Kanpur: मौसम की मार से जनजीवन बेहाल, तापमान पहुंचा 44 के पार, आने वाले दिनों में और चढ़ेगा पारा

Kanpur: मौसम की मार से जनजीवन बेहाल, तापमान पहुंचा 44 के पार, आने वाले दिनों में और चढ़ेगा पारा

कानपुर, अमृत विचार। रविवार को पारे का मिजाज काफी तल्ख रहा। हवा की गति मध्यम होने के चलते उमस भी लोगों के लिए मुसीबत साबित हुई। आने वाले दिनों में पारा और ऊपर जाएगा वहीं लू भी चलने के आसार बन गए हैं। 
सुबह 8 बजे से ही सूरज का तेवर चढ़े हुए थे। चटख धूप राहगीरों के लिए परेशानी पैदा कर रही थी। लोग बचाव के लिए सिर ढककर सड़कों पर चलते नजर आए। 

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डा. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि शनिवार की तुलना में रविवार को अधिकतम तापमान 4.2 डिग्री ऊपर चढ़कर 44.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ। न्यूनतम तापमान भी 28.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। 

अधिकतम आर्द्रता 48 प्रतिशत एवं आर्द्रता न्यूनतम :16 प्रतिशत रिकार्ड हुई।  हवा की औसत गति 3.0 किलोमीटर प्रति घंटा थी जिससे ऊमस से लोग बहुत परेशान हुए। अगले पांच दिनों में हल्के बादल छाए रहने के आसार हैं।  दिन और रात के तापमान सामान्य से अधिक रहने के आसार हैं । लू चलने की पूरी संभावना है। 

इतना तापमान सह सकता है मानव

विशेषज्ञों की माने तो मानव शरीर का सामान्य तापमान 98.9 डिग्री फॉरेनहाइट होता है। जो आसापास के वातावरण यानी बाहरी तापमान के 37 डिग्री सेल्सियस के बराबर होता है। विशेषज्ञों के अनुसार मानव 42 डिग्री सेल्सियस तक तापमान सह सकता है। 

तापमान बढ़ने में होती है परेशानी 

डा. पांडेय ने बताया कि कि इंसान का शरीर 35 से 37 डिग्री तापमान बिना किसी परेशानी के सह सकता है वहीं 42 डिग्री तापमान में मानव को परेशानी होने की संभावना होती है वहीं इससे ज्यादा तापमान इंसानी शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है। लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक गर्मी से होने वाली मौतों में काफी वृद्धि होने के आसार हैं। रिसर्च की मानें तो इंसानों के लिए 50 डिग्री का अधिकतम तापपमान बर्दाश्त करना खासा मुश्किल हो जाता है। यदि तापमान इससे ज्यादा पहुंच जाता है तो वो जिंदगी को खासा जोखिम भी पहुंच सकता है। 

आठ सालों में गर्मी का रहा प्रकोप 

डा. पांडेय ने बताया कि मेडिकल जर्नल लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2000-04 और 2017-2021 के बीच के 8 सालों में भारत में गर्मी का प्रकोप अत्यधिक ज्यादा रहा, साथ ही इस दौरान गर्मी से होने वाली मौतों में 55 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

यूं गर्मी बन जाती है मौत की वजह

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि पारा 45 डिग्री हो तो बेहोशी, चक्कर या घबराहट जैसी शिकायतों के चलते ब्लड प्रेशर कम होने जैसी परेशानी होने की संभावना रहती है। वहीं, यदि आप 48 से 50 डिग्री या उससे ज्यादा तापमान में बहुत देर रहते हैं तो मांसपेशियां पूरी तरह जवाब दे सकती हैं जो मौत भी बन सकती है।

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