कासगंज में मनाई गई निर्जला एकादशी, महिलाओं ने व्रत रखकर की भगवान विष्णु की पूजा
कासगंज, अमृत विचार: निर्जला एकादशी मंगलवार को मनाई गई। महिलाओं ने व्रत रखा और भगवान विष्णु की उपासना कर दान-पुण्य किया। परंपरागत वस्तुओं के अलावा जरूरतमंदों के लिए खाद्य सामग्री का भी दान किया। मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठानों हुए। घरों में भी महिलाओ ने भजन गाए। सुबह से लेकर शाम तक दान और पूजा का क्रम चलता रहा।
जेष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी पर्व पर पवित्र नदियों में स्नान करने और बिना अन्य जल ग्रहण किए उपवास रखने की मान्यता है। शास्त्रों के अनुसार निर्जला एकादशी पर वर्ष की 24 एकादशियों में से कहीं अधिक फल मिलता है।प र्व को लेकर पूर्व संध्या सोमवार को ही घरों में तैयारियों कर ली गई थी। लोगों ने दान करने के लिए मिटटी से बने ठंडे पानी के पात्र, फल, मिष्ठान, पंखे और पूजा सामिग्री खरीदी थी।
मंगलवार को सुबह भी पूजा सामिग्री खरीदते दिखाई दिए। सुबह घरों में लोगों ने स्नान के बाद भगवान विष्णू की पूजा की। परिवार के कल्याण की कामना को लेकर निर्जला उपवास रखा, जरुरतमंदो और ब्राह्मणों को दान दिया। कुछ लोगों ने सूर्य अस्त के बाद फलहार कर उपवास तोड़ा।
वहीं कुछ लोग मान्यता के अनुसार बुधवार को सुबह सूर्य उदय होने के बाद ब्राह्मण भोज कराकर उपवास तोड़ेंगे। सुबह से लेकर देर शाम तक शहर से लेकर कस्बो तक दान पुण्य का क्रम चलता रहा। मंदिरों में धार्मिक भजन, कीर्तन और यज्ञ हुए।
धर्मलांबियों ने लगाई मीठे ठंडे पानी की प्याऊ
निर्जला एकादशी पर मीठा जल पिलाने से कई गुना फल प्राप्त होता है। इस मान्यता के चलते शहर और कस्बों में समाजसेवियों ने जगह जगह मीठे ठंडे पानी की प्याऊ लगाई। समाजसेवियों ने राहगीरों को मीठा जल पिला कर पुण्य लाभ कमाया।
वहीं बस स्टैंड के समीप लगाई गई प्याऊ पर समाजसेवी वाहनों में जाकर यात्रियों को मीठा पानी देकर सेवा कर रहे थे। शहर के नदरई गेट, बिलराम गेट, सोरों गेट और सहावर गेट, मालगोदाम चौराह, आंबेड़कर तिराहा, रोडवेज बस स्टैंड पर भी कई स्थानों पर मीठे जल की प्याऊ लगाई गई।
हाथ के पंखे की बढ़ गईं कीमतें
वैसे तो हाथ के पंखे अब सामान्य रूप से प्रचलन में नहीं है, लेकिन निर्जला एकादशी पर हाथ के पंखा दान करने की परंपरा है। इसी परंपरा के निर्वहन के लिए लोगों ने हाथ के पंखे खरीदे। एक दिन पूर्व पंखा दस रुपये का बिक रहा था, लेकिन एकादशी की सुबह मांग बढ़ने पर इसकी कीमत 15 रुपये हो गई। कई जगह पंखों की अस्थाई दुकानें भी लगी।
फल मंडी में खरबूजों का रहा अभाव
एकादशी पर दान करने के लिए पूर्व संध्या से ही शहर में तमाम स्थानों पर खरबूजे की रेहड़ी लगी थी। सोमवार को इन पर खरबूजा 30 रुपये किलो बिक रहा था, लेकिन मंगलवार को मंडी में खरबूजे की आमाद मांग के सापेक्ष न के बराबर थी। एक दो हाथठेला पर खरबूजा था भी वह 50 रुपये से 60 रुपये किलो बिक रहा था। यह खरबूजा भी एक दो घंटे बाद खत्म हो गया। बाजार से खरबूजा नदारद हो गया।
बड़ गई आम की मांग
सामान्य रुप से निर्जला एकादशी पर खरबूजा दान करने की परंपरा है, लेकिन बाजार में खरबूजा न होने के कारण ऋतु फल आम की खरीददारी की। देखते ही देखते आम की मांग बढ़ गई। आम की ठेलों पर खरीददारों की भीड़ लगी, लेकिन कीमतें नहीं बड़ी। आम मांग के सापेक्ष पर्याप्त मंडी में उपलब्ध रहा।
श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा में डुबकी
वैसे तो गंगा दशहरा पर गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब रहा, लेकिन तमाम श्रद्धालु निर्जला एकादशी पर स्नान के लिए गंगा घाटों पर डेरा डाले रहे। गंगा दशहरा पर राजस्थान, मध्यप्रदेश के हजारों श्रद्धालुओं एकादशी पर स्नान के लिए रुके रहे। एकादशी पर भोर के साथ श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाई। भगवान सूर्य को अर्घ दिया। घाटों पर ही भगवान विष्णू की उपासना की। लहरा गंगा घाट, हरपदीय गंगा घाट, कछला, कादरगंज गंगाघाट पर स्नानार्थियों की भीड़ लगी रही।
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