बलरामपुर: हर साल बाढ़ की विभीषिका में डूब जाती है लोगों की उम्मीद, जनप्रतिनिधियों ने इस गंभीर मुद्दे को कभी नहीं बनाया चुनावी मुद्दा

बलरामपुर: हर साल बाढ़ की विभीषिका में डूब जाती है लोगों की उम्मीद, जनप्रतिनिधियों ने इस गंभीर मुद्दे को कभी नहीं बनाया चुनावी मुद्दा

लालजी सिंह/बलरामपुर, अमृत विचार। हर साल पहाड़ी नालों और राप्ती नदी की बाढ़ में लोगों की जिंदगी डूब जाती है। व्यापक धन और जन की हानि भी होती है। आलम यह है कि हफ़्तों तक मुख्यालय नगर भी या तो पानी में डूब जाता है या घिरा रहता है। वर्ष 2022 में बाढ़ ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे गांव तो दूर नगर के कई मोहल्ले में नाव से लोगों को बाहर निकाला गया।

जवाहर नवोदय विद्यालय घुघुलपुर में बच्चों तथा शिक्षकों को विद्यालय में पानी भरने के चलते ट्रैक्टर ट्राली से सुरक्षित निकाला गया।बाढ़ का कहर कुछ इस तरह हुआ कि जिले के 388 गांव पानी से घिर गए। ललिया के सोनबरसी गांव के पास 100 मीटर तटबंध बाढ़ में बह गया। 

उतरौला क्षेत्र के चंदापुर गांव के पास तटबंध कटने से भारी तबाही हुई।यही हाल वर्ष 2017 में भी हुआ था।बाढ़ से हर साल बलरामपुर व श्रावस्ती जनपद के करीब 500 गांव तबाह होते है। करोड़ों रुपये की फसल बाढ़ में डूब कर सड़ जाती है। इतनी तबाही के बाद आजतक किसी भी चुनाव में प्रत्याशियों व जनप्रतिनिधियों ने इस विभीषिका को चुनावी मुद्दे में शामिल नहीं किया। 

हर साल तटबंध के मरम्मत के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। जो बाढ़ आने पर पानी में बह जाता है।बाढ़ के पानी में डूब कर कई लोगों की मौत हो जाती है,कई मवेशी भी मौत के गाल में समा जाते हैं। सैकड़ो लोग बेघर भी हो जाते हैं। 

क्षेत्रवासी शिवकुमार, संदीप श्रीवास्तव,लव कुश पांडे, अशफाक अहमद तथा हबीबुर्रहमान ने बताया की चुनाव के समय प्रत्याशी वादे तो बड़े-बड़े करते हैं लेकिन चुनाव खत्म होते ही इन वादों को आश्वासन के कफन में दफन कर दिया जाता है।

इन लोगों का कहना है कि हमें ऐसे जनप्रतिनिधि का चुनाव करना चाहिए जो की हमारी मूलभूत परेशानियां को समझ सके और समय रहते उसका निराकरण कर सके। बाढ़ जैसी प्रमुख समस्या को चुनावी मुद्दे में शामिल किया जाना आवश्यक है।

कराया जा रहा है बाढ़ नियंत्रण प्रबंधन 

बलरामपुर-भड़रिया तटबंध में छूटे हुए गैप को पूर्ण करने के लिए एस्टीमेट तैयार किया गया है गत वर्ष संवेदनशील स्थलों पर बाढ़ नियंत्रण कार्य कराया गया है अति संवेदनशील स्थल नसीबगंज, मझौवा, कोडरवा और करमहना में कटान रोधी परियोजना का कार्य प्रगति पर है। 

इसके अतिरिक्त तीन अन्य संवेदनशील स्थल चिन्हित किए गए हैं।नेपाल से अधिक पानी छोड़े जाने के कारण समस्या बढ़ जाती है। मानसून आने से पहले काटन रोधी व बाढ़ निरोधक कार्य पूरे कर लिए जाएंगे- जेके लाल अधिशासी अभियंता,बाढ़ खंड।

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