 आरटीई के तहत बच्चों के आवेदन कल तक, 20 के बाद आवेदन नहीं होगा स्वीकार

यह भी पढ़ेः AKTU में हुआ 120 करोड़ का हेर-फेर, जालसाजों का हुआ खुलासा