Kanpur: 50 की उम्र पार करने पर बढ़ता डायबटिक ब्लाइंडनेंस का खतरा, 30 से 40 प्रतिशत लोग होते शिकार, डॉक्टरों ने सुझाया यह उपाय
कानपुर, अमृत विचार। 50 की उम्र पार करने के बाद डायबटिक ब्लाइंडनेंस का खतरा तेजी से बढ़ता है। देखा जाए तो 100 में 30-40 प्रतिशत लोग डायबटिक ब्लाइंडनेंस के शिकार होते हैं। चिकित्सकों ने आर्टिफिशियल कार्निया को भी कारगर बताया। कहा कि अब आर्टिफिशियल कार्निया बनने लगी है। देश व विदेश के प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सकों ने रविवार को कनिकाकॉन कॉन्फ्रेंस में नेत्र के सेहत और नुकसान पर विधिवत चर्चा की।
कनिका अस्पताल व कानपुर आप्थाल्मिक सोसायटी की ओर से रविवार को बेनाझाबर स्थित एक होटल में कनिकाकॉन कॉन्फ्रेंस हुई। डॉ. शरद बाजपेई ने सबसे पहले नेत्रों की जटिल बीमारियों जिनका नई तकनीक से कनिका हॉस्पिटल में आपरेशन किया गया, उसका सजीव प्रसारण किया। इसके बाद देश के विभिन्न राज्यों से आए नेत्र विशेषज्ञों ने नेत्र समस्याओं का निवारण किया।
कॉन्फ्रेंस में कलकत्ता से आए डॉ. पार्था बिस्वास ने नेत्र रोग व अन्य बीमारियों से होने वाली नेत्र समस्या पर जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 50 की उम्र के बाद डायबटिक ब्लाइंडनेंस का खतरा तेजी से बढ़ता है। देखा जाए तो 100 में 30-40 प्रतिशत लोग डायबटिक ब्लाइंडनेंस के शिकार होते हैं। ऐसे में जरूरत है कि डायबटिक ब्लाइंडनेंस वाले रोगी साल में एक बार जरूरत नेत्र चिकित्सक से जांच कराए। वहीं उन्होंने बताया कि आर्टिफिशियल कार्निया भी अब एक कारगर विधि है।
आर्टिफिशियल कार्निया बनाने की शुरूआत हो चुकी है। इसके बाद कॉन्फ्रेंस में मौजूद नेत्र चिकित्सकों ने अपनी बात रखी। कोयम्बटूर से आईं डॉ. चित्रा रामामूर्ति, नई दिल्ली के डॉ. राजेंद्र प्रसाद, लखनऊ से डॉ. संजीव गुप्ता, हैदराबाद से डॉ. ऋषि स्वरूप पुणे से डॉ. वर्धमान कनकरिया, बेग्लुरु से डॉ. चित्रा जयदेव, डॉ. वीपीएस तोमर, डॉ. गायत्री आहूजा, डॉ. अनुपम आहूजा ने मौजूद नेत्र विशेषज्ञों से स्किल ट्रांस्फर पर चर्चा की। कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन ऑल इंडिया आप्यैल्मिक सोसाइटी के अध्यक्ष नेत्र विशेषज्ञ डॉ. पार्था बिस्वास ने किया।
सचिव डॉ. मोहित खत्री ने मोतियाबिंद आपरेशन में होने वाली जटिलताओं के निवारण के बारे में बताया। कानपुर आप्थाल्मिक सोसायटी की अध्यक्ष डॉ. सोनिया दमेले ने नेत्र विशेषज्ञों के स्किल ट्रांस्फर की सराहना की। इस मौके पर कानपुर आप्थाल्मिक सोसायटी के उपाध्यक्ष डॉ. प्रद्युमन अग्रवाल, डॉ. लोकेश अरोड़ा, सचिव डॉ. पारूल सिंह, डॉ. आरसी गुप्ता, डॉ. दिलप्रीत सिंह, डॉ. सगीता शुक्ला, डॉ. शालिनी मोहन, डॉ. सुकांत पांडेय, डॉ. पल्लवी आदि रहीं।
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